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(GMT+08:00) 2006-01-09 12:46:41    
चीनी प्यानो जगत की चमकदार सितारा रन श्याओ लू

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वर्ष 2005 में आयोजित 13वीं एशियाई प्यानो खुली प्रतियोगिता में चीनी लड़की रन श्याओ लू ने रजत पदक जीता । कुछ समय पूर्व उन्होंने उत्तर चीन के थ्येनचिन शहर में अपनी व्यक्तिगत संगीत सभा का आयोजन किया, जिस का व्यापक दर्शकों ने जोशीला स्वागत किया।

22 वर्षीय रन श्याओ लू थ्येनचिन संगीत कॉलेज के प्यानो विभाग के विद्यार्थी है । प्यानो सीखने के अपने रास्ते की याद करते हुए सुश्री रन श्याओ लू की आंखों में खुशी की चमक झलकी । उन्होंने मुस्कराते हुए कहा कि चार वर्ष की उम्र में वह एक मौके पर प्यानो वादकों से मिली । जब उस ने देखा कि कलाकार की मंजी हुई ऊंगलियों से प्यानो पर मनोहक मधुर धुन बजी , तो उसे बड़े आश्चर्य के साथ असीम कौतुहट हुई , उसी वक्त उस ने माता पिता से प्यानो सीखने की मांग की । उस की यह मांग स्वीकार की गई और इस तरह नन्ही सी रन श्याओ लू का जीवन प्यानो से जुड़ गया । इस की चर्चा में उस ने कहाः

"उसी समय चीन में बहुत से लोग प्यानो सीखने के शौक थे, मैं भी उन में शामिल हुई । लेकिन जब मैं इस रास्ते पर चल निकली , तो फिर रूकने का नाम नहीं लिया गया । छोटी उम्र में मैं कद में लम्बी नहीं थी, इसलिए मुझे प्यानो के आगे रखी गई दो कुर्सियों पर खड़ी हुए प्यानो बजाना पड़ता था।"

शुरू शुरू में नन्ही रन श्याओ लू महज मनोरंजन के लिए प्यानो सीखती थी। लेकिन उस के पिता जी ने अपनी बेटी की संगीत प्रतिभा का पता चला । बेटी की प्रतिभा विकसित करने के लिए पिता ने पेइचिंग विश्वविद्यालय के संगीत प्रोफैसर यांग श्याओ को आमंत्रित कर उसे औपचारिक शिक्षा दिलाई , इस से छोटी रन श्याओ लू की संगीत प्रतिभा धीरे धीरे सामने प्रकट आयी । वर्ष 1999 में उसे थ्येनचिन संगीत कॉलेज के अधीनस्थ मिडिल स्कूल में दाखिला मिला , और वहां वह पेशेवर प्यानो की शिक्षा लेने लगी । इस की चर्चा में सुश्री रन श्याओ लू ने कहा कि थ्येन चिन संगीत कॉलेज के अधीन मिडिल स्कूल में पढ़ने से उसे सच्चे माइने में संगीत का असाधारण गुण महसूस हुआ ।

रन श्याओ लू का कहना हैः "संगीत कॉलेज के मिडिल स्कूल में दाखिल होने के बाद मैं ने संगीतों का गुण समझने में काफी तरक्की प्रारप्त की और प्यानो बजाने का कला कौशल भी तेजी से परिपक्कव हो गया । मुझे सुन्दर धुनों में बड़ी रुचि आयी, और मेरा पूरा मन प्यानो का अभ्यास करने में लग गया । अगर किसी एक दिन प्यानो नहीं बजायी, तो मुझे बड़ा खटक लग रही थी ।"

प्यानो बजाने की तकनीक और संगीत के प्रति समझ उन्नत करने के लिए सुश्री रन श्याओ लू क्रमशः युक्रेन के ओडेस्सा संगीत कॉलेज और चीनी केंद्रीय संगीत कॉलेज में पढ़ने गयी । इसी दौरान उसने बेशुमार संगीत रचनाएं पढ़ी और अभ्यास किया और अपने पेशेवर पढ़ाई के लिए पुख्ता नींव डाली । वर्ष 2002 में सुश्री रन श्याओ लू एक श्रेष्ठ विद्यार्थी के रूप में थ्येन चिन संगीत कॉलेज के प्यानो विभाग में दाखिल हुई । बड़ी मेहनत व लगन से वह प्यानो बजाने में पूरी तरह पारंगत हो गई, और धीरे धीरे अपनी विशेष शैली व पहचान भी बनायी । वर्ष 2005 के शुरू में रन श्याओ लू ने चीन की ओर से तेरहवीं एशिया प्यानो खुली प्रतियोगिता में भाग लिया और रजत पदक जीता ।

सुश्री रन श्याओ लू के गुरू श्री ल्यू श्याओ ल्यांग तेरहवीं एशिया प्यानो खुली प्रतियोगिता में रन श्याओ लू के कला प्रदर्शन पर बहुत संतुष्ट हैं । उन्होंने कहा कि प्यानो बजाने की तकनीक में रन श्याओ लू बहुत परिपक्व हो गयी है , और संगीतों के प्रति उस का अपना विशेष अनुभव प्राप्त हुआ है । सब से उल्लेखनीय बात है कि उस की संगीत वादन शैली हमेशा जोश उमंग से भरिपूर्ण है । हमारे संवाददाता के साथ साक्षात्कार में रन श्याओ लू के गुरू ल्यू श्याओ ल्यांग ने कहा कि अध्ययन के दौरान उन के शिषयों में से सुश्री रन श्याओ लू सब से ज्यादा सवाल पूछती है । उन का कहना है

"वह बहुत बुद्धिमान और तेज है, और असाधारण अध्ययनशील है । इस लिए वह मुझ से सवाल पूछ कर ज्यादा जानकारी पाना चाहती है । वह मेहनत से पढ़ती है और साधारण विद्यार्थियों से ज्यादा कला अभ्यास करती है । वास्तव में उस की बौद्धिक शक्ति दूसरे विद्यार्थियो से कहीं अधिक तो नहीं है , लेकिन कालेज में चार सालों की अथक कोशिशों के बाद उसे दूसरों से अच्छी प्रगति हासिल हुई है ।"

सुश्री रन श्याओ लू के गुरू श्री ल्यू श्याओ ल्यांग के अनुसार, स्कूल में रन श्याओ लू अकसर विभिन्न किस्मों की कला गतिविधियों व पेशेवर प्रतियोगिताओं में भाग लेती है, इन के अलावा, उस ने अनेक बार सामाजिक परोपकारी स्वरूपी सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी भाग लिया । इन गतिविधियों के जरिए उस ने अच्छे अनुभव संजोए है । रन श्याओ लू की व्यक्तिगत संगीत सभा से उस की मेहनत का परिणाम और प्यानो कला का स्तर जाहिर हो गया है ।

अपनी संगीत सभा में रन श्याओ लू ने जो प्यानो कार्यक्रम पेश किए थे , उस की धुन में भाव का जोश और उत्साह फुट कर प्रकट हुआ , उस की मंजी हुई ऊंगलियों पर से जो मधुर और जोशपूर्ण लय की लहरें निकली थीं , उस ने सभा में उपस्थित दर्शकों को मुग्ध कर दिया और लोगों से भावभीना तालियां जीत ली।

सुश्री रन श्याओ लू के एक अन्य गुरू युक्राइन ओडेस्सा संगीत कॉलेज के विशेषज्ञ फ़ेडोसोव वालेंतिन भी अपनी शिष्य की संगीत सभा में उपस्थित थे । उन के विचार में रन श्याओ लू की प्रतिभा में भारी निहित शक्ति है, और भविष्य में वह और ज्यादा प्रगति प्राप्त कर सकेगी । उन्होंने कहा कि रन श्याओ लू भविष्य में प्यानो कला क्षेत्र में एक चमकदार सितारा बन जाएगी ।

संगीत प्रतियोगिता में प्राप्त उपलब्बधि और संगीत सभा की सफलता पर सुश्री रन श्याओ लू बहुत शांत भाव रखती है । उस ने कहा कि संगीत सभा से उसे अपना संगीत का सपना जोड़ने की प्ररणा मिली है । रन श्याओ लू का कहना है

"प्यानो बजाने की प्रक्रिया मेरे जीवन की एक अभिन्न प्रक्रिया बन गयी है । इसी प्रक्रिया में मुझे महसूस हुआ कि जिंदगी का रास्ता कैसे चुना जाना चाहिए । मैं अपनी संगीत सभा से प्यानो कला में अपनी कमियों की खोज करूंगी और उसे सुधार लूंगी। मैं समझती हूं कि मेरी सारी जिन्दगी में प्यानो मेरे साथ साथ रहेगा ।"