आप को पता चला होगा कि उत्तर पश्चिम चीन में स्थित सिन्चांग वेवूर स्वायत्त प्रदेश चीन देश का एक ऐसा मशहूर प्रदेश है , जहां प्रचूर मात्रा में तेल का भंडार पाया गया है । इस प्रदेश के विशाल रेगिस्तान क्षेत्र में अनेक बड़े बड़े तेल क्षेत्रों का विकास हुआ है और दक्षिण सिन्चांग में फैले ताकिलामाकन रेगिस्तान में स्थित थाचुंग तेल क्षेत्र चीन का रेगिस्तान में आबाद सब से बड़ा तेल क्षेत्र है । आज के सिन्चांग का दौरा विशेष कार्यक्रम में हम थाचुंग तेल क्षेत्र के मजदूरों के बारे में संक्षिप्त जानकारी देंगे ।
थाचुंग तेल क्षेत्र सिन्चांग के तारिमू बेसिन के बीचोंबीच स्थित है । नवीनतम आंकड़ों के अनुसार इस तेल क्षेत्र में ज्ञात हुआ तेल व प्राकृतिक गैस का भंडारण कोई 16 अरब टन है , जिन में तेल 8 अरब टन और प्राकृतिक गैस 100 खरब घन मीटर है । चीनी और विदेशी भूतत्ववेत्ताओं के शब्दों में यह 21 वीं शताब्दी में चीन के रणनीतिक तेल भंडारण का नया एवज होगा ।
थाचुंग तेल क्षेत्र चीन की महान तेल आपूर्ति परियोजना यानी तेल पाइप लाइन से पश्चिमी चीन के तेल को पूर्वी चीन पहुंचाने वाली परियोजना का पश्चिमी शुरूआती स्थल है । परियोजना के तहत हजारों किलोमीटर लम्बी बिछाई तेल पाइप लाइन से सिन्चांग के तारिमू बेसिन के प्राकृतिक गैस को पूर्वी चीन के हनान , आनह्वी ,चांगसू , च्येचांग प्रांतों तथा शांगहाई शहर तक पहुंचाया जाता है , जिस का निर्माण दिसम्बर 2004 में पूरा किया जा चुका है और पाइप लाइन से गैस की सप्लाई का काम आरंभ हो गया है ।
पिछली शताब्दी के अस्सी वाले दशक से चीन ने थाचुंग तेल क्षेत्र का दोहन शुरू किया , देश के विभिन्न स्थानों से बीस हजार तकनिशियन और मजदूर तथा साजो सामान तारिमु बेसिन में लाए गए और अनंत रेगिस्तान में तेल सर्वेक्षण और दोहन के काम आरंभ किए गए ।
इन तकनीशियनों और मजदूरों में से बहुत से युवा अपनी आकांक्षा लिए थाचुंग तेल क्षेत्र के विकास के लिए यहां पहुंचे थे । इस साल 37 वर्षीय श्री ली थ्येनक्वांग वर्ष 1990 में विश्वविद्यालय से स्नातक होने के बाद सिन्चांग आए थे । उन्हें थाचुंग तेल क्षेत्र में काम करते हुए अब 15 साल हो गए। श्री ली थ्येनक्वांग दक्षिण चीन के निवासी हैं , उस का जन्मस्थान बहुत सुहावना और जीवन बहुत खुशहाल रहा है , जन्मभूमि की तुलना में सिन्चांग का जीवन काफी कठिन है । शुरू शुरू में सिन्चांग के बारे में कम जानकारी के कारण यहां आने के रास्ते में रेल गाड़ी पर उन्हों ने ऐसा हास्यास्पद काम भी किया थाः
यहां आने के समय सुना था कि सिन्चांग में पानी का अभाव है , इसलिए हम ने ज्यादा से ज्यादा पानी संचित करने की कोशिश की थी , सभी पात्रों को पानी भर किया गया और तमाम पैसा भी पानी खरीदने में बहाया गया ।
लेकिन रेल गाड़ी सिन्चांग की सीमा में प्रवेश कर गयी , तो ली थ्येनक्वांग की आंखों के सामने बिलकुल उन की कल्पना से विभन्न दृश्य नजर आयाः सिन्चांग की जगह जगह हरियाली छायी रही है और रेल स्टेशनों पर अंगूर जैसे ताजा ताजा फल बिकता है । उन के विचार में सिन्चांग का कुर्ले एक निर्जन व वीरान स्थान है , लेकिन जब वहां पहुंचा , तो पाया कि यह भी एक सुन्दर हरित क्षेत्र है ।
कुर्ले से वे ताकिनामाकन रेगिस्तान में स्थित थाचुंग पहुंचे , कार्य स्थल पहुंचने के बाद उन्हें पता चला था कि उन के आगे जीवन के लिए क्या क्या कठिनाइयां होगी । रेगिस्तान में मौसम बहुत खराब था , समय समय पर तेज हवा चलती थी और रेगिस्तान में रेतों की लहरें समुद्री लहरों की भांति दौड़ती उमड़ती थी । दक्षिण चीन के निवासी के लिए यह एक अत्यन्त बड़ी चुनौति थी।
लेकिन श्री ली थ्येनक्वांग इस प्रकार की कठोर प्राकृतिक स्थिति के आगे नहीं झुके , उन्हों ने अपने साथियों के साथ मिल कर इस वीरान रेगिस्तान में एक के बाद एक तेल कुआ का ड्रेलिंग किया और विशाल ताकिलामाकन रेगिस्तान में विश्व की सब से लम्बी रेगिस्तानी सड़क बनाने में सफलता भी प्राप्त की , जिस ने हजार मील दूर थ्येनशान पर्वत को कारामर पर्वत के साथ जोड़ दिया और जिस से दक्षिण सिन्चांग के हेथ्यान व सिन्चांग की राजधानी ऊरूमुची के बीच की यातायात दूरी को 600 किलोमीटर कम कर दी गई । 1380 किलोमीटर लम्बी इस सड़क और उस की शाखा सड़कों ने तारिमु बेसिन में यातायात व परिवहन का जाल बिछाया है ।
सड़कों के जाल के केन्द्र में एक नवोदित तेल क्षेत्र यानी थाचुंग तेल क्षेत्र विशाल निर्जन और वीरान रेगिस्तान के बीच में उभरा है । थाचुंग तेल क्षेत्र में ऊंचे ऊंचे तेल ड्रेलिंग संस्थापन दूर नजदीक खड़े नजर आए , तेल उत्पादन क्षेत्र में रिहाइशी इमारें कतारों में खड़ी है और बीच बीच खेल मैदान और हरियाली क्षेत्र दिखता है । यह रेगिस्तान के बीचोंबीच अवस्थित एक नख्लिस्तान रूपी शहर बन गया है।
इधर के सालों में थाचुंग तेल क्षेत्र में बड़ी संख्या में युवा लोग आए हैं , जो इस तेल क्षेत्र के विकास की नयी जीवन शक्ति बन गए हैं । 2004 में विश्वविद्यालय से स्नातक हुए वुन चांग उन में से एक है , तेल क्षेत्र में काम करना उस की चिर संजोयी अभिलाषा है । अपने विकल्प की चर्चा में उन्हों ने कहाः
मैं इसलिए थाचुंग तेल क्षेत्र आया हूं , क्योंकि मेरे माता पिता दोनों तेल क्षेत्र में काम करते हैं , उन से मैं काफी प्रभावित हुआ हूं , मैं ने हाई स्कूल के समय ही तेल उत्पादन का काम करने की ठान ली थी ।
थाचुंग तेल क्षेत्र में तेल उत्पादन और जीवन की सुविधाएं लगातार सुधर गईं और एक अच्छा वातावरण तैयार हुआ है । इस से वुनचांग की भांति बहुतेरे युवा विश्वविद्यालय छात्र आकृष्ट हुए और श्री हो चेसन भी उन में से एक है । उन का कहना है कि यहां आने का मुख्य कारण यहां के विकास का सुनहरा भविष्य है । वे कहते हैः
एक नवोदित उद्योग में युवा पीढ़ी के लिए विकास के वांछित अवसर उपलब्ध है . चीन में इन सालों में पश्चिमी भाग का जोरदार विकास करने की रणनीति लागू हो रही है . यहां प्रतिभाओं की कमी है , इसलिए मैं ने यहां अपने कैरियर का विकास करने का संकल्प किया , मैं इस अच्छे मौके को हाथ से नहीं छूटने देता हूं । मुझे अनुभव हुआ है कि महज वीरान रेगिस्तान है, नकि वीरान जिन्दगी ।
यु कांग इस साल जुलाई में च्येचांग विश्वविद्यालय से स्नातक हुए हैं , थाचुंग तेल क्षेत्र आए उन्हें महज पांच महीने हो गए , घर से दूर चले जवान बेटे पर उस के मां बाप को बहुत चिंता रही . लेकिन उस के मां बाप ने जब टीवी से सिन्चांग के नए रूप ढ़ंग देखे , तो उन की चिंता भी दूर हो गई।
श्री युकांग ने कहा कि मेरी मां ने टीवी पर सिन्चांग के कार्यक्रम देखे , तो मालूम हुआ कि कुर्रे क्षेत्र बहुत सुन्दर है और यहां मौर नाम की नदी कलकल बहती है , उन्हें अपनी आंखों पर विश्वास भी नहीं हो सकता । वे कभी सिन्चांग नहीं आये , वे समझते थे कि सिन्चांग बहुत वीरान है और रेगिस्तान को छोड़ कर हरित क्षेत्र नहीं है , लेकिन वास्तव में यहां पेड़ पौधों और घास फुलों का अच्छा मैदान भी है ।
थाचुंग तेल क्षेत्र की हरियाली यहां कार्यरत वैज्ञानिकों और तेल मजदूरों के समान प्रयास का सुफल है । दस सालों के अथक प्रयासों से रेगिस्तान में उग सकने वाली 70 किस्मों के फुल पौधे विकसित किए गए और थाचुंग तेल क्षेत्र की चारों ओर 200 हैक्टर से ज्यादा विशाल पारिस्थितिकीगत परिधि खड़ी की गई , जिस के भीतर पेड़ों की हरियाली , फुलों का बहार और जंगली पशु पक्षियों का अच्छा निवास स्थल पनपा हुआ है । रेगिस्तान के अन्दर दूर दूर फैली पक्की सड़कों के दोनों किनारों पर भी रेतीली हवा से रक्षा वन पट्टियां बनायी गयी , मानो रेतीली धरती पर एक एक हरित गलियारे कायम हुए हो । इन हरियाली ने दक्षिण सिन्चांग की प्राकृतिक स्थिति को बहुत सुधार दिया है ।
|