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(GMT+08:00) 2006-01-04 17:51:56    
उच्च शिक्षा के विकास के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग

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चीन और अमेरिका अलग-अलग तौर पर विश्व के सब से बड़े विकासमान और विकसित देश हैं। दोनों के बीच शिक्षा समेत अनेक क्षेत्रों में सहयोग का सुचारु विकास हो रहा है। आठ साल पहले चीन के मशहूर छींगह्वा विश्वविद्यालय तथा अमेरिका के मशहूर हावर विश्वविद्यालय ने सहयोग कर छींगह्वा विश्वविद्यालय में एक चीनी भाषा प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना की। यह केंद्र चीनी अध्यापक के माध्यम से कुछ अमेरिकियों को चीनी भाषा का प्रशिक्षण देता था। चीन के छींगह्वा विश्वविद्यालय के विदेशी छात्र चीनी भाषा प्रशिक्षण केंद्र के प्रोफेसर तींगशा के अनुसार छींगह्वा विश्वविद्यालय में चीनी भाषा प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना चीन और अमेरिका के संबंधों में सुधार का प्रतीक थी। कुछ साल पूर्व हमारे यहां चीनी भाषा सीखने जो लोग आया करते थे, वे आम तौर पर कूटनीतिज्ञ, विद्वान और खासकर चीन का अनुसंधान करने वाले लोग थे। पर आज इस केंद्र में चीनी भाषा सीखने वालों में विद्वानों के अलावा मशहूर कंपनियों के कर्मचारी तथा संवाददाता भी शामिल हैं। केंद्र में प्रत्येक प्रशिक्षण कक्षा तीन माह चलती है और हर कक्षा में चालीस- पचास छात्र होते हैं। भाषा प्रशिक्षण चीन-अमेरिका शिक्षा सहयोग का महत्वपूर्ण भाग है। पता चला है कि चीन हर वर्ष बीस से तीस चीनी भाषा अध्यापक अमेरिका भेजता है। चीन और अमेरिका के शिक्षा विभागों ने इंटरनेट के लिए भी चीनी भाषा व अंग्रेजी बहुमाध्यमी सामग्री तैयार की है , जिससे दोनों देशों के प्राइमरी व मिडिल स्कूलों के छात्रों को सुविधा मिली है । इसके साथ ही चीन के अनेक उच्च शिक्षा संस्थाओं ने अमेरिका के कालेज़ों के साथ संयुक्त रूप से वैज्ञानिक अनुसंधान करने तथा शैक्षिक मुद्दों का संचालन करने के लिए संबंध कायम किये हैं । चीनी जन विश्वविद्यालय अमेरिका के गोलंबिया विश्वविद्यालय के साथ आर्थिक व वित्तीय प्रबंध पर काम कर रहा है। चीनी छात्र इन दो विश्वविद्यालयों में अलग-अलग तौर पर एक-एक साल पढ़ सकते हैं और दोनों विश्वविद्यालयों से डिग्री प्राप्त कर सकते हैं। चीनी छात्रों का कहना है कि अमेरिका का आर्थिक विकास स्तर तथा उस का अनुसंधान स्तर विश्व में चोटी के स्तर पर है। इसलिए चीनी कालेजों के अमेरिका के साथ शिक्षा सहयोग करने के उल्लेखनीय फायदे हैं। बहुत से चीनी छात्र पढ़ने के लिए अमेरिका जाना चाहते हैं और अमेरिका अब तक चीनी छात्रों के अध्ययन का प्रथम गंतव्य है। अमेरिकी अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा सोसाइटी द्वारा प्रकाशित वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक इधर के वर्षों में कुल साठ हजार से अधिक चीनी छात्र अमेरिका में पढ़ रहे थे। इस के साथ चीन में चीनी भाषा,संस्कृति, सामाजिक विज्ञान तथा चीनी कला सीखने वाले अमेरिकी व्यक्तियों की संख्या भी निरंतर बढ़ रही है। उन में बहुत से छात्रों की चीनी परंपरागत चिकित्सा पद्धति में खासी रुचि है। इस समय चीन में लगभग चार हजार अमेरिकी छात्र विभिन्न उपाधियों के लिए पढ़ रहे हैं। चीनी शिक्षा मंत्रालय के अंतर्राष्ट्रीय सहयोग व आदान-प्रदान ब्यूरो के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि चीन अमेरिकी छात्रों का स्वागत करता है। उन्हों ने कहा कि छात्रों का आदान-प्रदान दुगना होना चाहिये। अभी चीन में पढ़ने वाले अमेरिकी छात्रों की संख्या कम है , आशा है आगे और अधिक अमेरिकी छात्र चीन आएंगे । अमेरिकी छात्रों को सुविधा प्रदान करने के लिए चीनी विदेश मंत्रालय ने अमेरिका के चीन स्थित दूतावास के साथ एक- दूसरे देशों के छात्रों को बहुप्रवेश वीज़ा देने का समझौता संपन्न किया है। शिक्षा सहयोग के क्षेत्र में अमेरिका ने अनेक वर्षों से लिए चीनी शिक्षासंस्थानों को स्वयंसेवक भेजे हैं। इधर के वर्षों में बुनियादी शिक्षा के स्तर को उन्नत करने के लिए चीनी शिक्षा प्रबंध विभागों ने प्राइमरी व मिडिल स्कूलों के अध्यापकों के प्रशिक्षण पर जोर देना शुरू किया है। हर पांचवें साल चीन के प्राइमरी व मिडिल स्कूलों के अध्यापकों का ऐसा प्रशिक्षण लेना पड़ता है, ताकि उनके अध्यापन की गुणवत्ता उन्नत हो सके। नीचे आप पढ़ पाते हैं चीनी प्राइमरी व मिडिल स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था के बारे में कुछ जानकारियां । नयी शताब्दी में चीन सरकार ने शिक्षा रुपांतरण पर विशेष जोर दिया है । और इस कार्य में भी प्राइमरी व मिडिल स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था के सुधार को प्राथमिकता दी है । पिछली शताब्दी के अन्त तक चीन में प्राइमरी स्कूल के उम्र वाले छात्रों की स्कूलों में भरती की दर निन्यानवे प्रतिशत तक जा पहुंची थी । चीन में हरेक बच्चे के लिये नौ वर्षीय अनिवार्य शिक्षा व्यवस्था लागू है , इस तरह पिछली शताब्दी के अन्त तक चीन के प्यासी प्रतिशत किशोर अनिवार्य शिक्षा पा सके । इस के बाद चीन के शिक्षा रुपांतरण कार्य का केंद्र छात्रों की गुणवता बना है। यानी, पहले स्कूलों में छात्रों द्वारा परीक्षा में प्राप्त अंकों को ज्यादा महत्व दिया जाता था , अब तो उन की वास्तविक गुणवता पर ध्यान किया जाएगा । संक्षिप्त में इसे गुणी शिक्षा कहा जा रहा है , जबकि पुरानी शिक्षा व्यवस्था परीक्षित शिक्षा कहलाती रही । गुणी शिक्षा से छात्रों की वास्तविक गुणवता व क्षमता को उन्नत करना है । परंपरागत शिक्षा व्यवस्था की तुलना इस का फर्क यह है कि छात्रों को परीक्षा में बेहतर अंक नहीं , बल्कि उन्हें ज्यादा वास्तविक क्षमता उपलब्ध कराने पर जोर देनी है । चीन की मौजूदा शिक्षा व्यवस्था में अध्यापक, अपने छात्रों को परीक्षा पास करने के लिये बहुत सा गृहकार्य करने को कहते हैं , छात्र इसे लदा रहता है । ऐसी शिक्षा व्यवस्था से उन छात्रों , जो बढिया अंक प्राप्त करते हैं , की वास्तविक क्षमता आम तौर पर बेचारगी की हालत में रहती है । दूसरी ओर , अन्य छात्र , जो अच्छे अंक पाने में असमर्थ रहते हैं , की पढ़ने में रूचि भी निम्न बनी रहती है । इसलिये वर्ष दो हजार से चीनी शिक्षा मंत्रालय ने छात्रों को गुणी शिक्षा देने का आह्वान किया , इस का उद्देश्य यही है कि गृहकार्य के बोझ को कम कर छात्रों की नीहित शक्ति जगायी जाए , और आधुनिक सूचनाओं के जरिये उन की मिश्रित क्षमता उन्नत की जाए ।