चीन का सिन्चांग वेवूर स्वायत्त प्रदेश एशिया यूरोप महाद्वीप के बीचोंबीच स्थित है और विश्वविख्यात प्राचीन रेशम मार्ग के इस विशाल प्रदेश से हो कर गुजरने के कारण यह इतिहास में एक ऐसा स्थान बन गया , जहां विश्व की विभिन्न किस्मों की संस्कृतियों का मिश्रण हुआ था और चीनी संस्कृति , भारतीय संस्कृति ,इस्लामी संस्कृति तथा यूरोपीय संस्कृति का साथ साथ विकास हुआ था और आपस में मिश्रण भी हुआ था , जिस से सिन्चांग में अपनी ज्वलंत विशेष पहचान वाली शानदार संस्कृति की उत्पत्ति हुई । विशेष प्राकृतिक स्थिति और जलवायु तथा बहुतत्वीय जातीय संस्कृतियों की विविधता हमेशा बड़ी संख्या में देशी विदेशी लोगों को अपनी ओर बरबस खींचती है। बेशक, बड़ी संख्या में विदेशी छात्र भी इस अनोखे प्रदेश में पढ़ने और घूमने के लिए आकर्षिक होते हैं । आज की अल्प संख्यक जाति कार्यक्रम के अन्तर्गत सिन्चांग का दौरा विशेष कार्यक्रम में आप सुनेंगे , सिन्चांग में पढ़ने आए विदेशी छात्रों का जीवन ।
पिछली शताब्दी के अस्सी वाले दशक से सिन्चांग वेवूर स्वयत्त प्रदेश ने विदेशी छात्रों को अपने यहां पढ़ने के लिए दाखिला देना शुरू किया , बीते दो दशकों में अमरीका , रूस , जापान , मलेशिया , सिन्गापुर , दक्षिण कोरिया , चेक , नार्वे ,सवीजरलैंड एवं मध्य एशिया के देश आदि 40 से ज्यादा देशों के कुल 5 हजार छात्र सिन्चांग में पढ़ने आ चुके हैं ।
सिन्चांग विश्वविद्यलय स्वायत्त प्रदेश का सब से बड़ा बहुविषीय उच्च शिक्षालय है , जहां सब से ज्यादा विदेशी छात्र पढ़ने आए हैं ।32 वर्षीय विदेशी छात्र ईगंड्रेन.गोवोन्दर दक्षिण अफ्रीका से आये है, वे लम्बे चौड़े ऊंचे कद वाला काला छात्र है और सिन्चांग विश्वविद्यलय में चीनी भाषा सीखते है , श्री गोवोन्दर इस से पहले दक्षिण पूर्व एशिया और यूरोप के बीस से अधिक देशों का दौरा कर चुका था , तीन साल पहले वे सिन्चांग भी आए थे । सिन्चांग के आलीशान बर्फीले पहाड़ों , अनोखी झीलों तथा सुन्दर मनोहक प्राकृतिक सौंदर्य ने उन्हें इस कदर आकर्षित किया है कि उन्हों ने सिन्चांग में पढ़ने आने का निश्चय किया । इस साल वे दोबारा सिन्चांग आ गए , इस बीच दो साल गुजरे थे , पर इन दो सालों के अल्प समय में सिन्चांग में जो भारी परिवर्तन आया है , उस ने उन का दिल भी जीता ।
श्री गोवोन्दर का कहना है कि सिन्चांग का विकास आश्चर्यजनक तेज गति से हो रहा है , खास कर सूचना तकनीकों तथा वास्तु उद्योग के तेज विकास ने उन्हें अचंभे में डाल दिया है । उन्हें विश्वास है कि सिन्चांग के विकास का उज्जवल भविषय होगा और उन्हों ने यहां अपने कैरियर विकसित करने का निश्चय किया । वे कहते हैः
मुझे सिन्चांग से गहरा लगाव हुआ है और मैं यहां काम करना चाहता हूं । मैं यहां के बच्चों को मनोविज्ञान, संस्कृति और भाषा की शिक्षा देना चाहता हूं । क्यों कि किसी भी देश का भविष्य बच्चों पर निर्भर करता है , विदेशी शिक्षकों द्वारा उन्हें पढ़ाये जाने से उन की दृष्टि और विविध खुलेगा, वे अपने से भिन्न हुई सभ्यता व संस्कृति की जानकारी पा सकते हैं और उन का ज्ञान भी विस्तृत और विविध बढ़ जा सकता है।
भौगोलिक सुविधा के कारण सिन्चांग में देश के दूसरे स्थानों से ज्यादा पाकिस्तान के छात्र दाखिल किये गए हैं । सिन्चांग मिडिकल विश्वविद्यालय में बहुत से पाक छात्र पढ़ते हैं । कालेज परिसर के विशाल घास मैदान में हमारी मुलाकात कुछ पाक छात्रों से हुई , जो वहां सुखद धूप में पुस्तकें पढ़ रहे हैं ।
25 वर्षीय हाफिज.नासूर .अहमेद थोड़ा श्याम रंग तथा घनी दाढ़ी वाला युवक है. बचपन में ही वह जानता था कि चीन पाक दोस्ती बढ़ रही है । उन का कहना है कि हरेक पाक छात्र चीन में पढ़ने आना चाहता है । सिन्चांग और पाकिस्तान बहुत नजदीक है और संस्कृति मिलती जुलती भी है । इन्ही कारण से वह सिन्चांग में पढ़ने आया है और वह मिडिकल विश्वविद्यालय की सुविधा पर बहुत संतुष्ट है । वे कहते हैः
मुझे सिन्चांग मिडिकल विश्विद्यालय में आए तीन साल हो गए हैं । मुझे खुद अनुभव हुआ है कि यहां की विभिन्न किस्मों की सुविधाएं लगातार बढ़ती गई है और अधीनस्थ अस्पताल का साजसामान अत्याधुनिक है और शिक्षक बड़ी जिम्मेदारी और लगन से हमें पढ़ाते हैं । यहां टीवी और इंटरनेट की अच्छी सुविधा उपलब्ध होती है । सिन्चांग के छात्र भी हम विदेशी छात्रों से बहुत बनते हैं और हमें मदद देने के लिए हर समय तैयार हैं ।
श्री हाफिज ने कहा कि सिन्चांग आने के शुरू में जीवन के तौर तरीकों की भिन्नता के कारण कुछ हास्याजनक बातें भी हुई थीं । जैसा कि वे जाड़ों के दिन भी चप्पल पहने बाहर जाते थे , शिक्षकों ने अनेक बार याद दिलायी कि यहां सिन्चांग के सदियों के दिल बहुत ठंडा है , बाहर निकलने के समय गर्म कपड़े और जूते पहनना चाहिए । वरना आसानी से सर्दी लग सकती है ।
21 वर्षीय मोहम्मद उमर युहिमेजी शक्ल सूरत में यूनानी से मिलता है और बहुत सुन्दर है । शांत मिजाजी युहिमेजी हमेशा उम्दा सुशील मुद्रा में काम करता है । लेकिन जब यहां आया था , शुरू शुरू में उस से भी हास्या हुआ था । वह नाइफ और फॉर्क के आदि है , चापस्तिक का प्रयोग नहीं जानता था । सिन्चांग का लुडल लेने के बाद वह कटोरे पर परोसे पतली पतली लुडल को चापस्तिक से किसी भी तरह अपने मुंह में डालने में असमर्थ रहा।
अब पाक छात्रों की सेवा में विश्वविद्यालय ने पाक रसोई बुला कर पाक खाना पकाने का प्रबंध किया , इस से वे अपना स्वाद का खाना मिल सकता है । सिन्चांग में रहते रहते सभी विदेशी छात्रों ने चापस्तिक से खाना खाने के तरीके पर अधिकार किया है , वे मनपसंद सिन्चांग के स्वादिष्ट पकवान का मजा ले सकते हैं । पाक छात्रों को सिन्चांग के पकवान से खास लगाव है । तला हुए मुर्गी मांस का तरकारी उन का विशेष पसंद व्यंजन है । उन्हों ने उसे पकाने का तरीका भी सीख लिया है , ताकि घर लौट कर वे खुद बना कर घरवालों को खिलाएंगे ।
सिन्चांग की विशेष अनोखे रीति रिवाजों और परम्पराओं ने पूर्व एशियाई देशों के छात्रों को विशेष आकर्षित किया है । इधर के सालों में दक्षिण कोरिया से बड़ी संख्या में छात्र पढ़ने यहां आये हैं और उन की संख्या में भी तेजी से वृद्धि हो रही है । सिन्चांह नार्मल विश्वविद्यालय में चीनी हान भाषा सीखने आए दक्षिण कोरियाई छात्र पोसियेंग को यहां आए डेढ़ साल हो गए । 23 वर्षीय पो सियेंग अब धारावाही चीनी भाषा बोल लेता है और उस का उच्चारण भी बहुत सटीक है । उन्हों ने चीनी भाषा में हमारे साथ बातचीत कीः
सिन्चांग वाले अच्छी तरह चीनी मानक भाषा बोलते हैं , यहां पढ़ने की फीस भी बहुत सस्ती है और शिक्षक हमारे साथ बहुत स्नेह और नेक व्यवहार करते हैं, जब एकांत समय घर की याद आती है , तो चीनी दोस्त घरवालों की भांति मुझे तल्लासी देते हैं और मुझे भोजन के लिए आमंत्रित करते हैं ।
दक्षिण कोरिया की छात्रा सुश्री छो सिजेंग एक चंचल और खुश मिजाजी छात्र है । सिन्चांग में उस के लिए सब से खुशगवार बात यह है कि उस ने चीनी व्यंजन बनाना सीखा है । उस ने कहा कि उस के कालेज की रिटायर हुई अध्यापिका ली श्यो मिंग उस की सिन्चांग दादी लगती है । उस ने इसी दादी के घर में चीनी तरकारी बनाना सीख लिया है । अब छो सिजेंग तला अंडा टमाटर आदि बनाने में दक्ष हुई है और चीनी विशेष व्यंजन चोजी बनाना भी आया है । सिन्चांग में इन सालों जो भारी परिवर्तन आया है , उस से वह बहुत प्रभावित हुई हैः
तीन साल पहले जब मैं सिन्चांग आयी थी , तो उस समय सार्वजनिक बसें बहुत पुरानी पड़ी थी , लेकिन इस बार जब ऊरूमुची आयी , तो पाया कि सभी बसें नई नई बदली गई हैं , सावर्जनिक बसों में टिकट कंडेक्टर की व्यवस्था भी नहीं है । शहर में नई नई इमारतें खड़ी नजर आयी और स्कूलों, कालेजों और होटलों व स्टेडियमों के मकान बहुत सुन्दर हैं । इस पर मैं बहुत आश्चर्यचकित हुई हूं ।
सिन्चांग ने अपनी विशेषता और विविधता से विश्व के विभिन्न् देशों के छात्रों को बरबस आर्षित किया है , इन विदेशी छात्रों ने सिन्चांग के भारी परिवर्तन को अपनी आंखों देखा है , साथ ही वे अपने अपने देश की संस्कृति यहां भी लाए औ र सिन्चांग की नयी छवि अपने देश में ले गए , इस प्रकार के आदान प्रदान से विश्व को सिन्चांग की असलियत अच्छी तरह मालूम हो गयी।
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