
चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की चर्चा में लोग एकदम वहां के पोताला मेहल और पवित्र जाशलुबू मठ की याद करते ही हैं। क्या आप जानते हैं कि तिब्बत स्वायत्त प्रदेश का लिन ची प्रिफ़ैक्चर भी एक ऐसा सुन्दर स्थल है, जिस के हरे पहाड़, नदी का स्वच्छ पानी और सुनहरा मौसम पर्यटकों को बहुत आकृष्ट करता है। सुन्दर प्राकृतिक दृश्यों वाले लिन में अनेक सांस्कृतिक धरोहरें भी हैं। इसके हरे पहाड़ों पर तिब्बती बौद्ध धर्म के प्राचीन मठ हैं। आज के इस कार्यक्रम में हम करेंगे लिन ची प्रिफ़ैक्चर का दौरा और महसूस करेंगे वहां का तिब्बती बौद्ध धर्म का विशेष वातावरण।

लिन ची प्रिफ़ैक्चर पहुंचने के दूसरे दिन दोपहर बाद हम वहां के पर्यटन मानचित्र के अनुसार चल कर पास के बांग ना नामक गांव गए, वहां की हस्तकला देखने। प्रांतीय मार्ग पर कोई आधा घंटा चलने के बाद हमारी कार ने पहाड़ी रास्ते पर चलना शुरू किया। ऐसे में कार में स्थिरता के साथ बैठना मुश्किल हो गया था और जब भी हम दूसरी कार के पास से गुज़रते उड़ती धूल के चलते आगे का रास्ता स्पष्ट रूप से नहीं देख पाते थे। इस रास्ते पर लगभग एक घंटे चलने के बाद हम ने एक मार्गनिर्देशक बोर्ड देखा, जिस पर "लिन ची का सब से प्राचीन मठ- दा ज मठ" शब्द लिखे थे। बोर्ड पहाड़ की चोटी की ओर का रास्ता दिखाता था, जहां कार का मार्ग नहीं लगता था। हमारी कार पहाड़ी मार्ग पर बने कारों के चिह्नों के अनुसार बड़ी मुश्किल से आगे बढ़ रही थी। पहाड़ पर से एक छोटी सी नदी कलकल करती नीचे आ रही थी और पहाड़ी मार्ग के किनारे जंगली फूल खिले हुए थे। हमारी कार पहाड़ी ढाल पर एक खाली जगह पहुंची, जहां एक सुन्दर मठ खड़ा था। यही दा ज मठ था। मठ के द्वार बंद थे और उनसे सूत्र पढ़ने की आवाज़ आ रही थी।

दा ज मठ पहाड़ी ढाल पर एक खाली जगह बसा हुआ है और दो मंजिला है। देखने में यह बहुत नया लगता है । इसलिए हमें लगा कि यह कैसे लिन ची का सब से प्राचीन मठ हो सकता है ? मठ के सामने के घास मैदान में 100 मीटर ऊंचा सूत्र का एक झंडा खड़ा था और मठ की बायीं ओर के कुछ छोटे मकानों से धुआं निकल रहा था। कई भिक्षु खाना पकाने में व्यस्त थे। दायीं ओर तीन मीटर ऊंची एक सफेद बौद्ध मूर्ति खड़ी थी, जो कांच से घिरी हुई थी। हरे वृक्षों, नीले आसमान और सूर्यास्त की रोशनी में यह सफ़ेद मूर्ति बहुत शांत और महान लग रही थी।
भिक्षुओं के सूत्र जाप की आवाज़ के बीच हम दा ज मठ के द्वार पर आए। दसियों भिक्षु आमने-सामने बैठे एक साथ सूत्र पढ़ रहे थे। कुछ भिक्षु सूत्रग्रंथ के पृष्ठों को उलट रहे थे, कुछ सूत्र चक्र लिये थे और कुछ ढोल बजा रहे थे। सूत्र जाप के दौरान मठ के भिक्षु विभिन्न वाद्यों पर धार्मिक संगीत भी बजाते हैं। यह संगीत बहुत शांत था और बहुत मधुर भी। लगा जैसे मठ के भिक्षुओं का वहां एक छोटा सा संगीतदल हो।

दा ज मठ के एक छोटे से कमरे में खाना पका रहे भिक्षु ने बताया कि इस मठ में यिंगफिन श्यांगबा नामक जीवित बुद्ध रहते हैं, जो दा ज मठ की जिम्मेदारी संभालते हैं। हमारे अनुरोध पर, जीवित बुद्ध ने हमसे बातचीत की। जीवित बुद्ध को चीनी भाषा नहीं आती इस कारण हमारे बीच अच्छी तरह बात नहीं हो सकती थी। इसलिए उनसे हमारे ड्राइवर तिब्बती बंधु तान जेन के माध्यम से हम ने इस मठ की जानकारी प्राप्त की ।
जीवित बुद्ध यिंगफिन श्यांगबा के अनुसार, इस मठ का इतिहास कोई एक हज़ार वर्ष पुराना है। पहले यह तिब्बती प्राकृतिक धर्म बोन का मठ था। प्राचीन मठ अब बिलकुल नष्ट हो गया है और उस के अंश नए मठ से कोई बीस मीटर ऊपर हैं। जीवित बुद्ध यिंगफिन श्यांगबा ने बताया कि वर्ष 1985 में वे सी छ्वुआन प्रांत के आ बा तिब्बती क्षेत्र से यहां आये और इस मठ का काम संभालने लगे। उसी समय उन्होंने प्राचीन मठ का जीर्णोद्धार किया। इस से यह मठ देखने में नया लगता है। मठ की एक तरफ़ खड़ी सफ़ेद बौद्ध मूर्ति वर्ष 2002 में तिब्बती बौद्ध धर्म के एक जीवित बुद्ध ने बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए विशेष रूप से यहां स्थापित की।
72 वर्षीय जीवित बुद्ध यिंगफिन श्यांगबा दिखने में बहुत स्वस्थ लगते हैं। उन्होंने हमें सूत्र भवन में आकर बहुत कुछ समझाया। सूत्र भवन में रखी तिब्बती बौद्ध धर्म की कई मूर्तियों में शाक्यमुनि की एक बड़ी मूर्ति भी थी जो घी के दिये की रोशनी में चमक रही थी। सूत्र भवन में थोड़ा सा अंधेरा था और उसमें भिक्षुओं के सूत्र पढ़ने की आवाज़ सुनाई दे रही थी। एक अनुयायी सूत्र भवन के दियों में तेल भर रहा था। शांत मुर्तियां, सूत्र पढ़ने वाले भिक्षु, घी के दिये की रोशनी......
पहाड़ पर खड़े इस मठ ने हमें आकृष्ट किया। हमें इतनी शांति महसूस हुई कि हमारा दिल यहां धुल सा गया।
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