जब उत्तरी सुङ राज्य किसान विद्रोहों का पूरी ताकत से दमन करने में लगा हुआ था, तो चीन के उत्तरपूर्वी क्षेत्र में रहने वाली न्वीचन जाति दिनोंदिन शक्तिशाली होती जा रही थी।
इस जाति के लोग अलग अलग कबीलों के रूप में लम्बे अरसे से हेइलुङ नदी के इलाके में रहते आए थे। बाद में उन में से वानयेन कबीला धीरे धीरे शक्तिशाली हो गया और उस ने आसपास के कबीलों को एक किया।
1114 में वानयेन कबीले के सरदार आकुता ने अपनी सेना के साथ हमलावर ल्याओ सेना से संघर्ष किया और उसके एक लाख सैनिकों को हरा दिया।
1115 में आकुता ने अपने को सम्राट घोषित कर दिया और किन राज्य (1115-1234) रायम किया।
उस ने ह्वेइनिङफ (वर्तमान हेइलूङच्याङ प्रान्त के आछङ शहर के दक्षिण में) को अपनी राजधानी बनाया और उस का नाम बदलकर शाङचिङ रखा। उस समय तक न्वीचन जाति की अपनी लिपि हो गई थी।
किन राज्य कायम होने के बाद उसके हमले ल्याओ राज्य पर लगातार जारी रहे।
1125 में उस ने ल्याओ राज्य पर कब्जा कर लिया और उसके सम्राट थ्येन च्वो को बन्दी बना लिया।
इसके बाद किन राज्य ने उत्तरी सुङ राज्य पर बड़े पै माने पर हमला शुऱू किया। किन फौजों ने उत्तरी सुङ की राजधानी प्येनचिङ पर कब्जा कर लिया और सम्राट छिनचुङ व उस के पिता सम्राट ह्वेइचुङ को , जो राजगद्दी छोङ चुका था, तथा उन के बहुत बडे बड़े अफसरों को बन्दी बना लिया।
इस से उत्तरी सुङ राजवंश के शासन का अन्त हो गया।
उसी साल सम्राट छिनचूङ का छोटा भाई चाओ कओ सम्राट की उपाधि धारण कर इङथ्येनफू ( वर्तमान हनान प्रान्त के शाङछ्यू शहर के दक्षिण ) में गद्दी पर बैठा ।
तब से वह सम्राट काओचुङ के नाम से मशहूर हुआ। बाद में उस ने लिनआन (वर्तमान हाङचओ) को अपनी राजधानी बनाया। इतिहास में यह राजवंश दक्षिणी सुङ राजवंश (1127-1279) कहलाता है।
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