• हिन्दी सेवा• चाइना रेडियो इंटरनेशनल
China Radio International
चीन की खबरें
विश्व समाचार
  आर्थिक समाचार
  संस्कृति
  विज्ञान व तकनीक
  खेल
  समाज

कारोबार-व्यापार

खेल और खिलाडी

चीन की अल्पसंख्यक जाति

विज्ञान, शिक्षा व स्वास्थ्य

सांस्कृतिक जीवन
(GMT+08:00) 2005-12-21 19:52:42    
फ्लू के विषाणु के प्रसार रोकने का प्रयास

cri

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हाल में आश्चर्यजनक खबर प्रकाशित की कि अमेरिका की एक जैव तकनीक कंपनी गत शरद से इस वसंत तक एच दो एन दो फ्लू नामक खतरनाक फ्लू के विषाणु को विश्व की कई हजार प्रयोगशालाओं में फैला चुकी है, जिससे विश्व भर में इस फ्लू के विस्तार की भारी आशंका है।

अमेरिकी रोगविज्ञानी संस्था हर वर्ष दूसरे देशों की प्रयोगशालाओं और चिकित्सा संस्थाओं को विभिन्न विषाणुओं के नमूने भेजती है , ताकि ये सभी संस्थाएं ऐसे नमूनों की गुणवत्ता की जांच कर सकें। गत शरद में अमेरिकी रोगविज्ञानी संस्था सोसाइटी ने विश्व की तीन हजार चिकित्सा संस्थाओं को विषाणुओं के नमूने भेजने का काम, मेरिडियन बाइओसाइंस नामक कंपनी को सौंपा। आम तौर पर ऐसे विषाणु नमूने खतरनाक नहीं होते। पर मेरिडियन बाइओसाइंस ने विश्व की कई हजार जगह एच दो एन दो फ्लू का विषाणु पहुंचा दिया। रिपोर्टें हैं कि अमेरिकी रोगविज्ञानी संस्था तथा मेरिडियन बाइओसाइंस के बीच संपर्क के अभाव से यह खतरनाक विषाणु विश्व भर में फैल गया ।

कनाडा की राजकीय सूक्ष्मजीव प्रयोगशाला को छब्बीस मार्च को इस अमेरिकी कंपनी से प्राप्त होने वाला विषाणु नमूना एच दो एन दो फ्लू के उस विषाणु का ही था, जिसे बहुत पहले विश्व से नष्ट किया जा चुका था। कनाडाई सरकार ने आठ अप्रैल को इसकी सूचना विश्व स्वास्थ्य संगठन और अमेरिकी रोग नियंत्रण केंद्र को दी। लेकिन इस विषाणु नमूने को दुनिया भर में भेजे जाने के कई महीने बाद केवल कनाडा की यह संस्था ही इस खतरनाक विषाणु के विस्तार का पता लगासकी, जबकि अन्य अधिकांश संस्थाओं ने समय पर इसकी जांच ही नहीं की।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक अमेरिकी कंपनी द्वारा फैलाये गये इस विषाणु से पैदा हुआ खतरा सार्स और पक्षियों के फ्लू एच पांच एन एक के विषाणुओं की तुलना में दूसरी श्रेणी का है। लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन के फ्लू विशेषज्ञ प्रोफेसर स्टोहर के मुताबिक अगर किसी प्रयोगशाला से एच दो एन दो फ्लू का विषाणु बाहर आया तो विश्व भर में इस खतरनाक फ्लू का प्रसार हो सकता है। और अगर यह खतरनाक विषाणु आतंकवादियों के हाथ में पड़ा तो विश्व में भयानक विपत्ति पैदा हो सकती है।

इतिहास में खतरनाक विषाणुओं के प्रसार की अनेक घटनाएं हो चुकी हैं। पूर्व सोवियत संघ की एक चिकित्सा संस्था से एक बार एंथ्रैकनोज नामक रोग के विषाणु के फैलने की घटना हुई। वर्ष दो हजार तीन और चार में सिंगापुर और चीन की चिकित्सा संस्थाओं से सार्स विषाणु के बाहर आने की घटनाएं सामने आईं। इन सब घटनाओं ने कुछ व्यक्तियों की जान भी ली। रिपोर्टें हैं कि चिकित्सा प्रयोगशालाओं में संयंत्रों के अभाव, प्रबंध की कमजोरी और व्यक्तियों की लापरवाही इन घटनाओं का प्रमुख कारण रही।

इसलिए चिकित्सा प्रयोगशालाओं की सुरक्षा एक बहुत महत्वपूर्ण विषय है। अमेरिकी कंपनी द्वारा एच दो एन दो फ्लू के विषाणु का प्रसार किये जाने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पूरी दुनिया के चिकित्सा प्रबंध विभागों से अपनी सुरक्षा व्यवस्था कड़ी करने की अपील की है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस बात पर भी विशेष जोर दिया है कि खतरनाक विषाणुओं को उच्चस्तरीय प्रयोगशालाओं में ही सुरक्षित रखा जाना चाहिये और इन चिकित्सा संस्थाओं में कार्यरत व्यक्तियों की सुरक्षा का भी कड़ा प्रबंध किया जाना चाहिये।