श्री शी श्वुन यीचीनी जन मुक्ति सेना में एक मशहूर संगीत लेखक है , जिस का जन्म चीन की राजधानी पेइचिंग में हुआ । वर्ष 1970 में उन्होंने चीनी जन मुक्ति सेना में भाग लिया । उन का साहित्यिक जीवन कविता लिखने से हुआ है , लेकिन बाद में उन्हें ऐसा अनुभव हुआ था कि अपनी किवता चीनी मुक्ति सेना के जवानों को मनोबल और प्रोत्साहन दिलाने में असमर्थ सिद्ध हुआ है । इसलिए कविता को छोड़ कर वे सैनिकों के लिए गीत संगीत के बोल लिखने लगे, और इस क्षेत्र में उन्हों ने जल्द ही अपनी प्रतिभा जाहिर की । गीत के बोल रचने में बड़ी संतोषजनक सफलता हासिल करने के फलस्वरूप वे चीनी जन मुक्ति सेना की वायु सेना के अधीनस्थ नृत्य गान मंडली में दाखिल दिये गए । इधर के वर्षों में उन्होंने"दिल की बातें" ," मेरे गांववासियो","मेरा दिल तुम्हारे साथ" और"मेरे सिपाही भाई"आदि गीतों के बोल लिखे , जिन में सैनिकों के जीवन का सजीव वर्णन किया गया, जो चीनी सैनिक जवानों में बहुत लोकप्रिय हो गए हैं ।
सैन्य संगीत लेखक के रूप में श्री शी श्वुन यी अक्सर विभिन्न फ़ौजी अड्डों में जाकर सैनिकों का असली जीवन जानने के लिए उन के साथ रहते हैं । उन की अनेक रचनाओं में चीनी जवानों के साधारण जीवन का वर्णन किया गया और उन की उत्तम भावना व उदारत्ता अभिव्यक्त हुई है । चीनी फ़ौजी शिविरों में सभी सैनिक उन से वाकिफ तो नहीं हो सकते , पर वे सभी उन के गीत गुनगुना सकते हैं । श्री शी श्वुन यी द्वारा रचे गए गीत चीनी सैनिकों के दिल को गहराई से छू लेते हैं । आगे आप ले लें श्री शी श्वु यी द्वारा लिखे एक और गीत का मज़ा । नाम है"दिल की बात कहूं"।
गीत---"दिल की बात कहूं "
गीत का भावार्थ कुछ इस प्रकार हैः
दिल की बात कहना चाहता हूं ,तो
कभी कभार घर की याद आती है,
घर में बुढ़ी मां है ।
दिल की बात कहना चाहता हूं , तो
प्रेमिका की याद सताती है ।
जब सिपाही बन गया हूं ,तो
भारी दायित्व है मेरे ऊपर ।
अगर कोई सिपाही नहीं बन जाए, तो
कौन मां व प्रेमिका की रक्षा करेगा,
अगर कोई सिपाही नहीं बन जाए, तो
कौन मातृभूमि व घर की रक्षा करेगा ।
श्री शी श्वुन यी की रचनाओं में सभी गीतों के बोल सुबोध ही नहीं, बल्कि बहुत भावोद्वेलिक भी होते हैं । उन की आशा है कि अपने गीत के हर शब्द श्रोताओं को स्नेह , प्यार और मनोरंजन पहुंचा सकता है । तो दोस्तो, आज का कार्यक्रम समाप्त होने के पूर्व आप सुनेंगे श्री शी श्वुन यी द्वारा रचित एक गीत । नाम है"एहसान"।
गीत--"एहसान"
गीत का भार्वाथ कुछ इस प्रकार हैः
मुझे पला बढ़ाया है तुम ने
मुझे शिक्षा दिलायी है तुम ने ।
तुम्हारी कड़ी मेहनत से मेरा विकास हुआ,
तुम्हारा प्यार कभी नहीं भूलूंगा
तुम्हारे एहसान से कृतज्ञ हूं हमेशा ।
तुम्हारे लिये न्यौछावर के तैयार हूं
तुम मेरी मातृभूमि, मेरी मां ।
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