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(GMT+08:00) 2005-12-20 13:55:43    
प्रथम चीन भारत आर्थिक व व्यापारिक विकास मंच पेइचिंग में उद्घाटित हुआ

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वर्ष 2005 प्रथम चीन भारत आर्थिक व व्यापारिक विकास मंच कुछ दिन पहले पेइचिंग में उद्घाटित हुआ । चीनी आर्थिक संपर्क केंद्र और भारत चीन व्यापार केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में आयोजिय इस में मंच में चीनी व भारतीय अधिकारी और उद्योग जगतों के लगभग दो सौ से ज्यादा व्यक्तियों ने इस में भाग लिया ।

चीनी आर्थिक संपर्क केंद्र के महानिदेशक श्री छाओ बाइ जुन, चीनी व्यापार संवर्द्धन संघ के सहायक अध्यक्ष वांग चिन जङ, भारत के महाराष्ट्र की आर्थिक विकास कमेटी के अध्यक्ष व भारत चीन व्यापर केंद्र के महानिदेशक श्री दोधार, भारतीय योजना आयोग के सदस्य डाक्टर अंवारुल हुदा, भारत चीन व्यापार केंद्र के महासचिव डाक्टर साकिब आदि चीनी व भारतीय अधिकारियों ने मंच के उद्घाटन समारोह में अलग अलग तौर पर भाषण दिये । इस तीन दिवसीय मंच में चीनी व भारतीय उद्यमियों ने दोनों देशों के बीच आर्थिक व व्यापारिक आदान प्रदान व व्यापार को आगे बढ़ाने आदि सवालों पर विचार विमर्श किया ।

चीनी आर्थिक संपर्क केंद्र के महानिदेशक श्री छाओ बाइ जुन ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि चीन व भारत दोनों देशों के बीच लम्बा मैत्रीपूर्ण ऐतिहासिक संबंध मौजूद है, और मैत्रीपूर्ण सहयोग की संभावनाएं बनी रही है ।

 उन का कहना है "एशिया में दो बड़े व प्राचीन देश के रूप में चीन और भारत के बीच लम्बा मौत्रीपूर्ण आवाजाही बरकरार रहा है । पीली नदी और गंगा नदी की संस्कृतियां विश्व की संस्कृति का अहम भाग हैं । इस ने दोनों देशों के मैत्रीपूर्ण संबंध व सहयोग के लिए मज़बूत नींव डाल दी है । इतिहास में भारतीय संस्कृति ने चीन पर बड़ा प्रभाव डाला । बौद्ध धर्म ही भारत से चीन आए, इस के साथ ही अनेक भारतीय विद्वानों व विचारकों ने चीनी संस्कृति पर बड़ा असर डाला । रवन्दरनाथ ठाकुर, और महात्मा गांधी जैसे महान व्यक्तियों ने चीन पर भी दूरगामी प्रभाव डाल दिया है । इस के साथ ही भारतीय संगीत , फिल्म चीन में भी बहुत ही लोकप्रिय हैं।"

श्री छाओ बाइ जुन ने कहा कि इधर के सालों में चीन भारत आर्थिक व व्यापारिक सहयोग में भारी प्रगति हुई है, विशेष कर वर्ष 2003 में भारत के पूर्व प्रधान मंत्री श्री वाजपेयी की चीन यात्रा से दोनों देशों के संबंध में नयी शक्ति का संचार किया गया है । जैसा कि श्री वाजपेयी ने चीन यात्रा के दौरान कहा था कि यदि भारत चीन आपसी सम्मान और मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखेंगे, तो 21वीं शताब्दी चीन और भारत की होकर ही रहेगी । इस बात से चीन भारत संबंधों को भारी प्रेरणा प्राप्त हुई है । श्री छाओ बाइ जुन ने कहा कि अब चीन भारत का चौतरफ़ा रणनीतिक साझेदारी जोरदार से आगे बढ़ रहा है , हमें पक्का विश्वास है कि चीन भारत व्यापार संबंध के विकास में भारी संभावनाएं मौजूद हैं ।

चीनी व्यापार संवर्द्धन संघ के सहायक अध्यक्ष वांग चिन जङ का विचार है कि चीन और भारत के बीच आर्थिक व व्यापारिक सहयोग को मज़बूत करने का भारी गुंजाइश है । उन का कहना है

"इधर के वर्षों में चीन और भारत विश्व के अर्थतंत्र में सब से तेज़ विकसित होते गये हैं , साथ ही इन दोनों देश कभी कभार विश्व का ध्यान आकृष्ट करते हैं । मेरा विचार है कि चीन और भारत के बीच आर्थिक व व्यापार सहयोग के विकास से दोनों देशों की जनता के बीच आवाजाही को बढ़ावा मिलेगा, आर्थिक व तकनीकी सहयोग का विकास किया जाएगा, और जनता के जीवन स्तर को भी उन्नत होगा ।"

श्री वांग चिन जङ ने कहा कि वर्ष 2003 में चीन और भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार सात अरब साठ करोड़ अमरीकी डालर था, जबकि वर्ष 2004 में वह बढ़कर 13 अरब सत्तर करोड़ अमरीकी डालर तक रहा, वर्ष 2005 के पहले नौ महीनों में गत वर्ष की कुल रकम को पार कर गया , वर्ष 2005 में दोनों देशों की व्यापार रकम बीस अरब अमरीकी डालर पहुंचने का अनुमाल है ।

भारत चीन व्यापर केंद्र के महानिदेशक श्री दोधार ने कहा है कि दोनों देशों के बीच संस्कृति, पर्यटन और व्यापार आदि क्षेत्रों में सहयोग को मज़बूत किया जाना चाहिए । क्यों कि इक्कीसवीं सदी में भारत और चीन एक केंद्र बिंदु बन जाएंगे, दोनों देशों के लोगों को इक्ट्ठा करना चाहिए , उन्होंने कहा

चीनी व्य़ापार श्री फ़ाहद नयी दिल्ली स्थित एक चीनी माल परिवर्हन कंपनी के स्थाई प्रतिनिधि है । उन्होंने कहा कि इधर के वर्षों में चीन और भारत के बीच व्यापारिक वृद्धि तेज़ रही । विशेष कर वर्ष 2003 से वर्ष 2004 तक व्यापारिक वृद्धि अस्सी प्रतिशत पहुंच गयी । उन का कहना है

"हम दोनों देशों की कंपनियों के बीच व्यापार के लिले मालों का आदान प्रदान करना जरूरी है । मेरा विचार है कि व्यापार की वृद्धि से मालों के परिवहन को भी बढ़ेगा ।"

मौजूदा सम्मेलन में भाग लेने वाले व्यक्तियों के विचार में चीन और भारत के बीच भविष्य में आर्थिक व व्यापारिक सहयोग का दायरा और विस्तृत होगा । दोनों देशों के बीच आर्थिक व व्यापारिक सहयोग का भविष्य बहुत उज्ज्वल है ।