16 दिसम्बर को प्रातः दस बजे मैं चीन ही नहीं विश्व की सब से विशाल और प्राचीन लम्बी दीवार देखना गया। मेरे साथ सी आर आई हिन्दी विभाग की दो नई सहयोगी सुश्री ललिता और सुश्री वनिता भी थीं। दीवार देखने से पूग्व हमें बताया गया था कि वहां अधिक सर्दी और तेज़ हवा है, इसलिए, ज्यादा कपड़े पहन कर जाना। हम लोग पुरी तैयारी के साथ वहां पहुंचे, मन में बहुत समय से लम्बी दीवार देखने की तमन्ना थी, जब हम शहर से बाहर पहुंचे, तो लगभग 20 कि.मि. पहले से ही विशाल काला पहाज़ दिखाई देने लगा, जैसे जैसे दीवार के निकट पहुंच रहा था। मन खुशी से आप से बाहर हो रहा था। दुर से ही लम्बी दीवार दिखाई देने लगी थी। दुर से सांप की भांति टेढ़ी मेढ़ी पहाड़ से लटकती दीवार दुर से नहर के समान लग रही थी।
हम लोग पहाड़ों के मध्य से होते हुए लम्बी दीवार के पास पहुंचे, तो दीवार में जल्दी चढ़ने की आरज़ू हुई। जल्द ही वह समय आ गया, जब मैं इस इतीहासिक लम्बी दीवार के साथ जुड़ गया दीवार पर चढ़ कर ऐसा लगा, मानों मैं ने कोई किला जीत लिया दीवार की सीढ़ियां दर सीढ़ियां चढ़ता गया, पैर थक गया था, परन्तु मन अभी नहीं थका था, मेरे साथ चल रही दोनों साथी वनिता और ललिता भी थक गई थी। मगर मेरे उत्साह को देखते हुए वो दोनों थी मैने साथ चल रही थी। मैंने देखा कि बुढ़े बच्चे सभी उस पर अपनी हमला के अनुसार चढ़ रहे थे, मैंने जैसा सोचा और सुना था, उस से कहीं अधिक बढ़ियां पाया। हम लोग वहां लगभग डेढ़ घंटे तक रहे, फिर वापस कार्यक्रम के अनुसार पेइचिंग की मुस्लिम सड़क देखने चले गये। वहां हम लोगों ने मुस्लिम रेस्तरां में खाना खाया, चुंकि शुक्रवार का दिन था, इसलिए, मैंने वही पर एक मस्जिद में गुमें की नमाज़ पढ़ा।
मैंने चीन की अल्पसंख्यक जातियां कार्यक्रम में दीदी चाओह्वा की रिपोर्ट में मुस्लिम सड़क के बारे में सुना था, तभी से इसे देखने की ख्वाहिश थी। वहां मैंने मुस्लिम स्कूल और मुस्लिम सुपर मार्केट भी देखा न्युजी नामक मुस्लिम सुपर मार्किट बहुद बड़ी थी, हर प्रकार की वस्दु वहां मिल रही थी। 600 मीटर लम्बी 40 मीटर चौड़ी मुस्लिम सड़क को देख कर मन को शान्ति मिली।
|