• हिन्दी सेवा• चाइना रेडियो इंटरनेशनल
China Radio International Monday   Jun 2th   2025  
चीन की खबरें
विश्व समाचार
  आर्थिक समाचार
  संस्कृति
  विज्ञान व तकनीक
  खेल
  समाज

कारोबार-व्यापार

खेल और खिलाडी

चीन की अल्पसंख्यक जाति

विज्ञान, शिक्षा व स्वास्थ्य

सांस्कृतिक जीवन
(GMT+08:00) 2005-12-16 18:07:38    
आजमी पेइचिंग यात्रा में---तीसरा भाग

cri
आज मेरी चीन यात्रा का तीसरा दिन है। कल मैंने पेइचिंग में चीन का मशहुर समर पैलेस देखा। हम ने कार्यक्रमों में समर पैलेस के बारे में बहुत कुछ सुन रखा था। मन में की वर्षों से इस प्रसिद्ध स्थल को देखने की लालसा थी। ज्ञात हो कि कल समर पैलेस जाने से पुर्व CRI हिन्दी विभाग के अध्यक्ष श्री हुमीन जी तथा दीदी चाओ ह्वा ने मुझे विशेष पुरुस्कार का सर्टिफिकेट एवं उपहार स्वरुप डिजिटल कैमरा व CRI अंकित कोट भेंट की तथा CRI एशिया विभाग के नेता ने एक शान्दार रेस्टोरेन्ट में दोपहर के खाने की पार्टी दी , जिस में CRI के कई कमी शामिल हुए। समर पैलेस जब मैं सुश्री चन्द्रिमा जी के साथ पहुंचा, तो सर्दी की जहरदस्त लहर थी । हालांकि मैंने शरीर पर काफी कपड़े पहले थे, प्रन्तु वहां की ठण्ड से बचने के लिए पर्याप्त नहीं थे। खैर हमलोग समर पैलेस में उत्साहित प्रन्तु ठण्ड से दांत बजाते हुए पहंचे। दो अन्दर का दृश्य प्राचीन काल को मुंह बोलता सबूत नजर आया। पुरानी छींग राजवंशकी मुर्तीयां क्लाकृति देखने को बन रही थी। लड़की की एक विशाल गैलरी जो लगभग 700 मोटर लम्बी थी में भांति भांति की मुर्तियों पशु पक्षी को देखा कहीं युद्ध को दरशाती चित्र को कही शाही अन्दाजी की कलाकृति थी। गैलरी के ठीक लगा कर एक बड़ी बेनाम शील थी। सर्दी के कारण शील का पानी बर्फ की तरह जम गया था। बर्फ की पर्ट ट्रतनी मोटी थी कि लोग उस पर पैदल चल रहे थे।मैंने भी बर्फ पर चलने के लिए सोचा प्रन्तु सद्री के कारण हिम्मत जवाब दे गई। हम ने शील के किनारे पर नाव देखा जो बर्फ में पुरी तरह जमी हुई थी। बड़ी बड़ी नाव ड्रैगन के रुप की देखकर अच्छा लगा। दो छोटे छोटे पोखरे देखे, जो बर्फ से ठके हुए थे। बर्फ की पर्त मोटी होने के कारण लोग उस पर दोपहियां भी चला रहे थे। और आगे बढ़े, तो घने पेड़ों का बगीचा देखा, जिन की पलियांग सर्दी के की वजह से झड़ गई थी। बहुत पुराने पुराने पेड़ देखने को मिले एक प्रदर्शनी भी देखी, जो चीनी गुड़ीयों से सजी थी, चीन की अल्पसंख्यक जातियों के भेषभाव को दर्शाती गुड़ीयां ऐसी थी, मानों अभी बोल देंगी। सर्दी के मौसम में पर्यटकों की संख्या कुछ कम थी, प्रन्तु शान्त माहॉल में घुमना अच्छा लगा। सुश्री चन्द्रिमा जी ने मेरा भरपुर सहयोग किया, हर जगह इतिहासिक तथ्यों से परिचित कराया। साथ उन्होंने दो तीन हिन्दी गीत भी अपनी मधुर आवाज़ में सुनाया।
Post Your Comments

Your Name:

E-mail:

Comments:

© China Radio International.CRI. All Rights Reserved.
16A Shijingshan Road, Beijing, China. 100040