प्राचीन चीन के क्वेचाओं प्रांत में गंधा नहीं था । एक साल एक व्यापारी दूसरी जगह से एक गंधा वहां ले आया ।
क्वे चाओ में पहाड़ ज्यादा थे , वहां गंधा किस काम का नहीं आ सकता था ,इसलिए गंधा पहाड़ की तलहटी में स्वतंत्र छोड़ा गया । पहाड़ी तलहटी में गंधा बड़े चाव से घास चरा रहा था ।
एक दिन पहाड़ पर एक बाघ आया , क्वे चाओ के बाघ ने कभी भी गंधा नहीं देखा , उसे मालूम नहीं था कि गंधा जितना बड़ा जानवर क्या है ।
सो अचानक उस से मुलाकात पर बाघ एकदम घबराने लगा , वह समझता था कि यह कोई देवता होगा । बाघ तुरंत पेड़ों की ओट में जा छिपा और रह रह कर गंधे की ओर झांकता रहा था कि गंधा अखिर क्या कर सकता है ।
एक दिन गुजरा , बाघ को गंधे में किसी असामान्य विशेषता का पता नहीं लगा । तीसरा दिन आया , बाघ दबे पांव में पेड़ों की छांह से बाहर निकला और गंधे के थोड़े नजदीक जा पहुंचा , उस के दिल में गंधा की असलियत जानने की इच्छा हुई , थोड़े कुछ कदम आगे बढ़ने पर गंधे ने जोर का हुंकार मारा , इस प्रकार की भयानक आवाज से डर कर बाघ पीछे मुड़ कर भागने लगा , एक ही सांस में बाघ दूर दूर भाग जाने के बाद रूक गया , उस ने पाया कि गंधे की ओर से कोई भी हरकत नहीं हुई , तो बाघ फिर बड़ी सावधानी से गंधा के निकट लौट आया ।
धीरे धीरे बाघ गंधे के हुंकार सुनने के आदि हो गया , उस का डर काफी हद तक गायब हो गया । फिर वह हिम्मत जुटा कर गंधा के और पास जा पहुंचा , शुरू शुरू में बाघ ने अपने पंजों से गंधे से छेड़छाड़ करने की कोशिश की , फिर गंधे को शरीर से टक्करा देने की कोशिश कर रहा था , इस से गंधे को बड़ा क्रोध आया , उस ने अपने पिछड़े पांव से बाघ पर लात मारा , बाघ बड़ी आसानी से गंधे की लात से बच गया और दिल बहुत खुशगवार हो गया कि वाह , इस विशाल जानवर में कुछ खास शक्ति नहीं है ।
इसी क्षण भूखों से बुरी तरह पीड़ित बाघ भयानक हुंकार मार कर झट से गंधे पर टूट पड़ा , उस ने गंधे के गले को तेज दांतों से फाड़ कर उसे जान से मार डाला और भर पेट खाया । इस के बाद बाघ बड़े संतोष के साथ पहाड़ में चल गया ।
दोस्तो , गंधा को इसलिए अपनी जान गंवानी पड़ी थी , क्यों कि उस की अपनी रक्षा के लिए कोई भी क्षमता नहीं थी । देखने में गंधे का काया बहुत विशाल था , पर यह मात्र बाहरी रूप था , दरअसल दूसरे जानवरों से संघर्ष करने के लिए असली शक्ति की जरूरत थी ।
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