13 दिसम्बर मेरे जीनव का एक ऐसा ऐतिहासिक दिन है , जो मेरे लिये ही नहीं , मेरे परिवार के लिये गर्व की बात की है । आज मैं सायं पांच बजे उस देश की यात्रा के लिये नयी दिल्ली स्थित इन्दिरा गांधी एयर पोर्ट पहुंचा , जिस की आरजू मुझे बचपन से ही थी , चीन के बारे में मैं ने बचपन से ही अनेक प्रकार की बातें सुन रखी थीं और आज उसी देश की यात्रा पर निकला था । यह अवसर चाइना रेडियो इंटरनैशनल हिन्दी विभाग ने मुझे दिया है । नयी दिल्ली से चाइना इस्टर्न हवाई जहाज से मेरी टिकट थी फ्लाइट समय 9 बजकर 25 मिनट था , परंतु फ्लाइट 30 मिनट लेट था , मेरे मन में इस कदर उत्सुकता थी कि तीन मिनट की देरी मुझे तीस घेटा लग रही थी । खैर दस बजे की वह घड़ी आ गयी , जब मैं प्रथम बार हवाई जहाज पर बैठने का अनुभव कर रहा था । ठीक दस बजे हवाई जहाज शांगहाई एयरपोर्ट पर उतर रहा था । मैं जहाज की खिड़की से ही शांगहाई का नजारा कर रहा था । सुबह की पहली किरण पड़ने से पहले धुंध में शांगहाई का रोशनी से नहाया नजारा देखने लायक था ।
शांगहाई से फ्लाइट बदलकर मैं चीनी समय के अनुसार दस बजे के आसपास चीन की राजधानी पेइचिंग पहुंचा । रास्ते में एक पल भी मैं सोया नहीं , मन खुशी और पेइचिंग जाने की उत्सुकता ने मुझे रात भर जगाये रखा । पेइचिंग एयरपोर्ट पर सारी औपचारिकताएँ पूरी कर जब मैं इस सुंदर हवाई अडडे से बाहर निकला , तो इधर उधर देखने लगा कि सी आर आई से कोई दिखाई दे, इस बीच आजमी जी आजमी की आवाज सुनाई दी , दायं तरफ पलटकर देखा को दीदी चाओ ह्वा और दीदी श्याओ थांग प्रसन्न मुद्रा में दिखाई दीं कि उन्हों ने मुझे पेइचिंग की कड़ाके की सर्दी से बचने के लिये गर्म रूईदार कपड़े , टीपी और दस्ताने आदि अपने हाथों से पहनाया ।
फिर मुझे सी आर आई स्टुडियो में जाने का अवसर मिला , जहां समस्त गणमान्य सदस्यों ने गर्मजोशी से मेरा स्वागत किया ।
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