प्रिय दोस्तो , चीन का भ्रमण कार्यक्रम अपने सभी मित्रों का अभिवादन करता है । आज के कार्यक्रम में हम आप को उत्तरी चीन में स्थित चाओ श्येन नामक एक छोटे नगर ले चलेंगे। चाओ श्येन नगर उत्तरी चीन के हपे प्रांत के मध्य-दक्षिण में स्थित है और उस का इतिहास कोई दो हजार पांच सौ वर्ष पुराना है। इस छोटे नगर की दो मशहूर धरोहरें आज तक अच्छी तरह सुरक्षित हैं। इन में से एक है एक हजार चार सौ वर्ष पुराना चाओ चओ पुल और दूसरी है हजार वर्ष पुराना पो लिन मठ। चाओ चओ पुल चाओ श्येन के दक्षिणी भाग में है। हालांकि वह हजार वर्ष से भी अधिक पुराना है, पर हू-ब-हू संरक्षित है और विश्व का सब से पुराना गोलाकार पत्थर पुल माना जाता है। चाओ चओ पुल पत्थरों से निर्मित है, इसलिए स्थानीय लोग इसे बड़ा पत्थर पुल भी कहते हैं। देखने में वह एक छेद वाला पत्थर पुल जान पड़ता है, पर गौर से देखने पर आम पुलों से अलग लगता है। छेद से पुल के ऊपर तक पत्थर बिछाने के बजाय दोनों तरफ दो बराबर गोलाकार ढांचे बनाये गये हैं । इस अनोखे डिजाइन से पुल के निर्माण में बड़ी तादाद में पत्थरों की किफायत ही नहीं की गयी, पुल का भार लगभग पांच सौ टन कम किया जा सका और साथ ही बाढ़ के पुल को नुकसान पहुंचाने की शक्ति को कमजोर बना कर पुल की सुरक्षा सुनिश्चित की गयी। अतीत के कोई एक हजार चार सौ वर्षों में चाओ चओ पुल ने दस बार भयंकर बाढ़, आठ बार युद्ध और अनेक बार भूकम्पों का सामना किया, पर इस के बावजूद वह आज तक अच्छी तरह सुरक्षित रहा, जो सच में कमाल की एक बात है। उस का डिजाइन भी आज तक विश्व के पुलों के इतिहास में अपना विशेष स्थान बनाये रखे है। यूरोप में इस प्रकार के गोलाकार पुलों का निर्माण 18 वीं शताब्दी में शुरू हुआ। ऐतिहासिक ग्रंथों के अनुसार चाओ चओ पुल का निर्माण चीन के प्रसिद्ध प्राचीन नक्काश ली छुन ने दूसरे अनुभवी नक्काशों का नेतृत्व कर किया। बहुत से लोग मानते हैं कि इतने आश्चर्यजनक टिकाऊ पुल को मानव शक्ति बनाने में असमर्थ रही होगी। इसलिए स्थानीय लोगों की मान्यता है कि इस पुल के निर्माता चीन की भवन निर्माण कला के संस्थापक लू पान रहे होंगे। हमारी गाइड ऊ फिंग श्या ने बताया कि इस किम्वदंती के अनुसार असाधारण पुल निर्माता लू पान ने केवल एक रात में इस पुल का निर्माण पूरा किया, पर स्वर्ग के देवता को इस खबर पर विश्वास नहीं हुआ, इसलिए वे इस पुल की जांच के लिए धरती पर आये। उन में से काष्ठ देवता इस पुल पर अपना एकपहिया रथ ढकेलते समय असावधानीवश गिर पड़े। हमारे गाइड ऊ फिंग श्या ने पुल पर छोड़ी गयी एक लकीर की ओर इशारा करते हुए कहा कि देखिए, यह उस रथ के पहिये की लकीर है। कहा जाता है कि काष्ठ देवता के रथ पर पांच बड़े पर्वत रखे थे। यह लकीर पुल पार करते समय एकपहिये रथ ने छोड़ी। और वहां पर देखिए, वह गोलाकार गड्ढा काष्ठ देवता के घुटने की छाप है। काष्ठ देवता के एकपहिया रथ पर पांच बड़े पर्वत थे और उसे ढकेलना बहुत कठिन था, इसीलिए पुल पार करते समय वे पांव फिसलने के कारण गिर पड़े और उनके घुटने की छाप बड़े गड्ढे के रूप में पुल पर पड़ी। पुल पर हमें सचमुच इस किम्वदंती में प्रचलित एक पहिया रथ की लकीर और घुटने की छाप दिखाई दी, पर हमें मालूम है कि इन का किसी देवता से कोई वास्ता नहीं है। गाय चराना नामक एक चीनी लोकगीत में भी इस कहानी की चर्चा हुई है।
गीत के बोल हैं, चाओ चओ पुल लू पान दादा ने बनाया, संगमरमर की बाड़ आचार्य ने खड़ी की, देवता चांग क्वो लौ के कंधे पर सवार होकर पुल के पार गये और काष्ठ देवता के एकपहिया रथ ने पुल पर एक लकीर छोड़ी।
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