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करनाल हरियाणा के रेणु वाला ने हमें लिखे पत्र में कहा कि मैं आपको एक बात विशेष तौर पर लिख रही हूं कि मैं सी .आर .आई को लगभग साढे आठ वर्ष बाद पत्र लिख रही हूं . यद्यपि अकसर प्रोग्राम सुन लेती थी । पर अब की बार मैं ने प्रोग्राम भी बड़े दिनों बाद सुना है , सुन कर सुखद आश्चर्य हुआ कि कार्यक्रम के रोजाना चार सभा प्रसारित किए जाने लगे ।
इस की प्रसारण गुणवत्ता भी सभी विदेशी प्रसारणों से बहुत अधिक उत्तम है . यहां हमेशा से ही इस का प्रसारण बेहद साफ सुना जाता है । पहले दीदी सुनइंग पत्रोत्तर प्रस्तुत करती थी , उन के अनेकों पत्र मेरे पास स्मृति चिंह के रूप में संग्रहित है . मैं ने 1985 से 1996 तक अनेकों प्रतियोगिताओं में भी भाग लिया था । चीन और भारत दोनों ही प्राचीन सभ्यता व संस्कृति के द्योतक राष्ट्र है। चीन के निरंतर विकास व औद्योगिक प्रगति के विषय में मैं स्थानीय समाचारों में पढ़ती रहती हूं । चीनी रेडियो का प्रसारण दोनों देशों की जनता के मध्य एक प्रेम सेतु है । चीनी उद्घोषकों की प्रेम का हिन्दी उच्चारण मन को छू लेता है और ज्ञानवर्धक सामग्री ज्ञान बताती है । आप से निवेदन है कि मेरे पत्र को अपने कार्यक्रम में पुनः शामिल करें । निस्संदेह , सी .आर .आई से पुनः जुड़ना मुझे बड़ा सुखद लग रहा है
रेणु वाला जी , आप के पुनः सी .आर .आई हिन्दी विभाग से संपर्क कायम करने पर हमें बड़ी खुशी हुई है . हम आप का फिर से रेडियो चाइना से जुड़ने तथा हमें पत्र लिखने के लिए हार्दिक स्वागत करते हैं और आप हमारी पुरानी श्रोता है , हमें विश्वास है कि आप की सी .आर. आई के साथ वर्षों से कायम दोस्ती जरूर और विकसित होगी ।
ढोली सकरा बिहार के दीपक कुमार दास ने हमें लिखे पत्र में कहा कि चाओहवा दीदी के स्वर में लावलोंग मठ के सौंदर्य की चर्चा काफी रोचक और मनोरंजक सुन कर दिल बाग बाग हो उठा । लावलोंग मठ के पास गुजरने वाली नदी कलकल करती मानो आकाश से परी का आगमन हो रहा हो । हरे रंग से बने भवन की कल्पना भी मिठ्ठी होती है । लावलोंग मठ की चिकित्सा संस्थान तिब्बती परम्परा का प्रतीक है , जो सारे दक्षिण एशिया का गर्व का प्रतीक है । लावलोंग मठ में पहले भाग में छात्रों का प्रशिक्षण भवन है ,तीसरे भवन में पूजा पाठ की जाती है , जो देखने में बड़ा मोहक है । वहां के लोग औषधि की खोज जंगलों में करते हैं । आज रसायन का युग है ,जंगली जड़ी बुटी की औषधि को भूला गया है ।
लावलोंग मठ में बौध भिक्षु अपना पूजा अर्थना बड़े लगन एवं ध्यान से करते हैं । बड़ी आश्चर्य की बात है कि बौध भिक्षु बौध शास्त्र पढ़ते हैं और मठ की तीन चक्कर लगाते हैं । इस से अत्पम शांति की प्राप्ति होती है । लावलोंग मठ चीन का प्राचीन अवशेष का प्रतीक है ।
मऊ उत्तर प्रदेश के जफर हैदर ने हमें लिखे पत्र में कहा कि हम सी .आर .आई के हिन्दी प्रसारण से अच्छी तरह आनंद उठा रहे हैं । हिन्दी विभाग से प्रस्तुत किए जाने वाले सभी कार्यक्रम ज्ञानवर्धक , मनोरंजक एवं जानकारियों से पूर्ण होते हैं ।
आप समझ रहे होंगे कि हम लोग सिर्फ पत्र लिखने और रेडियो सुनने के और कोई काम नहीं करते , जबकि हम लोग भी काम करते हैं , मगर सी .आर .आई हमारी सांस के साथ साथ रहता है। आप लोग हम से कोसों दूर है और आप हमारे रंग व रूप से वंचित नहीं , मगर मुहब्बत और प्रेम रंग व रूप और फासले के मुहताज नहीं है ।
हम हर अवसर पर सी .आर .आई को परिचित कराना नहीं भूलते , आप के कार्यक्रम बड़े अनोखे अंदाज में प्रस्तुत किए जाते हैं ।
आजमगढ़ उत्तर प्रदेश के मुहम्मह शाहिद आजमी ने हमें लिखे में कहा कि विज्ञान , शिक्षा व स्वास्थ्य कार्यक्रम में रक्तदान पर काफी सार्थक और उपयोगी चर्चा सुनने को मिली । वास्तव में रक्तदान से स्वास्थ्य पर कोई विपरित असर नहीं पड़ता है । अस्पतालों में अक्सर मरीजों को रक्त की भारी आवश्यकता होती है । हम अगर यह मन में सोच ले कि हमारा रक्त दान किसी की जान बचा सकता है , तो जरूर हम रक्त दान के लिए आगे आएंगे । माननीय श्री हुमीन और रिजवान आफताब जी ने रक्तदान जैसे महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा कर हमें इसे गंभीरता से लेने की प्रेरणा दी है ।
साप्ताहिक कार्यक्रम चीन की अल्पसंख्यक जाति में चीन की 55 अल्पसंख्यक जातियों में एक जाति ई जाति पर बहुत ही रोचक और ज्ञानवर्धक रिपोर्ट सुना । ई जाति की इंटरनेट वेबसाइट से संबंधित विस्तारपूर्वक जानकारी इस रिपोर्ट के माध्यम से मिली । श्री ख्वान पिन शान जी द्वारा ई जाति पर बनायी गई वेबसाइट पर ई जाति के इतिहास , संस्कृति तथा जनजीवन भी जानने को मिला , अंग्रेजी व हान भाषा में भी जानकारी उपलब्ध है । चीन की यह अल्पसंख्यक जाति भी इंटरनेट से जुड़ी है , इस से ज्ञात होता है कि चीन की अल्पसंख्यक जातियां तेजी से विकास की ओर अग्रसर है । ई जाति के वेबसाइट पर जानकारी देने के लिए चाओहवा दीदी को बहुत बहुत शुक्रिया ।

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