• हिन्दी सेवा• चाइना रेडियो इंटरनेशनल
China Radio International
चीन की खबरें
विश्व समाचार
  आर्थिक समाचार
  संस्कृति
  विज्ञान व तकनीक
  खेल
  समाज

कारोबार-व्यापार

खेल और खिलाडी

चीन की अल्पसंख्यक जाति

विज्ञान, शिक्षा व स्वास्थ्य

सांस्कृतिक जीवन
(GMT+08:00) 2005-12-13 08:44:54    
सार्वजनिक शिक्षा पर विश्व का ध्यान

cri

युनेस्को का पांचवां सार्वजनिक शिक्षा उच्च स्तरीय सम्मेलन नवम्बर की 28 तारीख को चीन की राजधानी पेइचिंग में उद्धाटित हुआ। विश्व के विभिन्न देशों से आए शिक्षा क्षेत्र के अधिकारियों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों ने सार्वजनिक शिक्षा, विशेषकर ग्रामीण शिक्षा व निरक्षरता निवारण के मामलों पर व्यापक रूप से विचारों का आदान प्रदान किया।

वर्ष उन्नीस सौ नब्बे में युनेस्को समेत अनेक अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने थाईलैंड में विश्व सार्वजनिक शिक्षा सम्मेलन आयोजित किया , जिस में स्पष्ट रूप से सार्वजनिक शिक्षा की विचारधारा पेश की गयी । सार्वजनिक शिक्षा के विष्यों में व्यस्क लोगों में निरक्षरता निवारण , प्रारंभिक स्तरीय शिक्षा का प्रसार करना और पुरूषों व महिलाओं के बीच शिक्षा के क्षेत्र में मौजूद भेदभाव को दूर करना आदि शामिल है ।

सार्वजनिक शिक्षा एक देश के भविष्य के लिए भारी महत्व रखती है । इधर के वर्षों में विभिन्न देश विशेषकर विकासशील देश इस मसले पर खासा ज्यादा ध्यान दे रहे हैं । चीन ने इस क्षेत्र में भारी प्रगति हासिल कर ली । सूत्रों के अनुसार, वर्ष दो हज़ार चार तक चीन में नौ साल की अनिवार्य शिक्षा दर कुल जनसंख्या में चौरान्वे प्रतिशत पहुंची थी । पिछले 15 सालों की कोशिशों के फलस्वरूप नौ करोड़ चालीस लाख निरक्षर लोगों को साक्षार किया जा चुका है , चीन में युवा निरक्षरता दर चार प्रतिशत तक घट गयी है ।

चीन विकासशिल देश के रूप में अपनी सार्जवनिक शिक्षा के विकास के साथ अन्य विकासशील देशों की यथा संभव सहायता भी प्रदान कर रहा है । इस की चर्चा में चीनी प्रधान मंत्री श्री वन चा पाओ ने युनेस्को के पांचवें सार्वजनिक शिक्षा उच्च स्तरीय सम्मेलन के उद्धाटन समारोह में भाषण देते हुए कहा

"चीन सर्वप्रथम अपने देश में आए विकासशील देशों के स्कूली कुलपतियों व अध्यापकों के प्रशिक्षण के पैमाने का विस्तार करेगा, उन की संख्या वर्तमान के 500 से बढ़ा कर 1500 कर देगा। चीन युनेस्को के अफ्रीकी कार्यक्षमता विकास केंद्र और बाल महीला शिक्षा केंद्र को दस लाख अमरीकी डालर की सहायता देगा। चीन विकासशील देशों की आवश्कता के अनुसार, आगामी तीन सालों के भीतर विकासशील देशों में 100 ग्रामीण स्कूलों के निर्माण की सहाया देगा और शिक्षा के जरूरी साजसामान प्रदान करेगा ।"

चीनी प्रधान मंत्री वन च्या बाओ के भाषण ने सम्मेलन में उपस्थित शिक्षा मंत्रियों पर बड़ा प्रभाव डाला । सम्मेलन में भाग लेने वाले बंगलादेश के शिक्षा मंत्री ओस्मान फारूक ने इस की प्रशंसा करते हुए कहा

"मेरा विचार है कि चीनी प्रधान मंत्री का भाषण सम्मेलन की सब से बड़ी उपलब्धि है । सम्मेलन की सफलता चीन की सक्रिय भागीदारी से अलग नहीं की जा सकती । सम्मेलन में चीन ने विकासशील देशों को शिक्षा की सहायता के लिए धन राशि का अनुदान करने का वचन दिया, और इस के अलावा वह प्राध्यापकों के प्रशिक्षण और अन्य तरीकों से विकासशील देशों को सहायता प्रदान करेगा । हम चीन के इस कदम का स्वागत करते हैं ।"

सम्मेलन में भारत और पाकिस्तान के शिक्षा अधिकारियों ने भी भाग लिया । उन्होंने दक्षिण एशियाई क्षेत्र में इधर के सालों में सार्वजनिक शिक्षा में प्राप्त उपलब्बधियों का सिन्हावलोकन किया और इस क्षेत्र में मौजूद कमियों को भी रेखांकित किया ।

दक्षिण एशियाई देशों ने विकासशील देशों के रूप में इधर के वर्षों में सार्वजनिक शिक्षा को बहुत बड़ा महत्व दिया है । ग्रामीण आबादी ज्यादा होने के कारण दक्षिण एशियाई देशों में ग्रामीण शिक्षा को भारी चुनौती का सामना करना पड़ता है । दक्षिण एशियाई देशों में निरक्षरता की स्थिति गंभीर है । युनेस्को के पांचवें सार्वजनिक शिक्षा उच्च स्तरीय सम्मेलम में भाग लेने वाले दक्षिण एशियाई देशों के नेताओं का यह समान विचार है कि देश के विकास में निरक्षरता निवारण पर ज्यादा महत्व देना चाहिए । क्योंकि नागरिकों की शिक्षा का देश के भविष्य से घनिष्ठ संबंध होता है । युनेस्को के पांचवें सार्वजनिक शिक्षा उच्च स्तरीय सम्मेलन में भाग लेने आए भारतीय अधिकारी, भारत के योजना आयोग के सदस्य श्री बी. एल. मुन्गेकर का विचार है कि इधर के सालों में भारत सरकार ने देश के सार्वजनिक शिक्षा के विकास के लिए भारी धन राशि का अनुदान किया , अनिवार्य शिक्षा के क्षेत्र में कामयाबियां हासिल की है , और भविष्य में भारत सरकार सार्वजनिक शिक्षा पर और ज्यादा ध्यान देगी ।

भारतीय अधिकारी, भारत के योजना आयोग के सदस्य श्री मुन्गेकर ने कहाः

पाकिस्तान दक्षिण एशिया का एक अहम देश है । इधर के वर्षों में पाकिस्तान ने अपने देश में सार्वजनिक शिक्षा बढ़ाने के लिए सिलसिलेवार कदम उठाए । मसलन् लड़कियों को स्कूल जाने के लिए प्रेरित करने के लिए पाक सरकार ने उन्हें खाद्य तेल प्रदान करने का कदम उठाया, जिस से लड़कियों के निरक्षरता निवारण में प्रगति हासिल हुई ।

युनेस्को के पांचवें सार्वजनिक शिक्षा उच्च स्तरीय सम्मेलम में भाग लेने वाले पाकिस्तान के शिक्षा मंत्री जावेद अशरफ़ गाज़ी ने कहाः

वर्तमान में विश्व के विभिन्न देशों में सार्वजिनक शिक्षा के क्षेत्र में कामयाबियां हासिल हुई हैं , लेकिन इस के सामने गंभीर स्थिति भी मौजूद है । वर्तमान विश्व में लगभग 10 करोड़ बच्च स्कूली शिक्षा से वंचित हैं और 87 करोड़ व्यस्क लोग अपढ़े हैं । मानव जाति की सकल गुणवत्ता को उन्नत के लिए हमें गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है । इस लिए विभिन्न देशों के बीच सहयोग को मज़बूत करना चाहिए । युनेस्को के महानिदेशक श्री कोइचिरो माटसुरा ने कहा कि सभी बच्चों को निशुल्क आरंभिक अनिवार्य शिक्षा देने तथा व्यस्कों के पढ़ने का स्तर उन्नत करने के लिए विभिन्न देशों को और अधिक कोशिश करना चाहिये। उन्होंने कहाः

"शिक्षा, विशेषकर आधारभूत शिक्षा के लिये अधिक संसाधन प्रदान करना और इन संसाधनों का कारगर रूप से प्रयोग करना हमारे सामने ऐसा सवाल है, जिसे आवश्य हल किया जाना चाहिए ।"

इधर के वर्षों में विकासशील देशों के सार्वजनिक शिक्षा विकास को सहायता बढ़ायी जा रही है । संयुक्त राष्ट्र संघ समेत अंतरराष्ट्रीय संगठनों व अनेक विकसित देशों ने विकासशिल देशों के सार्वजनिक शिक्षा के लिए धन राशि व सुयोग्य व्यक्तियों के रूप में सहायता प्रदान की । इस के अलावा, विभिन्न देशों के बीच इस क्षेत्र में सहयोग करना भी सक्रिय है।

सार्वजनिक शिक्षा के क्षेत्र में विभिन्न देशों के बीच एक दूसरे के सहयोग की चर्चा में मौजूदा सम्मेलन में उपस्थित भारतीय प्रतिनिधि श्री बी. एल.मुन्गेकर ने कहा