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(GMT+08:00) 2005-12-08 19:44:11    
तिब्बत स्वायत प्रदेश में धर्म पर विश्वास की स्वतंत्रता

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यहां बता दें कि इस साल आदरणीय 11 वें पंचन लामा के अवतार समारोह की दसवी वर्षगांठ है, हाल ही में आदरणीय 11 वें पंचन लामा बौद्ध धर्म अनुष्ठान में भाग लेने तिब्बत पहुंचे , लोगों ने उनका हार्दिक स्वागत किया।आदरणीय 11 वें पंचन लामा बहुत लोकप्रिय हैं ।

चीन के समाचार पत्र जन दैनिक की रिपोर्ट के अनुसार, इधर के दिनों में तिब्बत स्वायत प्रदेश की अनेक जगहों में जब जब बौद्ध धर्म की गतिविधियों में भाग ले रहे 11 वे पंचन लामा ल्हासा पहुंचे, तब तब वहां भारी संख्या में बौद्ध अनुयायियों ने उनका हार्दिक स्वागत किया।

इस साल 11 वें पंचन लामा के अवतार समारोह की दसवी वर्षगांठ है, 25 अक्टूबर को पेइचिंग से तिब्बत वापस लौटने के रास्ते में उन्होंने अनेक बौद्ध धर्म गतिविधियों का आयोजन किया और बौद्ध अनुयायियों को उनकी पूजा करने का मौका मिला । वह जहां जहां भी गए, बौद्ध भिक्षुओं व बौद्ध अनुयायियों ने रास्ते में खड़े उनका हार्दिक स्वागत किया।

जानकारी के अनुसार, 11 वें पंचन लामा तिब्बत में वापस लौटने के बाद पहले ल्हासा में बौद्ध धर्म की गतिविधियों का आयोजन करेगें और बाद में पोताला महल का दर्शन भी करेगें। इस के बाद वह शिकाजे के चासलम्बु मठ के अपने धर्म स्थल लौट कर बौद्ध विद्या का अध्ययन जारी रखेगें तथा बौद्ध अनुयायियों का माथा छूकर उन्हें आशिर्वाद देगें।

मित्रो यहां बता दें कि इस वर्ष के नवंबर में हम अपने नियमित कार्यक्रम ( आज का तिब्बत ) के जरिये आप को तिब्बत स्वायत प्रदेश के बड़े बड़े मठों में से एक छानबालिन मठ के बारे में जानकारियां देंगे । छानबालिन मठ कहां पर हैं। तिब्बती जीवित बुद्ध लापू आप को बतायेंगे । बात यह है कि हाल ही में हमारी संवाददाता को तिब्बती जीवित बुद्ध लापू के साथ बातचीत करने का मौका मिला । जीवित बुद्ध लापू ने हाल में अनेक योरोपीय देशों की सफल यात्रा की । स्वदेश लौटने के बाद हमारी संवाददाता की मुलाकात पेइचिग के सुन्दर तिब्बती होटल में जीवित बुद्ध लापू से हुई । जीवित बुद्ध लापू के अनुसार वे तिब्बत स्वायतत प्रदेश की राजदानी लहासा में स्थित सला मठ के हैं । सला मठ का इतिहास 500 वर्ष पुराना है और अब कुल 800 से अधिक लामाएं इस मठ में रहते हैं । इधर के वर्ष सला मठ को जीवनी शक्ति मिली है ।सला मठ में नये नये लामाएं भी शामिल हैं । मित्रो क्या आप जानना चाहते हैं कि इस बार योरोपीय देशों की यात्रा में जीवित बुद्ध लापू के साथ और कोई जीवित बुद्ध थे । जीवित बुद्ध लापू के अनुसार जीवित बुद्ध चोलो ने उन के साथ योरोपीय देशों की यात्रा की ।जीवित बुद्ध लापू के अनुसार जीवित बुद्ध चोलो एक बहुत बढ़िया लामा हैं और धन की उम्र 60 साल से अधिक है । मित्रो क्या आप जानना चाहतते हैं कि जीवित बुद्ध चोलो किस मठ के हैं । हमारे संवाददाता ने भी जीवित बुद्ध लापू से यह सवाल पूछा । जीवित बुद्ध लापू का कहना है कि जीवित बुद्ध चोलो तिब्बत स्वायत प्रदेश के छानपालिन मठ के हैं । छानपालिन मठ एक बड़ा और सुन्दर मठ हैं । छानपालिन मठ कहां पर हैं । जीवित बुद्ध लापू के अनुसार छानपालिन मठ तिब्बत स्वायत प्रदेश के पूर्व छानदू प्रिफेक्चर में स्थित हैं । छानदू प्रिफेक्चर तिब्बत स्वायत प्रदेश के 7 प्रिफेक्चरों में से एक है ।लोगों का कहना है कि छानदू प्रिफेक्चर तिब्बत का पूर्वी द्वार है और तिब्बत का मोटी भी है। इधर के वर्ष छानदू प्रिफेक्चर का बड़ा विकास हुआ है ।तिब्बत का प्रथम हवाई अड्डा छानदू प्रिफेक्चर में स्थित है । मित्रो क्या आप जानना चाहते हैं कि छानपालिन मठ का इतिहास कितना पुराना है । जीवित बुद्ध लापू के अनुसार छानपालिन मठ का इतिहास 500 वर्षों से अधिक है ।सन1444 में छानपालिन मठ का निर्माण किया गया । इस के पीछे एक कहानी प्रचलित है । इतिहास के अनुसार तिब्ब्ती लामा चनख्पा ने एक बार दूर से छानदू की यात्रा की ।तब दो नदियां छानदू कस्बे से हो कर बहलती रहीं । यह दृश्य बहुत सुन्दर लगा । तो तिब्बती लामा चनख्पा ने कहा कि बाद में अगर यहां एक मठ का निर्माण किया जाये ते बौद्ध धर्म का प्रचार के लिये बहुत लाभदायक होगा ।तब तिब्बती लामा चनख्पा के छात्र सिरोशांपू ने मन ही मन में अपने आदरणीय गूरू जी चनख्पा की बात की याद की और सन 1444 में यहां एक मठ का निर्माण कराने की कोशिश की । फलस्वरूप उन की कोशिश स्थानीय लोगों की मदद से पूरी हो गयी । मठ में छानपा देव की एक शानदार सुन्दर मुर्ति रखी गयी है । इस प्रकार इस मठ का नाम छानपा लिन मठ कहलाता है ।कितना सुन्दर नाम है इस मठ का ।यहां बता दें कि छानपा लिन मठ में कुल 5 बड़े बड़े जीवित बुद्ध हैं । चोलो जीवित बुद्ध के अलावा पाबालाकनेलानचे भी छानपा लिन मठ के जीवित बुद्ध हैं । तिब्बती जीवित बुद्ध में पाबालाकनेलानचे का स्थान बहुत उंच्चा हैं । अब वे चीनी जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन के उपाध्याक्ष हैं ।जब कि पहले वे चीन के राष्ट्रीय जन प्रतितिनिधि सभा की स्थायी कमेटी के उपाध्याक्ष के पद पर कार्यरत थे ।उन्हों ने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिये बहुत से काम किये हैं और कर रहे हैं ।