आज के इस कार्यक्रम में हम विजयवाड़ा, आंध्रप्रदेश की रहमतुननिशा,भागलपुर,बिहार की नाजनी हसन, तमन्ना हसन, कलेर, बिहार के मो आसिफ खान और आजमगढ़, उत्तर प्रदेश के सुहिल अहमद के पत्र शामिल कर रहे हैं।
सब से पहले विजयवाड़ा, आंध्र प्रदेश की रहमतुननिशा का पत्र लें। उन्होंने पूछा है कि चीन सरकार अपने विकलांगों की देखरेख किस तरह कर रही है। उन्होंने लिखा है, यहां भारत में सरकार अल्पसंख्यक लोगों या निचली जाति के लोगों को नौकरियों में, शिक्षा संस्थानों में आरक्षण की सुविधा देती है, तो क्या चीन में भी जनजातियों को इसी तरह सरकारी नौकरियों और शिक्षा संस्थानों में आरक्षण की सुविधा दी जाती है।
रहमतुननिशा बहन, 13 अप्रैल 2004 को चीन सरकार ने चीन के मानवाधिकार की प्रगति पर एक श्वेतपत्र जारी किया।
श्वेतपत्र के छठे भाग में विशेषकर चीन के विकलांगों के बारे में जानकारी दी गई।
श्वेतपत्र में कहा गया कि चीन सरकार विकलांगों के कल्याण पर भारी ध्यान देती है और उन के अधिकारों व हितों की प्रतिभूति के प्रयास करती है। इस वर्ष विकलांग प्रतिभूति विधि में संशोधन का काम शुरू हुआ। चीन के अधिकतर जिलों व टाउनशिपों में विकलांगों के लिए अनुकूल नीति अपनाई जाती है। विकलांगों को सरकार से सहायता मिलती है। ग्रामीण क्षेत्रों में विकलांगों को आयकर को मुक्त रखा गया है।
सरकार ने गरीब विकलांगों को सहायता प्रदान करने, उन्हें सामाजिक प्रतिभूति, रोजगार, शिक्षा, देने और स्वास्थ्य और अधिकारों व हितों के संरक्षण के कई कदम उठाए हैं।
इस वर्ष चीनी विकलांग कल्याण कोष ने चीनी विकलांग महासंघ के साथ मिल कर विकलांगों के कानूनी अधिकारों व हितों के संरक्षण के तहत 1 लाख 30 हजार विकलांगों को सहायता प्रदान की।
इस वर्ष विकलांगों की सामाजिक कल्याण व्यवस्था और पूर्ण हुई। 30 लाख विकलांगों ने स्वास्थ्य लाभ पाया। 5 लाख 80 हजार मोतियाबिंद के रोगियों का आपरेशन किया गया। 2 लाख 40 हजार बहरे बच्चों को बोलने का प्रशिक्षण दिया गया। अंग-विकार व मंदबुद्धि वाले 80 हजार बच्चों का उपचार किया गया। 25 लाख मानसिक रोगियों का उपचार किया गया, 3900 से अधिक कुष्ठ रोगियों का आपरेशन किया गया और विकलांगों को 10 लाख से अधिक जरूरी साज-सामान प्रदान किये गये।
श्वेतपत्र में कहा गया कि इस वर्ष चीन में विकलांगों के प्रशिक्षण व रोजगार की और बेहतर गारंटी की गई। इस वर्ष चीन में विकलांगों की रोजगार दर 80 प्रतिशत रही।
गत वर्ष चीन के शहरों में 3 लाख 5 हजार विकलांगों ने रोजगार पाया। ग्रामीण क्षेत्र में 1 करोड़ 62 लाख 41 हजार विकलांग फसल उगाने. पशु पालन और घरेलू शिल्प उद्यम में लगे।
इस वर्ष 42112 विकलांग चीन की उच्च शिक्षा संस्थाओं में पढ़ने गए, 5 लाख 43 हजार विकलांगों को प्रशिक्षण दिया गया, 40 हजार से अधिक गरीब विकलांग छात्रों ने सहायता पाई। विकलांग बच्चों की शिक्षा राज्य की अनिवार्य शिक्षा व्यवस्था में शामिल की गई।
विकलांगों के लिए न्यूनतम जीवन प्रतिभूति व्यवस्था लागू हुई। अब तक चीन के 44 लाख 69 हजार विकलांगों को सामाजिक प्रतिभूति व्यवस्था से लाभ मिला है। केन्द्र सरकार व स्थानीय सरकारों ने 20 हजार से अधिक विकलांगों के लिए रिहायशी मकान बनवाने के लिए 30 करोड़ य्वान का अनुदान किया।
चीन के संस्कृति केंद्रों पुस्तकालयो व स्टेडियमों जैसे सार्वजनिक स्थलों में विकलांगों के लिए और अधिक सुविधाएं पेश की गईं। टीवी, रेडियो व पत्र-पत्रिकाओं में विकलांगों के लिए विशेष कार्यक्रम या रिपोर्टें शुरू की गईं।
हर वर्ष मई माह के तीसरे रविवार को चीन राष्ट्रीय विकलांग दिवस मनाता है। देश भर में विकलांगों की सेवा के लिए 50 हजार से अधिक स्वयंसेवक केन्द्र स्थापित हैं। देश भर की सड़कों, डिपार्टमेंट स्टोरों, अस्पतालों, होटलों, थिएटरों, सिनेमाघरों, अजायबघरों, हवाई अड्डों, रेलवे स्टेशनों, बस स्टेशनों जैसे सार्वजनिक स्थलों या बस्तियों में विकलांगों के लिए सुविधाजनक संस्थापन रखे गए हैं।
बहुत से टीवी स्टेशनों में बहरे लोगों के लिए विशेष कार्यक्रम शुरू हुए, टीवी कार्यक्रमों व फिल्मों में इन लोगों को लिए उपशीर्षक देने की सुविधा भी पेश की गई।

|