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(GMT+08:00) 2005-12-05 09:00:40    
हरित सभ्यता की दूत ल्याओ श्याओ ई

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पेइचिंग में एक गैरसरकारी पर्यावरण संरक्षण संगठन है पेइचिंग विश्वग्राम पर्यावरण संस्कृति केंद्र। लोग इसे पेइचिंग विश्वग्राम कहकर पुकारते हैं। पेइचिंग विश्वग्राम ने हरित क्षेत्रों के निर्माण को आगे ले जाने और नागरिकों में पर्यावरण संरक्षण की विचारधारा का प्रचार-प्रसार करने के क्षेत्र में बड़ा असर डाला है। इस संगठन की संस्थापक ल्याओ श्याओ ई नाम की एक महिला हैं। कुछ समय पहले, पेइचिंग की एक उपनगरीय बस्ती में हमारी उनसे मुलाका हुई जहां उनकी संसाथा का दफ्तर है। ल्याओ श्याओ ई अकसर व्यस्त रहती हैं और घर वापस नहीं लौट पातीं, इसलिए, यह उन का अस्थायी घर बन चुका है।

50 वर्ष की आयु पार कर चुकी ल्याओ श्याओ ई अब भी बहुत सुन्दर दिखती हैं। उन के काले बाल और बड़ी आंखें हैं।

सुश्री ल्याओ श्याओ ई ने चीनी सामाजिक विज्ञान अकादमी में दर्शनशास्त्र का अनुसंधान किया। वर्ष 1993 में वे अमरीका के नोर्थकारोलिना स्टेट में दो वर्ष अतिथि प्रवक्ता भी रहीं। पर उनका हमेशा पर्यावरण समस्या पर ध्यान रहा, इसलिए उन्होंने अमरीका में पी एच डी डिग्री छोड़ कर अंत में स्वदेश वापस लौटने का निर्णय लिया। उन के अनुसार,अमरीका जाने से पहले, मैं एक फिल्म शूटिंग दल में थी। तब हम हरित सभ्यता और चीन नामक एक टी वी प्रोग्राम बना रहे थे। इसे अमरीका में पढ़ते समय मुझे मिले मेरे एक मित्र बना रहे थे। बाद में उन के पास समय नहीं रहा और शूटिंग बंद हो गयी। पर मुझे लगा कि मुझे यह काम जारी रखना चाहिए। मुझे मालूम था कि चीन में पर्यावरण समस्या कितनी गंभीर है, लेकिन, उस समय समाचार माध्यमों में इस तरह की रिपोर्टें बहुत कम आती थीं।

स्वदेश वापस लौटने के बाद, सुश्री ल्याओ श्याओ ई ने न केवल टी वी प्रोग्राम हरित सभ्यता व चीन की शूटिंग पूरी की, जल्द ही अपने दो सपने भी साकार किये। इनमें एक था पेइचिंग विश्वग्राम पर्यावरण संस्कृति केंद्र की स्थापना और दूसरा, चीनी केंद्रीय टी वी स्टेशन में पर्यावरण संरक्षण काल नामक विशेष प्रोग्राम शुरू करना। इस तरह उन्होंने चीन के नागरिकों की पर्यावरण संरक्षण की विचारधारा को उन्नत करने के प्रयास शुरू किये। अब तक, सुश्री ल्याओ श्याओ ई के पर्यावरण संरक्षण संबंधी कई लेख प्रकाशित हो चुके हैं और वे 100 से ज्यादा पर्यावरण संरक्षण संबंधी टी वी प्रोग्रामों की शूटिंग कर चुकी हैं। उन्होंने पेइचिंग विश्वग्राम के नेतृत्व में कुछ परोपकारी गतिविधियों का आयोजन कर जीवन में पर्यावरण संरक्षण के महत्व का प्रचार-प्रसार भी किया। मिसाल के लिए, वर्ष 2000 की 22 अप्रैल को विश्व पृथ्वी दिवस पर पेइचिंग विश्वग्राम और कुछ गैरसरकारी पर्यावरण संरक्षण संगठनों ने एक साथ पृथ्वी दिवस की चीनी कार्यवाई आयोजित की। लगभग एक करोड़ चीनी नागरिकों ने इस पर्यावरण संरक्षण गतिविधि में भाग लिया। वर्ष 2000 में पेइचिंग के प्राइमरी स्कूलों के 8 लाख से ज्यादा छात्रों तथा उन के माता-पिताओं ने पेइचिंग विश्वग्राम और चीन के संबंधित सरकारी विभागों द्वारा दिये गये पर्यावरण संरक्षण कार्ड भरे, ताकि हरे ओलिम्पियाड तथा हरे जीवन की विचारधारा को परिवार में प्रवेश दिलाया जा सके।

सुश्री ल्याओ श्याओ ई एक विदुषी हैं। वे अपने विचारों को कार्यान्वित करने में सक्रिय रहती हैं। उन के सब से अच्छे मित्रों में से एक पेइचिंग विश्वग्राम में प्रबंध कार्य संभालने वाली सुश्री ली ली ने कहा,सुश्री ल्याओ श्याओ ई एक ऐसा व्यक्तित्व है, जो सोचता है तो करता भी है। लोगों में पर्यावरण संरक्षण की विचारधारा पैदा करने के लिए सुश्री ल्याओ श्याओ ई ने पेइचिंग के एक उपनगर में 180 हेक्टर के वन को पर्यावरण संरक्षण शिक्षा केंद्र बनाया। वहां रहने वाले किसान कचरे को भिन्न-भिन्न किस्मों में विभाजित करते हैं, सूर्य की ऊर्जा से रोशनी पैदा करते हैं और रासायनिक खाद के बिना सब्जी व अनाज उगाते हैं। उन के जीने के तरीके से शहरों के लोग प्रकृति को महसूस करने के साथ पर्यावरण संरक्षण की शिक्षा भी पा सकते हैं। अब यह छोटा गांव पर्यावरण संरक्षण, हरित पर्यटन और पर्यावरण प्रशिक्षण से जुड़ा एक पारिस्थितिकी क्षेत्र बन गया है।

नौ वर्ष बाद आज पेइचिंग विश्वग्राम में पहले के दो-तीन कर्मचारियों की जगह 15 कर्मचारी हैं। इस संगठन में औपचारिक रूप से पंजीकृत स्वयंसेवकों की संख्या कई हजार तक जा पहुंची है। पेइचिंग विश्वग्राम के कार्य को अंतरराष्ट्रीय समुदाय व अंतरराष्ट्रीय समाचार माध्यमों का व्यापक ख्याल हासिल है। वर्ष 2000 का अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण संरक्षण पुरस्कार सूफेई पुरस्कार सुश्री ल्याओ श्याओ ई को प्रदत्त किया गया। पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में उनकी उल्लेखनीय उपलब्धि की वजह से उनकी चीन सरकार ने हरित सभ्यता दूत कह कर प्रशंसा भी की। वर्ष 2008 के पेइचिंग ओलिम्पियाड की आयोजन कमेटी ने भी उन्हें अपना पर्यावरण सलाहकार बनाया।

आज के आधुनिक युग में भी सुश्री ल्याओ श्याओ ई सरल जीवन बिता रही हैं। वे गाड़ी नहीं चलातीं और एयर कन्डीशनर का इस्तेमाल भी नहीं करतीं। उन का दफ्तर आठवीं मंजिल पर है, लेकिन,यदि कोई फौरी कार्य न हो, तो लिफ्ट भी नहीं लेती हैं, बल्कि पैदल ऊपर जाती हैं। उन के घर में रंगीन टी वी, रेफ्रिजरेटर और वाशिंग मशीन जैसे विद्युत यंत्र भी नहीं हैं। सुश्री ल्याओ श्याओ ई की नजर में प्राकृतिक व स्वस्थ जीवन ही सबसे सुन्दर व पूर्ण जीवन है। उन के अनुसार,मुझे लगता है कि संसाधनों की किफायत करने और जीवन पर ध्यान देने से ही जीवन सुंदर बनता है। हमें धन की कमी हो सकती है, फिर भी हमें अपने शरीर, प्रकृति व आत्मा पर ध्यान देना चाहिए।

सुश्री ल्याओ श्याओ ई की 18 वर्ष की एक बेटी भी है, जिस का नाम ख ल है। अपनी मां प्रभावित ख ल भी दैनिक जीवन में पर्यावरण संरक्षण को बड़ा महत्व देती है। घर में वह अक्सर कपड़े और सब्जी धोने के बाद बचे पानी से फर्श की सफाई करती है। बाहर खाना खाते समय वह अक्सर खुद अपनी चॉपस्टिक का इस्तेमाल करती है। मां का ख ल पर भारी असर है। उस की नजर में मां बहुत सुन्दर व अच्छी है। उस ने कहा,मुझे मां बहुत पसंद हैं। उनका मेरे दैनिक जीवन के छोटे-छोटे मामलों पर प्रभाव है। मिसाल के लिए, पर्यावरण संरक्षण और जीवन दर्शन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में उन्होंने मुझ पर बड़ा असर डाला है।

इधर ख ल अपनी मां की मदद से चीन की पारिस्थितिकी संस्कृति संबंधी एक चित्र की शूटिंग कर रही है। उसे आशा है कि इस के प्रसारण के बाद और अधिक लोग पारिस्थितिकी और पृथ्वी पर और ध्यान देंगे।