आज के इस कार्यक्रम में हम रामपुरफुल, पंजाब के बलवीर सिंह, कोआथ, बिहार के सुनील केशरी, डी डी साहिबा, संजय केशरी, बविता केशरी, प्रियंका केशरी, खुशबू केशरी, एस के जिंदादिल, धनवंतरी देबी, सिताराम केशरी, राइपुर छत्तीसगढ़ के आनंद मोहन बैइन के पत्र शामिल कर रहे हैं।
रामपुरफुल, पंजाब के बलवीर सिंह का पत्र लें। उन्होंने पूछा है कि चीन का कितना भूभाग मैदानी है और कितने भूभाग में जंगल, रेगिस्तान, पहाड़, समुद्र वगैरह हैं। क्या चीन में भी टापू हैं। क्या चीन में कोई इलाका ऐसा भी है, जहां बहुत कम आबादी है।
पिछले कार्यक्रम में हम ने इस सवाल के जवाब का पहला भाग सुनाया, तो आज के इस कार्यक्रम में आप दूसरा भाग सुनिए।
इस समय चीन में जंगल का क्षेत्रफल 17 लाख 50 हजार वर्गकिलोमीटर और चीन के भूभाग का 18.21 प्रतिशत है।
चीन का समुद्री क्षेत्र भी काफी विशाल है। उस की समुद्री रेखा 18 हजार किलोमीटर लम्बी है। चीन के समुद्री क्षेत्र में पोहाई समुद्र, ह्वांगहाई समुद्र, तुंगहाई समुद्र और नानहाई समुद्र शामिल हैं। इन का क्षेत्रफल करीब 48 लाख 60 हजार वर्गकिलोमीटर है।
चीन के समुद्र में टापू व द्वीप भी बहुत हैं। ऐसे टापुओं जिनका क्षेत्रफल 500 वर्गमीटर से अधिक है, की संख्या 6536 है। इनका कुल क्षेत्रफल 80 हजार वर्गकिलोमीटर है। चीन का सब से बड़ा द्वीप थाइवान है, इस का क्षेत्रफल 36 हजार वर्गकिलोमीटर है और दूसरे सब से बड़े द्वीप हाईनान का क्षेत्रफल 34 हजार वर्गकिलोमीटर है।
अब कोआथ, बिहार के सुनील केशरी, डी डी साहिबा, संजय केशरी, बविता केशरी प्रियंका केशरी, खुशबू केशरी, एस के जिंदादिल, धनवंतरी देबी, सिताराम केशरी का पत्र लें।
उन्होंने पूछा है कि मानवाधिकार संगठन चीन में कहां स्थित है।
श्रोता दोस्तो, चीन में चीनी मानवाधिकार विकास कोष एकमात्र गैरसरकारी मानवाधिकार संगठन है। इस कोष की स्थापना 15 अगस्त 1994 को हुई। कोष के महासचिव श्री लीन ई-फ़ू हैं।
कोष का मुख्यालय राजधानी पेइचिंग में स्थित है। कोष का लक्ष्य चीन के मानवाधिकार कार्य को पूर्ण करना, मानवाधिकार के मामलों में चीनी जनता व विश्व के विभिन्न देशों की जनता के बीच आपसी समझ व सहयोग आगे बढ़ाना और विश्व में मानवाधिकारों को गति देना है।
अंत में राइपुर, छत्तीसगढ़ के आनंद मोहन बैइन का पत्र देखें।
उन्होंने पूछा है कि चीन में कितने प्रतिशत लोग बौद्ध धर्म मानते हैं और कितने प्रतिशत हिंदू व मुस्लिम धर्म को।
चीन के संविधान के अनुसार चीनी नागरिकों को स्वतंत्र विश्वास का अधिकार है। चीन में बहुत से धर्म, मिसाल के लिए बौद्ध मत, इस्लाम, कैथोलिसिज्म, क्रिस्चियनिटी, ताओ, सामान धर्म, ओथोडोक्स इस्थर्न चर्च आदि धर्म प्रचलित हैं पर हिंदू धर्म नहीं है। अनुमान है कि चीन में विभिन्न धर्मों के अनुयाइयों की संख्या कोई दस करोड़ है।
बौद्ध मत चीन में सब से अधिक प्रचलित है। यह शायद ईसा पूर्व ही चीन में आ गया था। चीन में हान जाति के अलावा तिब्बती , मंगोल, लोबा, मनबा, थू और य्वीकू जातियों के लोगों में बौद्ध मत के अनुयायी बहुत ज्यादा हैं। इन जाति बहुल क्षेत्रों में मठों की संख्या 13 ह्जार से अधिक है और भिक्षुओं व भिक्षुणियों की संख्या करीब 2 लाख है।
चीन में इस्लाम पहुंचने का वक्त 7वीं शताब्दी का मध्य काल था। अब चीन में ह्वेई, वेइगुर, कजाख, करकज , तातार , उजबेक , ताजीक, तुंगश्यांग, साला, पाओआन आदि दस जातियों के लोग इसलाम के अनुयायी हैं। चीन में मुसलामानों की कुल संख्या करीब 4 करोड़ है और मस्जिदों की संख्या 30 हजार से अधिक।
ताओपंथ की उत्पत्ति दूसरी शताब्दी में हुई। इस धर्म का सूत्र "ताओतह सूत्र" है। कहा जाता है कि लाओत्से ने इस का सृजन किया था। अब चीन में ताओपंथ के 1500 मंदिर हैं और भिक्षुओं व भिक्षुणियों की संख्या 25 हजार है।
कैथोलिसिज्म का चीन में प्रसार 7 वीं शताब्दी में शुरू हुआ था। आज चीन में 4600 कैथोलिक चर्च हैं।
क्रिश्चियनिटी का चीन में प्रचार काफी देर में 19वीं शताब्दी में हुआ । आज चीन में इस के कोई 1 करोड़ अनुयायी हैं और प्रोटेस्टेंट चर्च की संख्या 12 हजार है।
इन सब धर्मों के अपने-अपने संगठन भी हैं।
चीन में हिंदू धर्म का पता नहीं चलता।

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