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(GMT+08:00) 2005-11-25 09:34:53    
ह्वी जाति का गाड़ी चालक

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सिन्चांग वेवुर स्वायत्त प्रदेश में स्थित ताकलामाकन रेगिस्तान विश्व का दूसरा बड़ा रेगिस्तान है , जो मृत्यु सागर के नाम से मशहूर है । इस विशाल मरूभूमि को आर पार करना एक साहसिक और जोखिमभरा काम है । लेकिन 72 वर्षीय ह्वी जाति के बुजुर्ग व्यक्ति मा वुनह्वी ने स्वयं द्वारा रूपांतरित की गई कार चलाते हुए ताकलामाकन रेगिस्तान का एक चक्कर लगाया , क्या वह कोई असाधारण बहादुरी का काम नहीं है । आप जरूर कहेंगे कि इस बुजुर्ग का यह काम अतूल्य साहिक है ।

देखने में मा वुनह्वी केवल पच्चास साल का आदमी सा लगता है , जो चुस्त फुरत दिखता है और चलने में तेज और गतिशील होता है । वह खुली मिजाजी और मिलनसार है । रिटायर होने से पहले वह एक गाड़ी चालक था , जो गाड़ी चलाने और मरम्मत करने में निपुण है । रिटायर होने के बाद भी वह गाड़ी चलाने का शौक नहीं छोड़ा और अकसर वाहन दौड़ प्रतियोगिता में भाग लेता है और जोखिमों से भरी प्रतियोगिता पसंद भी करता है ।

इस साल उस ने 72 साल की उम्र में ताकलामाकन रेगिस्तान का चक्कर लगाने की गाड़ी प्रतियोगिता में भाग लिया और सफलता भी जीती । इस की चर्चा में मा वुनह्वी ने कहाः

मैं इसलिए गाड़ी प्रतियोगिता में भाग लेना चाहता हूं कि लोगों को दिखाऊं कि बुजुर्ग लोगों में भी पूरिपूण जीवन शक्ति है , वे जोखिम भरी प्रतियोगता में हिस्सा ले सकते हैं ।

वास्तव में इस प्रकार की जोखिमों से भरे मैच में भाग लेने के लिए श्री मा को बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था , उम्र बड़ी होने के कारण प्रतियोगिता में भाग लेने की अनुमति पाना ही मुश्किल से मिली , फिर उस की गाड़ी एक सेकंड हांड कार है , प्रतियोगिता के दौरान उसे बहुत परेशान भी कर दिया था ।

ताकलामाकन रेजिस्तान का एक चक्कर लगाने में चार हजार किलोमीटर का रास्ता तय करना है , और तो वह चीन का सब से बड़ा फिरता चुलता रेगिस्तान है , जो मृत्यु सागर के नाम से मशहूर है । इस साल की ताकलामाकन को आर पार करने वाली यह गाड़ी प्रतियोगिता वहां अब तक आयोजित सब से बड़ी प्रतियोगिता थी , इस प्रतियोगिता के नियम के अनुसार गाड़ी चालकों को निश्चित समय अवधि में निश्चित रास्ते पर रेगिस्तान का चक्का पूरा करना चाहिए । इस प्रतियोगिता में मुख्यतः चालकों के मनोबल ,सहनशक्ति और गाड़ी चलाने की तकनीक की परीक्षा होती थी । यह अधिकांश चालकों के लिए एक कड़ी चुनौति थी , खास कर श्री मा जैसे बुजुर्ग के लिए विशेष कठोर था । इस प्रतियोगिता पर अपना असाधारण अनुभव बताते हुए श्री मा ने कहाः

नोछांग से चुमो तक का रास्ता बहुत कठिन था , चार सौ किलोमीटर के मार्ग पर जगह जगह छोटा बड़ा गड्ढे थे ,रास्ते के किनारों पर घुटनी तक गहरी खारी मिट्टी जमा हुई थी , उस पर गाड़ी चलाना अत्यन्त मुश्किल था , सो मैं ने अपनी गाड़ी में लाए कंबल और वस्त्र को पहियों के नीचे रखा, और इस प्रकार कदम ब कदम आगे गाड़ी चलाता रहा ।

रेगिस्तान में दिन में तापमान बहुत ऊंचा है , इंजन को जल जाने से बचाने के लिए श्री मा ने गाड़ी का गर्म हवा निकासी यंत्र चालू कर दिया, जिस से इंजन में तापमान तो कम हो गया था , पर गाड़ी में बैठा चालक पसीनों से पूरी तरह तरतर हो गया।

श्री मा के साथ ताकलामाकन रेगिस्तान को पार करने वाली प्रतियोगिता में भाग लेने वाला सहायक चालक एक विकलांग था , उस का मंशा था कि रेगिस्तान में उगने वाला विशेष वृक्ष देखे । उस की इस तमन्ना को पूरा करने के लिए श्री मा ने उसे सहायक के रूप में साथ ले लिया । मा वुनह्वी को जानने वाले जानते हैं कि वह एक उत्साही और दयालु व्यक्ति है । उस के दोस्त सु सङची ने कहाः

श्री मा बहुत उत्साह व सदभाव से भरापूर है , बहुत दयालु है , अपने जेब में जितना भी पैसा है , वह उसे गरीबों और भीखारियों को मदद के लिए देता है । वह हर समय दूसरों को मदद देने को तैयार है , वह एक खुली मिजाजी , सुचरित्र और सुशील लोग है , उस का दूसरे लोग बहुत बड़ा आदर करते हैं ।

गाड़ी चलाने के अलावा श्री मा की दूसरी पसंद गिटार बजाना है , वह दूर नजदीक मशहूर गायक भी है , जो दस से ज्यादा देशों के सौ से ज्य़ादा विभिन्न जातीय शैली के गीत गाने में पारंगे है ।मा वुनह्वी का पिता ह्वी जाति का है , पर माता तातार जाति की । उसे अपने माता पिता से बहादुरी और बुद्धिमान दोनों किस्म की गुणवत्ता हासिल हुई । रिश्तेदारों और दोस्तों के घर में यदि कोई मिलन समारोह हुए , तो श्री मा जरूर उस में हाजिर है , वह समारोह में उपस्थित लोगों को गाना बजाना पेश कर समारोह को और जोशीला बनाता है । उस का कहना हैः

अलग अलग शैली के गीत संगीत से लोगों को अलग अलग अनुभव प्रदान किया जाता है । मैं गहन और बल शक्ति से भरी धुन बजाना पसंद करता हूं । ऐसी धुनों के साथ मैं बीते जीवन , अपने यौवन काल , अपने प्रेम , दोस्ती और पारिवारिक स्नेह की याद कर सकता हूं । संगीत को मैं इतना प्यार करता हूं कि यदि एक साल में भी मुझे गोश्त नहीं खाने या एक माह में दुध का चाय नहीं पीने देता , तो भी मैं मंजूर होने हैतु तैयार हूं । मेरे विचार में बिना संगीत की दुनिया अंधरी होती है ।

उत्साह और बहादुरी से भरेपूर मा वुनह्वी जन्म से कठिनाइयों से नहीं डरता हैं । इस साल के फरवरी में सिन्चांग की राजधानी ऊरूमुची के जन पार्क में कड़ाके की सर्दी में बहादुरी की प्रतियोगिता हुई , जिस में भाग लेने वाले शून्य से 24 डिग्री कम वाले तापमान में मात्र बनियान व घुटनी तक आधा पतला पजामा पहने खड़े रहे , जो सर्दी से चुनौति करने की प्रतियोगिता करते थे । आधा घंटे पर ही प्रतियोगिता में शामिल अन्य सभी लोगों ने गर्म वस्त्र पहन लिया , लेकिन श्री मा अकेले एक घंटे तक डटे रहा और शून्य से 24 डिग्री सेल्सेस की सर्दी पर विजय पाने की प्रतियोगिता में सिन्चांग का प्रथम विजेता बन गया । दूसरों को यह काम बड़ा आश्चर्यचकित लगता है , लेकिन श्री मा की नजर में वह बड़ा महत्व वाला है ।

मैं सर्दी से चुनौति करता हूं , जिस का मकसद लोगों को सिन्चांग के जाडों के मौसम को प्यार करने के लिए उत्साहित करना है । मेरी उम्मीद है कि हरेक बुजुर्ग लोग जीवन , प्राण और प्रकृति से प्यार करता है और वृद्धावस्था में कुछ न कुछ हितकारी काम करता है ।

मा वुनह्वी दूसरों को मदद देने के शौकिन है , उस के 40 वर्गमीटर वाले मकान में हमारी मुलाकात उस की पत्नी और गोद ली गई बेटी से हुई , उस के घर में अनेक वर्षों तक रह चुकी दत्तक पुत्री थ्यान इंग ने कहाः

मेरे मन में चाचा मा सगे पिता की भांति है , वह मेरा ख्याल करते हैं , मेरा देखभाल करते हैं और मुझे चरित्र की शिक्षा देते हैं । मैं चाहती हूं कि मेरा यह बाप हमेशा स्वस्थ रहें और दीर्घआयु रहें , मेरा यह परिवार सदा खुशहाल रहे ।

इधर के सालों में मा वुनह्नी ने अनेकों कल्याणकारी कामों में हिस्सा लिया , उस का मासिक पेंशन छै सौ य्वान है , जिस का अधिकांश भाग गाड़ी प्रतियोगिता या दूसरों को मदद देने में खर्च हुआ ,अपने के लिए केवल एक छोटा भाग सुरक्षित रखा हुआ है । उस की पत्नी चांग श्यु छिंग भी एक सुशील और स्नेहमय महिला है । वह श्री मा की ऐसी कार्यवाहियों पर कभी भी शिकायत नहीं करती है । उस का कहना हैः

जब लाओ मा की शारीरिक हालत ठीक हो रही है , वह अपना पसंद के कुछ काम करना चाहते हैं , तो करने दे . यदि वह इतना वृद्ध हुआ कि किसी भी काम नहीं कर सकता है , तो मैं उस का देखभाल करूंगी।

श्री मा से बिदा लेने के वक्य उस ने हमें गाड़ी से हमारे निवास स्थल पहुंचाना चाहा , हम उस की गाड़ी पर सवार हो गए और सफेद दाढ़ी वाले इस बुजुर्ग गाड़ी चालक की बुलंद आवाज में गाये गीत में मस्त दूर चले गए ।