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(GMT+08:00) 2005-11-23 14:32:36    
पुराने रेशम मार्ग की यात्रा का विवरण

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रेशम मार्ग पुराने जमाने में एशिया को युरोपीय महा द्वीप से जुड़ाने वाले प्रसिद्ध थलीय व्यापारिक मार्ग के रूप में माना जाता है , उस का इतिहास आज से कोई दो हजार वर्षों से अधिक पुराना है । यह प्राचीन रेशम मार्ग पूर्व से उत्तर पश्चिम चीन के शेनशी प्रांत के प्राचीन शहर शीआन से प्रस्थान होकर कानसू व छिंगहाई प्रांतों और निंश्या ह्वी जातीय स्वायत प्रदेश व सिंच्यांग वेगुर जातीय स्वायत प्रदेश से होकर आगे बढ़ता रहा , फिर चीन से बाहर निकलकर स्वतंत्र समुदाय , अफगानिस्तान , ईरान , इराक व सीरिया से गुजरकर भूमध्य सागर के पूर्वी तट तक पहुच गया था , चीनी रेश्मी कपड़े , चीनी मिट्टी बर्तन व विविधतापूर्ण कलात्मक कृतियां आदि बेशुमार वस्तुएं इसी रास्ते से लगातार युरोप में पहुंचाई जाती थीं ।

आज के चीन का भ्रमण कार्यक्रम में हम आप को विश्वविख्यात पुराने रेशम मार्ग के दौरे पर ले चलते हैं ।

प्रिय मित्रो , यह सर्वविदित है कि रेशम मार्ग पुराने जमाने में एशिया को युरोपीय महा द्वीप से जुड़ाने वाले प्रसिद्ध थलीय व्यापारिक मार्ग के रूप में माना जाता है , उस का इतिहास आज से कोई दो हजार वर्षों से अधिक पुराना है । यह प्राचीन रेशम मार्ग पूर्व से उत्तर पश्चिमी चीन के शेनशी प्रांत के प्राचीन शहर शीआम से प्रस्थान होकर कानसू , छिंगहाई प्रांतों और निंश्या ह्वी जातीय स्वायत प्रदेश व सिंच्यांग वेगुर जातीय स्वायत प्रदेश से होकर आगे बढ़ता गया , फिर चीन से बाहर निकलकर स्वतंत्र समुदाय , अफगानिस्तान , ईरान , इराक व सीरिया से गुजरकर भूमध्य सागर के पूर्वी तट तक पहुच जाता था , चीनी रेश्मी कपड़े आदि वुस्तुएं इसी रास्ते से युरोप में पहुंचाई जाती थीं । कुल सात हजार किलोमीटर से अधिक लम्बे इस रेशम मार्ग का आधे से अधिक भाग चीन में ही है । हालांकि वर्तमान काल में इस प्रसिद्ध रेशम मार्ग पर अतीत काल का रौनकदार व्यापारिक पर्यावरण लुप्त हो गया है , पर इस रेशम मार्ग के दोनों किनारों पर रंगारंग विविधतापूर्ण जातीय रीति रिवाज , मनमोहक प्राकृतिक दृश्य और प्राचीन ऐतिहासिक व सांस्कृतिक अवशेष बराबर लोगों को आकर्षित करते रहते हैं ।

उरूमुची शहर सिंच्यांग वेगुर जातीय स्वायत प्रदेश की राजधानी है और वह प्राचीन रेशम मार्ग का एक अनिवार्य पड़ाव था । जब हम ने उरूमूची शहर में कदम रखा , तो सड़कों के दोनों किनारों पर गर्मागर्म भूने मटन मिट और स्वादिष्ट पुलाव की खुशबू चारों ओर व्याप्त है , और तो और सड़कों पर वेगुर जाति की विशेष सुंदर टोपियां पहने हुए बुजुर्ग व रंगबिरंगे स्कार्फ पहनी महिलाएं और मध्य व पश्चिमी एशियाई व्यापारी देखकर जान पड़ता है कि प्राचीन रेशम मार्ग की पुरानी चहल पहल फिर वापस लौट आयी हो ।

प्रसिद्ध पेइचिंग विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग की शोध छात्रा न्यू त्यान त्यान ने इस प्राचीन रेशम मार्ग के दौरे की चर्चा में कहा इस विश्वविख्यात रेशम मार्ग ने मुझ पर बहुत गहरी छाप छोड़ रखी है , सिंच्यांग के बाजार घूमनें में बड़ा मजा आया है । क्योंकि स्थानीय पुरुष , महिलाएं और बाल बच्चे अपने सब से बढ़िया पोशोकों और आभूषणों से सुसज्जित होकर बाजार जाते हैं , यहीं नहीं, मुस्लीम महिलाएं अपना बुर्का पहनना भी नहीं भूलतीं । ऐसे मौके पर सभी पर्यटक बाजार में अपनी इच्छा से घूमते व खरीददारी करते हैं , साथ ही उन्हें खाद्य पदार्थ बाजार पर वेगुर जाति के विशेष पकवान भी चखने को मिलते हैं ।

सुश्री न्यू ने सिंच्यांग में उत्पादित खुलर नाशपाति का विशष कर उल्लेख करते हुए कहा कि दक्षिण सिंच्यांग के खुलर क्षेत्र में उत्पादित खुलर खुशबू नाशपाति बहुत विख्यात है । कहा जाता है कि यदि कोई व्यक्ति रास्ते पर यह खुशबू नाशपाति खाते हुए घूमता हो , तो झुंट में झुंट मधुमक्खियां उस की ओर उड़ जाती हैं ।

जब आप इस खुशबूदार नाशपाति के पकने के मौसम में खुलर क्षेत्र जाते हैं , तो चाहे सड़कों के दोनों तटों , खेतों पर हो या स्थानीय वासियों के प्रांगणों में क्यों न हो , हर जगह पर पक्के खुशबूदार नाशपातियां पेड़ों पर लदे हुए दिखाई देती हैं । इतनी अधिक रसदार खूशबुदार नाशपातियां देखकर किसी भी व्यक्ति के मुंह में पानी एकदम आ सकता है । सुना जाता है कि इस प्रकार वाले नाशपाति पेड़ उगाये जाने वाला इतिहास कोई दो हजार वर्ष पुराना है । यदि यह पेड़ खुलर क्षेत्र के बाहर किसी भी जगह पर उगाया जाये , तो नाशपाति का स्वाद बदला जाता है । यदि बाहर की किसी साधारण किस्म का नाशपाति खुलर क्षेत्र में उगाया जाये , तो उस के नाशपाति का स्वाद भी पहले से अधिक मिठा होता है । इसलिये लोगों की मान्याता में खुलर क्षेत्र नाशपाती उगाने के लिये सब से उचित स्थल माना जाता ही है ।

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