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(GMT+08:00) 2005-11-23 09:20:39    
छात्रों द्वारा आयोजित रोबोट प्रतियोगिता

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रोबोट मानव के महान आविष्कारों में से एक है। रोबोट का इतिहास चालीस वर्षों का हो चला है और इधर के कुछ वर्षों से रोबोट तकनीक में निरंतर सुधार किये जा रहे हैं। आज रोबोट का उद्योग, पर्यटन और चिकित्सा आदि अनेक क्षेत्रों में प्रयोग किया जा रहा है। रोबोट से लोगों, खासकर छात्रों का ध्यान आकर्षित है। रोबोट में छात्रों की रुचि अच्छी बात है , क्योंकि इससे छात्रों की विज्ञान व तकनीक के प्रति प्यार को प्रोत्साहित किया जा सकता है। चीन सरकार भी दूसरे देशों की सरकारों की तरह छात्रों में रोबोट बनाने की गतिविधियों को प्रोत्साहित करती है। सरकार छात्रों को रोबोट बनाने में समर्थ बनाने के लिए रोबोट प्रतियोगिता जैसी गतिविधियों का भी अक्सर आयोजन करती है। हाल ही में चीन के 39 कालेजों के छात्रों ने एक रोबोट फुटबाल प्रतियोगिता आयोजित की। इस प्रतियोगिता के नियमों के अनुसार हर टीम में चार से पांच रोबोट शामिल किये गये, जिन का कुल वजन पचास किलोग्राम था। ये सभी रोबोट छात्रों द्वारा बनाये गये थे। रोबोट बनाने के लिए मशीनरी, इलेक्ट्रोनिक्स और गणित आदि विषयों की जानकारी की जरूरत होती है। इस रोबोट फुटबाल प्रतियोगिता के हर मैच में दो टीमें शामिल रहीं। रोबोटों को अपने हाथों से प्लास्टिक की गेंद को डिब्बे में डालना था और टीम की जीत तय होनी थी जो अधिक बार गेंद डालने में सफल रही हो। छात्रों द्वारा बनाये गये रोबोट अलग-अलग आकार के हैं। इनमें से कुछ 1.7 मीटर लम्बे हैं तो कुछ सिर्फ तीस मिलीमीटर के। इन में कुछ पूर्ण रूप से स्वचालित हैं तो कुछ का नियंत्रण दूर नियंत्रक या रिमोट कंट्रोल के जरिये किया जा सकता है। लेकिन प्रतियोगिता में लम्बे रोबोट श्रेष्ठता साबित नहीं कर पाये। छोटे रोबोट लचीले तरीके से लम्बे रोबोट की टांगों के बीच से तक गुजर सकते थे और ढलान पर फिसल कर भी गेंद को तय डिब्बे में डाल सकते थे। कुछ रोबोटों के पास परिवहन के उपकरण भी उपलब्ध हैं। इस तरह के रोबोट प्रतियोगिता में न केवल गेंद को सही जगह डाल सकते थे, अपने प्रतिद्वंद्वियों को रोकने की चाल भी चल सकते थे। मिसाल के लिए चच्यांग विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा बनाये गये रोबोट में एक बिजली का पंखा भी था, जिस के जरिये यह रोबोट प्रतिद्वंद्वियों की ओर से गेंद को दूसरी ओर उड़ा सकता था। पर इन सबसे और खतरनाक हथियार भी वहां मौजूद था इसलिए कि कुछ रोबोट गेंद को डिब्बे में फेंकने के बाद एक जाल से डिब्बे को ढक सकते हैं, ताकि प्रतिद्वंद्वी उस में गेंद न डाल सकें। प्रतियोगिता में लम्बे रोबोट आम तौर पर अपने आकार से प्रतिद्वंद्वियों को खदेड़ने में सफल रहे तो छोटे रोबोट प्रतिद्वंद्वियों के रास्ते में बाधा खड़ी करने में चालाक साबित हुए। चीनी छात्रों ने अब तक इस तरह की रोबोट प्रतियोगिता के चार आयोजन किये हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस रोबोट प्रतियोगिता से न सिर्फ छात्रों का विज्ञान व तकनीक का स्तर उन्नत हुआ, उन्हें तथा प्रतियोगिता के दर्शकों को अपार प्रसन्नता भी मिली। नीचे आप पढ़ पाते हैं कुछ दिलचस्पी वाले खबरें । प्राचान काल के सेलर चंग ह की महान यात्रा की 600वीं जयंती के उपलक्ष्य में चीन सिलसिलेवार स्मृद्धि गतिविधियां आयोजित करेगा । चंग ह ने सन पंद्रहवीं शताब्दी के 28 सालों में , बेड़े बेड़ों का नेतृत्व लेकर दक्षिण पूर्वी एशिया , श्रीलंका , भारत और पूर्वी अफ्रीका के तीसेक देशों का दौरा किया था । 郑和 की महान यात्रा का पैमाना तत्काल में सब से बड़ा था , और उन के बेड़े का तकनीक स्तर भी उस काल में विश्व की चोटी पर रहा था । इधर वर्षों में मानव के चांद का सर्वेक्षण करने की कोशिश जोरों पर की जा रही है । वर्ष उन्नीस सौ उन्नसठ में सोवियत संघ के उपग्रह ने चांद की परिक्रमा पूरी की । इस के बाद अमेरिका और सोवियत संघ के बीच चांद पर अपने सर्वेक्षण यंत्र छोड़ने की प्रतिस्पर्द्धा शुरू हुई । दोनों देशों ने उन्नीस सौ उन्नसठ से उन्नीस सौ सत्तर दशकों में क्रमशः चांद पर तीसेक सर्वेक्षण यंत्र उतराये । पर वर्ष उन्नीस सौ उन्नहत्तर के जुलाई में अमेरिकी अंतरिक्षयात्रियों ने सोतिवय संघ के आगे बढ़कर प्रथम बार मानव का पांव चंद्रमा की सतह पर रखने में सफल किया । इस के बाद उन्हों ने पांच बार चांद पर उतरे । नयी शताब्दी में रूस , यूरोप , चीन और भारत आदि ने भी चांद के सर्वेक्षण में अपना स्थान कायम किया है ।