
तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के दक्षिण पूर्व भाग में स्थित मो थ्वो कांउटी वर्तमान चीन में एकमात्र ऐसी कांउटी है, जहां बाहर के साथ जुड़ने वाली कोई पक्की सड़क नहीं है । वहां केवल कांउटी सिटी के भीतर सीमेंट की सड़क उपलब्ध है और शेष सभी सड़कें मिट्टी की हैं । यह कांउटी देश की सब से गरीब कांउटियों में से एक है । कांउटी के भीतर भारत से लगी सीमा 260 किलोमीटर लम्बी है, जिस का चीन में महत्वपूर्ण स्थान है । एक साल पहले तिब्बत को सहायता देने केलिए देश के भीतरी इलाके से आए कार्यकर्ताओं में से एक के रूप में क्वांग तुंग प्रांत के निवासी श्री श्यू श्याओ जू मोथ्वो कांउटी आए, और यहां उन्होंने अविस्मर्णीय समय बिताया । आज के इस कार्यक्रम में आप सुनेंगे चीन के भीतरी इलाके से आए तिब्बत की सहायता करने वाले कार्यकर्ता श्री श्यू श्याओ जू और उन के मो थ्वो कांउटी से प्यार की कहानी
वर्ष 2004 के जून माह में श्री श्यू श्याओ जू तिब्बत की सहायता करने के लिए चौथे खेप के एक सदस्य के रूप में तिब्बत आए, और वे दक्षिण पूर्वी तिब्बत में स्थित मो थ्वो कांउटी के उप जिलाध्यक्ष नियुक्त किए गए । पहली बार जब वे मो थ्वो कांउटी आए, तो यहां की वास्तविक स्थिति से वे काफी चकित हुए । मो थ्वो कांउटी तीन ओर पहाड़ों से घिरी हुई है । मानसून और पहाड़ी स्थिति के प्रभाव से यहां अकसर भूस्खलन हुआ करता है । भौगोलिक स्थिति जटिल होने के कारण मो थ्वो कांउटी में मार्ग का निर्माण करना बहुत कठिन है । कंउटी सिटी से बाहर 80 किलोमीटर दूर तक ही बस की सेवा प्राप्त नहीं है । अगर लोग बाहर से मो थ्वो आए, तो उसे इस अस्सी किलोमीटर लम्बा पहाड़ी रास्ता लगभग पांच दिन पैदल से तय करना पड़ता है । इसलिए श्यू श्याओ जू मो थ्वो भी पैदल से पांच दिन चल कर कांउटी पहुंचे । रास्ते में उन्हें बर्फिले पहाड़ को पार करना पड़ा । स्थानीय लोगों ने उन्हें बताया कि मौसम के कारण बाहर के लोग व सामग्री केवल हर साल के मई से सितम्बर तक की अवधि में मो थ्वो कांउटी आ जा सकते हैं , क्योंकि साल के अन्य समय में बर्फ से ढके पहाड़ इतने दुर्गम है कि बाहर के लोग मोथ्वो कांउटी में प्रवेश नहीं कर सकते , यों मो थ्वो कांउटी वासी भी बाहर नहीं जा सकते।
यातायात असुविधा होने के कारण मो थ्वो के बहुत से निवासियों का जीविका बाहर के लोगों के लिए अपने पीठे पर सामान लादने पर निर्भर होता है । इन लोगों में सब से बड़े लोग की उम्र 60 साल से ज्यादा है, और सब से छोटा 9 साल का । श्यू श्याओ जू ने मेरे साथ एक साक्षात्कार में उन के प्रथम बार मो थ्वो कांउटी में आने का अनुभव बताया । उन्होंने कहा कि उस समय उन्होंने एक नौ साल के लड़के को देखा, जो पीठ पर यात्री के सामान लादे बर्फिले पहाड़ पर चढ़ रहा था । इसे देखकर श्यू श्याओ जू को दया आयी, उन्होंने उस लड़के से कहा कि क्या मैं तुम्हारी सहायता कर सकता हूँ ?लेकिन लड़के ने श्यू श्याओ जू की सहायता से इनकार कर दिया , उन का कहना था कि वह इस काम की कमाई से स्कूल में पढ़ने की फ़ीस जमा कर सकता है । अगर दूसरे लोग उस की सहायता करे, तो उसे डर है कि कहीं उस की कमाई हाथ से तो न जाए । इस लिए सारे रास्ते में नौ वर्ष का लड़का स्वयं सामान लादे बर्फिले पहाड़ और नदी को पार करता रहा । इस घटना से श्यू श्याओ जू को एक बार फिर मो थ्वो लोगों का सादा स्वभाव और ईमानदारी महसूस हुआ और साथ ही इस बात से उन्हें बहुत दुख हुई कि दुर्गम यातायात से मो थ्वो लोगों के लिए कितनी भारी मुसिबतें उत्पन्न हुई है ।
मो थ्वो कांउटी के उप जिलाध्यक्ष का पद संभालने के एक साल में श्यू श्याओ जू मात्र तीन बार मो थ्वो कांउटी आए और गए । हर बार के अनुभव से उन्हें काउंटी के नेता होने की भारी जिम्मेदारी महसूस हुई । उन का कहना हैः
"तीन बार मो थ्वो कांउटी आने के अनुभवों ने मुझे बेहद प्रेरित किया। मैं ने अपने आप से कहा कि अगर मैं मो थ्वो की सेवा न करूंगा, तो मेरे तीन सालों से तिब्बत की सहायता करने आने का कोई महत्व नहीं रहेगा। यदि ऐसा हुआ , तो मुझे जरूर बड़ा अफसोस होगा । अगर मैं ने मो थ्वो वासियों के लिए कोई सार्थक काम नहीं किया, तो मैं काही तिब्बत की सहायता करने के नाम से यहां आया । मैं ने सोचा था कि भीतरी इलाके से कोई लाख य्वान की पूंजी जुटा कर लाने और सिर्फ कांउटी में चंद कुछ इमारतों और दो एक रास्तों का निर्माण करने से मोथ्वो वासियों को क्या बड़ा लाभ मिल सकेगा ।"
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