इधर के कुछ वर्षों से दक्षिण- पश्चिमी चीन के क्वेई चओ प्रांत की राजधानी क्वेई यांग शहर के स्कूल व समाज के विभिन्न तबके बच्चों के कला की शिक्षा लेने को बड़ा महत्व देते आये हैं। इन बच्चों का नृत्य-गान गहरी जातीय विशेषता लिये होता है, जिसे देश-विदेश का उच्च मूल्यांकन प्राप्त हुआ है। बाल कला अब क्वेई यांग शहर की एक पहचान बन गई है। चलिए आज हम क्वेई यांग चलते हैं वहां की बाल कला को खुद महसूसने।
इस वर्ष जून के एक दिन, हमने क्वेई यांग शहर की छोटा फूल नामक कला मंडली से बातचीत की। हमारी मुलाकात उसकी एक सदस्य व्यू व्यू जू नामक एक लड़की से हुई। उस ने बताया कि उसकी कलामंडली के अभिनय को लोग बहुत पसंद करते हैं। वह अनेक शहरों में ही नहीं कुछ देशों व क्षेत्रों में जाकर भी अभिनय कर चुकी है। उसने कहा, मैं अभिनय करने अनेक स्थल जा चुकी हूं। अब मैं हांगकांग जाऊंगी और वहां एक मैच में भी भाग लूंगी। हमारी मंडली अनेक अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पुरस्कार हासिल कर चुकी है, जिन में उच्चतम पुरस्कार ओलिम्पियाड समूहगान पुरस्कार रहा है।
क्वेई यांग में छोटा फूल जैसी अनेक कला मंडलियां हैं। सड़कों पर चलते हुए आप ऐसी कला मंडलियों के झंडे देख सकते हैं। किसी बाल कला मंडली में प्रवेश करने पर आपको उसकी खिड़कियों पर उसके सदस्यों के अभिनय की तस्वीरें और पुरस्कार रखे दिखेंगे। फ्रांस के माटा अंतरराष्ट्रीय बाल कला उत्सव से ले कर अमरीका, जर्मनी और इटली के विभिन्न कला उत्सवों में क्वेई च्यो के बाल कलाकार देखे जा सकते हैं। क्वेई यांग की एक बाल कला मंडली पिछले 20 वर्षों में 1200 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार पा चुकी है। क्यों क्वेई यांग की बाल कला अब खासी विकसित है। क्वेई यांग के नृत्य गान मंडल के राष्ट्रीय स्तर के नृत्य निर्देशक यांग ख्येई ल्यांग अवकाशप्राप्त वृद्ध हैं। उनके द्वारा कल्पित अनेक बाल नृत्यों को देश-विदेश में पुरस्कार मिल चुका है। उन के अनुसार,
हमारा विचार है कि क्वेई यांग के बाल नृत्य गान में जातीय विशेषता होनी चाहिए। जातीय विशेषता वाली चीज़ें विश्व की भी हैं, इसलिए बाल जीवन को जाति के दृष्टिकोण से प्रस्थान कर प्रतिबिंबित किया जाना चाहिए। क्वेई यांग की बाल कला की यही विशेषता है। इसीलिए, अनेक लोग इसे देख-सुन कर प्रभावित होते हैं।
क्वेई यांग ऐसा शहर है, जहां म्याओ, थू और दोंग आदि अनेक जातियां रहती हैं। क्वेई यांग के बच्चों के कलात्मक विकास में इन जातियों की विशेषताओं का पूरा प्रयोग किया जाता है। फूलदार घाघरा नामक नृत्य म्याओ लड़कियों का मशहूर नृत्य है। नृत्य में फूलदार घाघरे पहने लड़कियां ऐसे घाघरों में न सजी लड़कियों को ये घाघरे देकर एक साथ नृत्य करने के लिए आमंत्रित करती हैं। इस नृत्य से बच्चों को यह विचार मिलता है कि अन्य लोगों को खुशी देने से कैसे खुशी हासिल की जा सकती है।
क्वेई यांग ने पिछले शताब्दी के 80 के दशक के शुरू में बच्चों को कला की शिक्षा देनी शुरू की। उस समय एक कला अध्यापक ने म्याओ म्याओ नामक बाल कला मंडली की स्थापना की। इस के बाद, क्वेई यांग शहर की सरकार ने बाल कला के विकास के लिए अनेक कदम उठाये। क्वेई यांग के संस्कृति ब्यूरो के सामाजिक व सांस्कृतिक प्रबंध विभाग के प्रधान श्री तंग जी योंग ने बताया, हम ने मुख्य रूप से चार पक्षों को महत्व दिया है। एक, बुनियादी संरचनाओं का निर्माण, दो, बाल कला की सुयोग्य प्रतिभाओं का विकास,तीन, विभिन्न गतिविधियों का निर्माण और चार, नृत्य-गान की रचना। क्वेई यांग बहुजातीय शहर है। हम बाल कला की रचना में जातीय विशेषता पर बड़ा ध्यान देते हैं।
क्वेई यांग की विभिन्न बाल कला मंडलियां फुरसत के समय बच्चों को कला की शिक्षा देती हैं ताकि उनकी सामान्य पढ़ाई पर प्रभाव न पड़े। इतना ही नहीं, अध्यापक बच्चों को उनकी विशेषताओं व रुचियों के अनुसार, यह शिक्षा देते हैं। बाल कला मंडली में कार्यरत सुश्री जडं लू ने कहा, हमारे यहां बच्चों को बहुत अच्छी शिक्षा दी जाती है। हम आशा करते हैं कि वे सब स्वस्थ व खुश रहकर बड़े होंगे।
क्वेई यांग की निरंतर समृद्ध होती बाल कला ने इस शहर को प्रतिभाओं का पालना बना दिया है। चीन की केंद्रीय संगीत अकादमी, शांगहाई संगीत अकादमी और पेइचिंग नृत्य अकादमी आदि प्रमुख कला अकादमियों को इसने अनेक श्रेष्ठ छात्र दिये हैं जिन में से कुछ अब चीनी नृत्य व संगीत मंच के जाने-माने व्यक्ति बन चुके हैं। क्वेई यांग की बाल कला मंडलियों के सदस्य अकसर चीन के टी वी स्टेशनों पर भी कार्यकक्रम देते हैं और चीन के 36 करोड़ बच्चों को खुशी देते हैं।
|