श्री ली येन हुंग ने पाया कि चीन में वेब साइट का बाजार बहुत विशाल है। उस समय तक अमरीका में इंटरनेट की लोकप्रियता 70 प्रतिशत को पार कर चुकी थी, जबकि चीन में यह 8 प्रतिशत मात्र थी। पाएटू वेबसाइट की तकनीक मैनेजर सुश्री वांग मंग छ्यो ने बताया ली आपको समझाने के लिए अक्सर साफ शब्दों में अमुक काम जल्दी करने को कहते हैं न कि इसके लिए आदेश देते हैं। यदि हमारी बात उचित या फलदायक हो तो वे बड़ी आसानी से उसे मान लेते हैं।
सर्वेक्षणों से पता चला है कि इस समय चीन के सभी चीनी भाषी खोज इंजनों में पाएटू की तकनीक को समर्थन देने वालों की संख्या 80 प्रतिशत से भी अधिक है। बहुत से लोगों की नजर में यह एक स्थिर आमदनी का विकसित रास्ता है। श्री ली येन हुंग ने वर्ष 2001 में स्वतंत्र रूप से पेशेवर खोज इंजन वेब साइट का नया फार्मूला बनाने का फैसला लिया। इस निर्णय ने कम्पनी में खलबली मचा दी।
कम्पनी के प्रारम्भिक काल में पाएटू में शामिल तकनीक सुपरवाइजर को छन ने बताया तब कम्पनी में किसी ने भी श्री ली येन हुंग के विचारों का समर्थन नहीं किया। पाएटू के निर्माण के समय से ही कम्पनी का खोज इंजन का एक वाणिज्य फार्मूला था,पाएटू इस फार्मूले पर चलता आया था। ऐसे में श्री ली येन हुंग पर काफी दबाव पड़ा। बोर्ड मैनेजर समेत सभी अधिकारियों को नहीं लगता था कि यह फार्मूला इंटरनेट के विकास के अनुरूप नहीं रह गया है।
इस स्थिति में भी श्री ली येन हुंग अपने निर्णय पर डटे रहे। उनका मानना था कि खोज इंजन के केवल समग्र तकनीक प्रदान करने के बूते कंपनी भावी विकास के लक्ष्य को पूरा नहीं कर सकती। इसके लिए उन्होंने सभी तरीकों से अपने शेयरधारकों को समझाने की कोशिश की और अपने विचारों से कम्पनी के आम कर्मचारियों तक को अवगत कराया। मैंने उन्हें भविष्य की ओर देखने को कहा। मैंने कहा, यदि आप वर्तमान या भूत को देखें तो कोई जोखिम नजर नहीं आएगा, लेकिन यदि भविष्य की ओर देखें तो पता चलेगा कि विकास दिशा धूमिल भी हो सकती है। हमारी इंटरनेट कम्पनी की स्थापना को दो साल ही हुए हैं, पर यदि आप इस फार्मूले में विकास की दिशा नहीं देख पाये तो कम्पनी का कोई भविष्य नहीं रह जाएगा।
आज हमें बीते दिनों को देखने पर अहसास होता है कि इस निर्णय ने वाकई पाएटू वेब साइट की तकदीर बदल दी है। चार वर्षों के विकास के बाद, यह खोज इंजन विश्व का सबसे बड़ा चीनी भाषी वेब डेटा बैंक बन गया है। अब वह हर दिन 100 से अधिक देशों के 10 करोड़ लोगों की मांग की पूर्ति करता है।
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