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(GMT+08:00) 2005-11-03 15:44:14    
विश्व के सबसे बड़े चीनी भाषी खोज इंजन के निर्माताः ली येन हुंग

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अमरीका के नैसडेक स्टोक बाजार में पाएटू नामक चीनी खोज इंजन के अपने शेयर दर्ज कराने के पहले दिन कम्पनी के शेयर के दाम 350 प्रतिशत बढ़े। इस तरह पाएटू ने लगभग 19 करोड़ अमरीकी डालर की पूंजी एकत्र की जिसे चीनी इंटरनेट उद्योगों द्वारा विदेशों में पूंजी एकत्र करने का नया रिकार्ड माना गया। पाएटू विश्व का सबसे बड़ा चीनी भाषी खोज इंजन है। इस के प्रमुख प्रबंधक ली ये हुंग हैं।

37 वर्षीय ली ये हुंग ने 1987 में 19 साल की आयु में चीन के प्रसिद्ध पेइचिंग विश्वविद्यालय में सूचना प्रबंधन की पढ़ाई शुरू की। 1991 में श्री ली येन हुंग अमरीका पढ़ने गए। तब लोग यह नहीं समझ पाये कि बड़ी सुगमता से डाक्टर की डिग्री की प्रवेश परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद इस डिग्री के लिए अपने शोध प्रबन्ध को लगभग पूरा करने के बावजूद श्री ली येन हुंग ने अचानक इस डिग्री की पढ़ाई त्यागने का निर्णय क्यों लिया।

खैर इस का कारण बताते हुए श्री ली येन हुंग ने कहा कि कई सालों के अध्ययन से उन्हें यह अहसास हुआ कि उनकी शोध अनुसंधान में बहुत रुचि नहीं है, बल्कि वे व्यावहारिक उत्पादों में कहीं ज्यादा दिलचस्पी रखते हैं। अमरीका में ढाई साल की पढ़ाई के दौरान मैंने बहुत जल्द कुछ वास्तविक चीजों पर काम करने की ठानी। सच कहूं मुझमें गहन सिद्धांतों को समझने व उन पर अनुसंधान करने को ले कर उत्साह नहीं था, बल्कि किसी तकनीकी कार्य में भाग लेकर अधिकाधिक लोगों के जीवन पर प्रभाव डालने वाली चीजों में कहीं ज्यादा रुचि थी। 

श्री ली येन हुंग ने पूरी तरह से इंटरनेट पर आधारित खोज इंजनों पर ध्यान देना शुरू किया और पढ़ाई पूरी करने के बाद तीन सालों तक डओ जोन्ज कम्पनी में मुद्राओं की सूचना एकत्र करने की व्यवस्था के विकास का कार्य किया। इन तीन सालों में श्री ली येन हुंग ने वाल स्ट्रीट जरनल समाचारपत्र के वेबपृष्ठ के लिए व्यावहारिक वित्तीय सूचना एकत्र करने की व्यवस्था का डिजाइन किया, जिसका वालस्ट्रीट की विभिन्न कम्पनियों की वेब साइटों ने व्यापक इस्तेमाल किया। वेबसाइट की गुणवत्ता व खोज इंजन से संबंध अनुसंधान में सफलता के लिए उन्हें अमरीकी पेटेन्ट भी मिला। इस तरह अपनी अव्वल तकनीक के सहारे श्री ली येन हुंग ने मशहूर अन्तरराष्ट्रीय पेशेवर खोज इंजन की सप्लाइर इन्फोसीक कम्पनी के साथ गठबन्धन किया।

जनवरी, 2000 में श्री ली येन हुंग अपने अजीज दोस्तों के साथ स्वदेश लौटे और उन्होंने 12 लाख अमरीकी डालर के जोखिम वाले पूंजी निवेश से आज के पाएटू खोज इंजन की स्थापना की। उन्होंने कहा कि अमरीका में काम के अनुभवों से उन्हें महसूस हुआ कि केवल तकनीकी महारत से आम लोगों के जीवन को बदलने की कल्पना साकार नहीं की जा सकती है, तकनीक के सार्वभौमिक प्रयोग को उद्योगों के व्यावसायीकरण के माध्यम से ही पूरा किया जा सकता है। उन्होंने कहा अमरीका में काम करने के दौरान मैंने धीरे-धीरे इस सवाल को समझना शुरू किया कि केवल तकनीक से ही विश्व को बदलने की कल्पना पूरी नहीं हो सकती, बहुत सी तकनीकों को बाजार व वाणिज्य नीतियों के चलते सीमित रहना पड़ता है। यही कारण है कि मैंने स्वयं एक उद्योग की स्थापना करने का निर्णय लिया।