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(GMT+08:00) 2005-11-03 13:15:39    
भारतीय मित्र हारपीन शहर की भारत सड़क पर मस्त हैं

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प्रिय दोस्तो , पिछली बार हम ने आप को चीन के भ्रमण कार्यक्रम में चीन के सब से उत्तर में स्थित हेलुंच्यांग प्रांत की राजधानी हारपीन शहर में नव स्थापित भारत सड़क की स्थापना के स्थानीय सरकार के इरादे से अवगत कराया , इतना ही नहीं , हम ने आप को हारपीन शहर की भारत सड़क के संस्थापक हारपीन शहर के नान कांग डिस्ट्रिकट के उप प्रधान चांग से मिला दिया । उन्हों ने भारत सड़क की स्थापना से जुड़ी जानकारी का तफसील से परिचय देते हुए कहा कि अपनी अलग पहचान वाले शहर के रूप में निर्मित करने के लिये हम क्रमशः नानकांग डिस्ट्रिकट में नारी सड़क , मकाओ सड़क ,रूसी सड़क , कोरिया सड़क समेत अनेक रौनकदार व्यवसायिक सड़कें निर्मित कर चुके हैं ।

पिछले कई हजारों वर्षों में इन दोनों देशों के बीच परम्परागत मैत्रीपूर्ण संबंध और सहयोग बने रहे हैं , विशेषकर वर्तमान आधुनिक काल में दोनों देशों के सामने गरीबी उन्मूलन , आर्थिक विकास, देश को पुनरूत्थान बनाने और जनता का जीवन स्तर उन्नत करने का समान मिशन मौजूद है । एक शब्द में भारत व चीन ये दोनों बड़े विकासशील देश बहुत से क्षेत्रों में एक दूसरे का पूरक माने जाते हैं । यदि हम हारपीन शहर के नान कांग डिस्ट्रिक्ट में एक भारत सड़क स्थापित करेंगे , तो इस अपने ढ़ंग की यह सड़क दोनों देशों के व्यापारियों के लिये निश्चित रूप से व्यापार करने और एक दूसरे को और नजदीकी से समझने की भूमिका निभायेगी । इसी इरादे से प्रेरित होकर 2004 वर्ष की जुलाई को नान कांग डिस्ट्रिक्ट के पूर्व प्रधान वेइ अपने सहकारियों के साथ सर्वेक्षण के लिये नयी दिल्ली पहुंचे ।

उस साल के सितम्बर के शुरू में खुद उप प्रधान चांग अन्य तीन संबंधित अधिकारियों के साथ दूबारा नयी दिल्ली गये । इस बार वे कुछ भारतीय व्यापारियों , दुकानदारों और कर्मचारियों को हारपीन शहर की भारत सड़क के लिये आमंत्रित करने का उद्देश्य लिये भारत गये थे । नयी दिल्ली ठहरने के दौरान वे प्रत्यक्ष रूप से भारतीय व्यापारियों व दुकानदारों के साथ हुई बातचीत में चीन में भारी परिवर्तनों व हारपीन में स्थापित भारत सड़क से अवगत कराया , साथ ही उन्हों ने हारपीन की विदेशियों के साथ इतनी उदार नीति बतलायी कि दो सालों के भीतर दुकानों का किराया भारतीय व्यापारियों को मुक्त किया जायेगा , डिस्ट्रिक्ट सरकार इस सड़क पर नौकरी करने वाले साधारण भारतियों को भत्ता दी जायेगी और सरकारी पैसे से भारतीय कला मंडली भी बुलाई जायेगी । क्योंकि चीन को कम जानने और सामाजिक व सांस्कृतिक भिन्नताओं की वजह से कुछ व्यापारियों को चीन जाने का साहस नहीं था । लगातार 8 दिनों के अथक समझाने बुझाने से उन्हों ने कुल 12 भारतियों को बुला ही लिया । उसी साल की 28 सितम्बर को हारपीन शहर की भारत सड़क का उद्घाटन विधिवत रूप से हो गया । अब इस भारत सड़क पर ह्वा फूंग भारत सड़क प्रबंध लिमिडेट कम्पनी चीन में खुली एक भारतीय पर्यटन कम्पनी की शाखा के साथ संयुक्त पूंजी से व्यापार करने में लगी हुई है , इस के अलावा भारत रेस्त्रां , भारतीय आभूषण , भारतीय त्रेस , शोल और अन्य कई प्रकार की कला कृतियां व बर्तन आदि वस्तुएं बेची जाती हैं ।

उप प्रधान चांग ने कहा कि क्यों कि शुरू में चीन व भारत दोनों देशों की सांस्कृतिक व सामाजित धारणाओं और रहन सहन की भिन्नताओं से भारतीय वस्तुएं खरीदने वाले चीनी लोग काफी अधिक नहीं थे , पर अब यह स्थिति धीरे धीरे भारत के बारे में ज्यादा जानने के चलते बदल रही है ।

हारपीन शहर की भारत सड़क पर मैं ने कई भारतीय मित्रों से बातचीत की है , उन्हों ने एक ही स्वर में मुझ से कहा कि वे यहां बहुत खुश हैं और स्थानीय लोगों के साथ घुलमिलकर रहते हैं , कोई परेशानी भी नहीं है । उन में से एक सरदार जी ने मुझे बताया कि उन्हों ने वेबसाइट पर एक चीनी युवक से दोस्ती बनायी है , वह चीनी युवक हारपीन शहर से कोई पांच सौ किलोमीटर की दूरी पर रहता है , पर वह उन से मिलने के लिये कभी कभी हारपीन शहर जाता है । इतना ही नहीं , वे अकसर टेलिफोन पर बातचीत भी करते हैं , यह कहकर सरदार जी ने अपने मुबाइल पर उस चीनी युकव के मोबाइल का नम्बर भी दिखा दिया । यह जानने से मैं बहुत प्रभावित हुई हूं , भूमंडलीय आर्थिक विकास के चलते चीन व भारत एक दूसरे के निकट आ रहे हैं , दोनों देशों का परम्परागत भाईचारा संबंध एक नये दौर में प्रविष्ट हो गया है ।