
आज के चीन का भ्रमण कार्यक्रम में चीन के किसी रमणीक स्थल के प्राकृतिक सौंदर्य का लुत्फ लेने के बजाये उत्तर पूर्वी चीन के हेलुंगच्यांग प्रांत की राजधानी हारपीन शहर में नव स्थापित भारत सड़क के दौरे पर आप को ले चलते हैं । आप अवश्य ही यह पूछना चाहते हैं कि चीन के सब से उत्तरी भाग में स्थित हेलुंगच्यांग प्रांत की राजधानी हारपीन शहर में एक भारत सड़क कैसे हो सकती है । जी हां , जब मैं ने यह खबर सुनी , तो मेरे मन में यह प्रश्न भी तुरंत ही उठा कि हारपीन शहर में भारत सड़क कैसे हो सकती है ।
प्रिय दोस्तो , चीन के भ्रमण कार्यक्रम में आप लोगों को हमारा नमस्कार । आज के चीन का भ्रमण कार्यक्रम में चीन के किसी रमणीक स्थल के प्राकृतिक सौंदर्य का लुत्फ लेने के बजाये उत्तर पूर्वी चीन के हेलुंगच्यांग प्रांत की राजधानी हारपीन शहर में नव स्थापित भारत सड़क के दौरे पर आप को ले चलते हैं । मुझे पता है कि आप अवश्य ही यह पूछना चाहते हैं कि चीन के सब से उत्तरी भाग में स्थित हेलुंगच्यांग प्रांत की राजधानी हारपीन शहर में एक भारत सड़क कैसे हो सकती है । जी हां , जब मैं ने यह खबर सुनी , तो मेरे मन में यह प्रश्न भी तुरंत ही उठा कि हारपीन शहर में भारत सड़क कैसे हो सकती है , यह सचमुच एक बड़ी आश्चर्यचकित बात है और इस सड़क को देखने की जिज्ञासा मेरे मन में एकदम बन बैठी । गत अगस्त में मेरी यह जिज्ञासा पूरी हो गयी।
प्रिय दोस्तो , सर्वविदित है कि भारत एक गर्मी देश है , गर्मियों में तेज धुप व ऊंचे तापमान से लोग बहुत परेशान होते हैं , पर उमस कम है और लोगों को पेड़ों की छाया में हल्की सी हवा से कुछ राहत मिल सकती है । पर चीन में गर्मियों का मौसम भारत की जितनी गर्मी नहीं तो है , पर कुछ दिनों में असहनीय उसम लोगों को ज्यादा सताती है । इस वर्ष गर्मियों में पेइचिंग का मौसम भी बहुत गर्मी और उमस से लोगों को ज्यादा तकलीफें थीं । गर्मी व उमस से बचने व राहत मिलने के लिये हारपीन शहर में बसे हमारे मित्र यांग दंपति ने हमें बार बार फोन पर वहां जाने को बुलाया । अगस्त के मध्य में मैशा समुद्री तूफान के प्रभाव में आकर पेइचिंग में इतनी गर्मी व उमस थी कि लोगों को सांस लेने तक भी कठिन था , इस से बचने के लिये एक दिन की शाम को मैं ने जल्द ही डिनर करने के बाद कई मित्रों के साथ पेइचिंग पश्चिमी रेल्वे स्टेशन पहुंचे । रात के साढ़े आठ बजने पर पेइचिंग से हारपीन शहर की ओर जाने वाली एक्सप्रेस रेलगाड़ी तेज गति से हारपीन के लिये पेइचिंग से रवाना हुई , करीब 12 घंटे की रेल यात्रा के बाद दूसरे दिन सुबह साढ़े सात बजे हारपीन शहर के रेल्वे स्टेशन पहुंच गये । रहने के लिये होटल का बंदोस्त हमारे मित्र यांग ने कब से ही कर लिया है . कुछ समय के लिये विश्राम के बाद हम हारपीन शहर के सब से प्राचीन प्रसिद्ध बाइजैंटिन शैली में निर्मित रूढ़िवादी सेंट सोफिया गिरजाघर देखने गये ।
इस प्रसिद्ध बाइजैटिन शैली में निर्मित रूढ़िवादी सेंट सोफिया गिरजा घर देखने के तुरंत बाद मैं ने दंपति यांग से कहा कि मैं इस शहर में निर्मित भारत सड़क देखना चाहती हूं ।
लंच के बाद हमारे मित्र यांग ने मुझ से कहा कि उन्हों ने भारत सड़क के संस्थापक , हारपीन शहर के नान कांग डिस्ट्रिक्ट के उप प्रधान चांग से इंट्रव्यू लेने और भारत सड़क देखने का बंदोबस्त कर लिया है । दोपहर के डेढ़ बजे हम नांन कांग डिस्ट्रिक्ट के प्रशासनीय भवन पहुंच गये , वहां उप प्रधान चांग के अलावा अन्य कई अधिकारी भी हमारी प्रतीक्षा में थे । अपना परिचय देने के बाद मैं ने बेबरसी के साथ उप प्रधान चांग से कहा कि जब मैं पिछले दसियों सालों में चीन व भारत की आपसी समझ बढ़ाने की कोशिश करती आयी हूं और मेरी रूचि भी इस संदर्भ में भी है । पर चीन के सब से उत्तरी भाग में स्थित हेलुंगच्यांग प्रांत की राजधानी हारपीन शहर में भारत चीन सड़क कभी नहीं सुनी । मैं जानना चाहती हूं कि हारपीन शहर में भारत चीन सड़क कैसे हुई है , और इस सड़क की स्थापना का क्या इरादा है ।
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