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(GMT+08:00) 2005-10-26 16:15:09    
पक्षियों के फ्लू के मुकाबले में समान प्रयास करो

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यूरोप की कुछ जगहों में पक्षियों के फ्लू का पता लगने के बाद यूरोपीय देशों ने इस रोग के मुकाबले के लिए आपसी विचार-विमर्श और समन्वय पर जोर दिया है । यूरोपीय देशों की सरकारों और लोगों का कहना है कि वहां पक्षियों के फ्लू के मुकाबले की पूरी तैयारी हो चुकी है और लोगों को इसे ले कर चिन्ता करने की जरूरत नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन तथा यूरोपीय संघ की परिषद ने चौबीस तारीख को डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन में तीन दिवसीय एक बैठक बुलायी। बावन देशों के अधिकारी और विशेषज्ञ इस बैठक में उपस्थित हुए। इसी दिन यूरोपीय संघ के कृषि मंत्रियों ने लग्जंबर्ग में एक सभा का आयोजन किया। इन दो सभाओं का उद्देश्य पक्षियों के फ्लू के मुकाबले के कदमों पर विचार करना रहा, ताकि यूरोप में इस रोग को फैलने से रोका जा सके। हाल के दिनों में यूरोप की अनेक जगहों में पक्षियों के फ्लू का पता लगा है। ब्रिटेन में मरे एक तोते, जिसका लातिन अमेरिका से आयात किया गया था, के एच पांच एन एक विषाणु से ग्रस्त होने का पता लगा। स्वीडन की राजधानी स्टाकहोम की एक झील में मरे एक बत्तख में भी एच पांच विषाणु पाया गया, जो पक्षियों के फ्लू के विषाणुओं की एक किस्म है। क्रोएशिया के पूर्वी भाग में मरे एक हंस में भी एच पांच एन विषाणु का पता लगाया गया। रूस की राजधानी मास्को के पूर्व में पांच सौ किलोमीटर दूर स्थित स्थान में भी पक्षियों के फ्लू का पता लगा है। ब्रिटेन ने अपने यहां मरे तोते का पता लगने के बाद ही यूरोपीय संघ से विश्व के किसी भी स्थल से जीवित पक्षियों का आयात बंद करने की मांग रख दी थी। यूरोपीय संघ के कृषि मंत्रियों की बैठक ने चौबीस तारीख को ब्रिटेन की इस मांग पर विचार किया । यूरोपीय चिकित्सा कमेटी के सदस्य ने बैठक के बाद कहा कि यूरोपीय संघ की परिषद ब्रिटेन की मांग स्वीकार करेगी। रिपोर्टें है कि जर्मनी चौबीस तारीख से देश भर में पक्षियों की कड़ी निगरानी करेगा। स्लोवाकिया ने इस दिन से विदेशों से जीवित पक्षियों तथा पक्षी मांस के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है। बोस्निया व हेर्सेगोविना ने भी ऐसे कदम की घोषणा की है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के यूरोपीय मामलों के कार्यालय के प्रधान ने कोपेनहेगेन में कहा कि यूरोप में पक्षियों के फ्लू के मुकाबले के उचित और समन्वित कदम उठा कर इस रोग के यूरोप में फैलाव की रोकथाम की जा सकती है। उन्हों ने कहा कि यूरोपीय देशों को ऐन वक्त पर पक्षियों के फ्लू के विरुद्ध जोरदार कदम उठाना चाहिये ताकि वह इधर-उधर पैदा होने से रोका जा सके। पक्षियों के फ्लू के मामलों के निरंतर सामना आने की स्थिति में यूरोप के पालतू पशुओं के व्यवसाय को भारी आघात पहुंचा है। हाल में पक्षियों के फ्लू के फैलने से इस रोग के प्रति यूरोपीय नागरिकों की चिंता बढ़ी है। अनेक स्थलों में तो ऐसी स्थिति पैदा हो गई है कि लोग विषाणु विरोधी व आम फ्लू की रोकथाम की दवाएं खरीद रहे हैं। यूरोपीय अखबारों का कहना है कि हाल में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने विभिन्न देशों के इसके लिए पूरी तैयारी करने पर जोर देने के साथ नागरिकों को इसे ले कर चिंता न करने के लिए भी समझाया है। इस संगठन के अनुसार हाल में पक्षियों के फ्लू केवल पक्षियों तक सामित है और इसके मनुष्यों के बीच फैलने का कोई मामला सामने नहीं आया है इसलिए यह जन स्वास्थ्य के लिए कोई खतरा नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हाल तक पक्षियों के फ्लू से संबंधित चेतावनी के स्तर को तीसरे स्तर पर बरकरार रखा हैस जबकि विश्व में संक्रामक रोगों के खतरे को छैः स्तरों में विभाजित किया गया है। इसलिए, तीसरे स्तर के खतरे का मतलब है एक नया संक्रामक रोग उत्पन्न हो गया है, पर इसका विषाणु लोगों में नहीं फैल सकता है। यूरोपीय संघ के विभिन्न स्तरों के अधिकारी भी लगातार लोगों को समझा रहे हें कि वे चिंता न करें। उनका कहना है कि हालांकि पक्षियों का फ्लू यूरोप में प्रवेश कर चुका है, लेकिन, मुख्य रूप से इसका प्रसार पक्षियों के बीच ही है और उनके निकट संपर्क में रहने वाले बहुत ही कम लोगों को इस विषाणु ने प्रभावित किया है। इसलिए,इस रोग की रोकथाम के पूरे कदम उठाये जाने से इसके और फैलने की संभावना बहुत कम हो गई है। पक्षियों के फ्लू के बारे में कुछ जानकारी अब हमारा ध्यान एशिया पर खींचा जाए ।कुछ एशियाई देशों में पक्षियों के फ्लू का फैलाव भी होने लगा । चीन , थाइलैंड , कंपुचिया, वियतनाम , जापान और दक्षिण कोरिया आदि देश इस संक्रामक रोग से ग्रस्त हैं । आज के इस कार्यक्रम में आप इस संदर्भ में कुछ जानकारी सुनिये । पक्षियों के फ्लू आम तौर पर मुर्गा मुर्गियों और कबूतर आदि पक्षियों में फैलता है । पक्षी ऐसे रोग लगने के बाद कम खाना और खांसी करना शुरू करते हैं । पक्षियों के फ्लू के भी कई किस्म हैं । उच्च संक्रामिकता वाला पक्षी फ्लू लगने वाले पक्षियों की मृत्यु दर शत प्रतिशत रहती है । इसलिये किसी क्षेत्र में संदिग्ध पक्षी फ्लू का पता लगाने के बाद ही विशेषज्ञों द्वारा इस रोग का निरीक्षण किया जाना और इसे तय किया जाना चाहिये , ताकि आवयश्क कदम उठाये जाएंगे । अनुसंधान के अनुसार एक स्वस्थ आदमी के लिये पक्षियों के फ्लू से डरने की आवश्यकता नहीं है । पर कमजोर व्यक्तियों की संक्रामक रोग का मुकाबला करने की क्षमता भी कमजोर होती है । और विशेषज्ञों का कहना है कि पक्षियों के फ्लू अब तक मुख्यतः पक्षियों के भीतर फैलता है । पक्षियों के साथ प्रत्यक्ष संपर्क रखने वाले व्यक्तियों को इस संक्रामक रोग लगने की आशंका भी मौजूद है । मानव के भीतर इस रोग का संक्रमण होने का सबूत नहीं नजर आया है । पक्षियों के फ्लू के मुकाबले में विशेषज्ञों ने यह सुझाव पेश किये हैं कि सर्वप्रथम इस रोग को बरामद करने वाले क्षेत्र में सभी पक्षियों को मार डालने की जरूरत है । पक्षियों और मानव के बीच संक्रमण चलने के रास्ते को भी बन्द किया जाना चाहिये । पक्षी पालन स्थलों के कर्मचारियों को पक्षियों के फ्लू से ग्रस्त पक्षियों के साथ संपर्क रखते समय विषाणु विरोधी दवा खाना चाहिये और काम करते समय मास्क पहनने और काम करने के बाद अपने कपड़ों की सफाई देने की आवश्यकता है । अन्त में यह भी चर्चित है कि अगर किसी व्यक्ति बीमार पक्षी के साथ संपर्क रखने के बाद स्वयं भी बीमार हो , तो इसे तुरंत ही अलगाव में रखा जाना चाहिये। आम नागरिकों को पक्षी फ्लू के प्रति ज्यादा चिन्ता होने की जरूरत नहीं है । पर लोगों को पक्षी या अंडे खाने से पहले उन्हें पक्का देना चाहिये , क्योंकि सत्तर डिग्री से अधिक के तापमान में पक्षी फ्लू के विषाणु का अस्तित्व नहीं हो सकेगा । चीनी कृषि मंत्रालय के एक विशेषज्ञ के अनुसार आजकल एशिया में फैले हुए पक्षियों के फ्लू कोई नयी बीमारी नहीं है । वह सब से पहले उन्नीसवीं शताब्दी में यूरोप से संपन्न हुई थी । बाद में इस संक्रामक रोग के दसेक किस्म भी पैदा हुए । बीते सौ से अधिक वर्षों में पक्षियों के फ्लू का मुकाबला करने के बाद मानव को भी काफी अनुभव प्राप्त हो गये हैं । उच्च संक्रामिकता वाले पक्षी फ्लू की रोकथाम असंभव नहीं है । पर इस काम की कुंजी यह है कि पक्षियों के फ्लू का पता लगाने के बाद ही पूर्ण रूप से सफाई देने और बीमार पक्षियों को मार डाने आदि कदम उठाना चाहिये ।