आज के इस कार्यक्रम में हम कोआथ रोहतास, बिहार के कुमार रेडियो श्रोता संघ के मनोज कुमार गुप्ता, राजेश कुमार गुप्ता, भागलपुर, बिहार की नाजनी हसन, तमन्ना हसन, हमीदा हसन, शवीना हसन, नजमा खावम, सुन्नताना खातुन, मोहम्मद हुसैन अन्नी, मुर्तजा अन्नी, मोहम्मद हुसैन, गुन्नरेज अन्नी, मोहम्मद मिन्हाज अन्नी, बदर खां, कोआथ, बिहार के मोहम्मद अली बदर, तलत परवीन, हाशिम आज़ाद, कैरून निसा, रज़ीया खातुन, खाकसार अहमद, बाबू अकरम, रोहतास, बिहार के कुमार रेडियो श्रोता संघ के मनोज कुमार गुप्ता, राजेश कुमार गुप्ता, गया, बिहार के मोहम्मद जावेद खां, मोहम्मद जमिल खां, शाहीना प्रवीन, खुशबू कातून और रोहतास, बिहार के ही सुनील केशरी, संजय केशरी तथा सीताराम केशरी के पत्र शामिल कर रहे हैं।
पहले हम कोआथ रोहतास, बिहार के कुमार रेडियो श्रोता संघ के मनोज कुमार गुप्ता, राजेश कुमार गुप्ता, भागलपुर, बिहार की नाजनी हसन, तमन्ना हसन, हमीदा हसन, शवीना हसन, नजमा खावम, सुन्नताना खातुन, मोहम्मद हुसैन अन्नी, मुर्तजा अन्नी, मोहम्मद हुसैन, गुन्नरेज अन्नी, मोहम्मद मिन्हाज अन्नी, बदर खां, कोआथ, बिहार के मोहम्मद अली बदर, तलत परवीन, हाशिम आज़ाद, कैरून निसा, रज़ीया खातुन, खाकसार अहमद और बाबू अकरम के पत्र लें। उन्होंने अपने पत्र में चीन की लम्बी दीवार को लेकर बड़ी जिज्ञासा व्यक्त की है और पूछा है कि चीन की लम्बी दीवार का निर्माण कब, किस कारण और किस के द्वारा हुआ, इस दीवार की ऊंचाई कितनी है और चीन की दीवार को जोड़ने के लिए किस मसाले का प्रयोग किया गया है।
दोस्तो, हम आप सब की जिज्ञासा शांत करने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं। प्राचीन चीन वसंत-शरद व युद्धरत काल में बहुत से लघु राज्यों में विभाजित था। इनके राजाओ ने अपनी-अपनी सुरक्षा के लिए और एक-दूसरे के मुकाबले में खतरनाक पहाड़ों पर अलग- अलग तौर पर दीवारों का निर्माण कराया। ईसा पूर्व 221 में छीन(秦) राज्य ने विभिन्न लघु राज्यों का सफाया करके पहली बार चीन का एकीकरण किया और मशहूर छीन राजवंश की स्थापना थी। छीन राजवंश के उत्तर में रहने वाली पशुपालक जाति हूण बहुत शहजोर थी। हूण लोग अक्सर दक्षिण का अतिक्रमण करते थे। उनके अतिक्रमण के प्रतिरोध के लिए छीन राजवंश के प्रथम बादशाह छीनशीह्वांग के आदेश पर उत्तरी चीन में पूर्व के लघु राज्यों द्वारा बनाई गई दीवार को जोड़ कर उसका विस्तार किया गया जिसे लम्बी दीवार कहते हैं। इस के बाद लम्बी दीवार का कई बार पुनर्निर्माण किया गया।इस की कुल लम्बाई कोई 6700 किलोमीटर है।
पातालिंग को ही लीजिए। पातालिंग चीन की राजधानी पेइचिंग के यानछिंग क्षेत्र में स्थित है। इस का निर्माण वर्ष 1505 में मिंग राजवंश में हुआ और इस का इतिहास 500 साल पुराना है। पातालिंग आज भी संरक्षित है। पातालिंग की दीवार दो गढ़ों से जुड़ी है। दीवार का डिजाइन भौगोलिक स्थिति के अनुसार किया गया। इस की औसत ऊंचाई 7 मीटर है जो कुछ जगहों पर 14 मीटर तक है। दीवार की नींव में चौड़ाई 6.5 मीटर और ऊपर की ओर 5 मीटर है। दीवार के ऊपर 5 घोड़े या दस सिपाही कंधे से कंधा मिला कर खड़े हो सकते हैं।
छीन राजवंश के बाद हान राजवंश में भी बड़े पैमाने पर लम्बी दीवार का निर्माण किया गया। ईसा पूर्व 127 में हान राजवंश के एक सेनापति वेईछिंग ने उत्तरी छोर से हमला किया। इस के बाद छीन राजवंश काल की लम्बी दीवार की मरम्मत की गई। 6 साल बाद वहां की सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए सम्राट ल्यूछे ने वहां लम्बी दीवार का निर्माण करने का आदेश दिया। बाद में आज के कांसू प्रांत, छिंगहाई प्रांत व सिंच्यांग उइगुर स्वायत्त प्रदेश के क्षेत्र में भी अनेक बार लम्बी दीवार की परियोजना तैयार की गई।
इस के बाद के वेई व चिन राजवंश काल में उत्तरी चीन में श्यानपेई जाति की सत्ता रही। उत्तर से तुर्क जाति के पशुपालकों के खतरे के मुकाबले के लिए भी लम्बी दीवार का निर्माण किया गया।
श्वेई राजवंश काल में उत्तर से तुर्क जाति के खतरे के मुकाबले के लिए भी सरकार ने लम्बी दीवार का निर्माण कराया या पुरानी दीवार की मरम्मत की।
मिंग राजवंश काल में उत्तरी चीन से मंगोल जाति के खतरे के मुकाबले के लिए भी लम्बी दीवार का निर्माण किया गया। तब लम्बी दीवार उत्तरी चीन की यालू नदी से पश्चिमी चीन के कांसू प्रांत के चाय्वीक्वान तक कुल 6500 किलोमीटर की लंबाई में फैली।
लम्बी दीवार की परियोजना में विविध सामग्री का प्रयोग किया गया। इस में ईंटें, मिट्टी, पत्थर व काष्ठ शामिल रहे। जहां भी जो सामग्री मिलती, वहां उस का प्रयोग किया जाता।
पहाड़ी इलाके में पत्थर का इस्तेमाल किया गया तो पीली मिट्टी के पठार पर यह परियोजना पीली मिट्टी को कूट-कूट कर दीवार बनाने से पूरी हुई।
दीवार बनाने में ईंटों को जोड़ने में पहले पीली मिट्टी के गारे का इस्तेमाल किया जाता था। सुंग राजवंश काल से मिट्टी के गारे का स्थान चूने व पत्थर के गारे ने ले लिया। मिंग राजवंश काल में दीवार को और मजबूत करने के लिए जोड़ने के मसाले में चूने और पत्थर के अतिरिक्त पकाए गए चिपचिपे चावल को मिलाना शुरू किया गया।

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