
मित्रो, जैसा कि आप को पता है कि पश्चिम उत्तर चीन में स्थित सिनच्यांग वेगुर स्वायत प्रदेश का पर्यटन सनसाधन अत्यंत पर्याप्त है , स्वायत प्रदेश में प्राचीन सांस्कृतिक अवशेष , प्राथमिक रमणीक स्थल और विशेष जातीय रीति रिवाज अपने ढंग के हैं । पिछले दसियों सालों के तेज विकास के चलते सिनच्यांग वेगुर स्वायत प्रदेश का फलता फूलता पर्यटन उद्योग इसी स्वायत प्रदेश के आर्थिक विकास के प्रमुख खंभों में से एक बन गया है ।
उत्तर सिनच्यांग वेगुर स्वायत प्रदेश में स्थित कनास झील रमणीय स्थल देश विदेश में बहुत विख्यात है , इस झील के पास रहने वाले मंगोल जाति की तुवा शाखा के बुजुर्ग येरदशी ने अपनी 13 उम्र में ही एक विशेष जातीय वाद्य यंत्र छूर बजाने का तरीका सीखा । पर उन्हों ने इस की कल्पना कभी नहीं की कि 50 सालों के बाद अपने जीवन में इसी वाद्य यंत्र से भारी परिवर्तन हो गया है ।
दिन ब दिन खुशहाली जीवन देखकर बुजुर्ग येरदशी ने अपने मन में एक नयी योजना बना ली है . उन्हों ने संवाददाता से कहा मेरे दूसरे बेटे मुझ से छूर बजाने से सीखे हुए तीन चार साल हो गये हैं । और दो तीन साल के बाद वह छूर बजाने की कला पर महारत हासिल कर सकेगा , अगले वर्ष में मेरे साथ छूर बजाने में समर्थ होगा ।
येरदशी के परिवार में जो परिवर्तन आया है , उस से दूसरे गांववासियों को प्रोत्साहन भी मिल गया है । एक समय में उन के गांव के 70 प्रतिशत के गांववासी रेस्तरां , होटल और दूग्ध पकवान व विशेष स्थानीय यादगार वस्तुओं समेत पर्यटन से जुड़े व्यवसायों में लग गये हैं ।
कनास झील के तट पर हुए परिवर्तन की ही तरह सिनच्यांग वेगूर स्वायत प्रदेश के अन्य बहुत से रमणीक सथलों में बसे स्थानीय निवासियों ने पर्यटन उद्योग के विकास के जरिये अपने जीवस को काफी हद तक सुधार दिया है . प्रसिद्ध अंगूर उत्पादन क्षेत्र तुरपान में बसे वेगुर जातीय बुजुर्ग अप्लिज भी उन में से एक हैं ।
जब हमारे संवाददाता बुजुर्ग अप्लिज से मिलने के लिये उन के घर पहुंचे , तो वे कुछ पर्यटकों के सत्कार में व्यस्त थे । उन्हों ने कुछ मेवा , ताजा फल व खुद तैयार विशेष पकवान मेहमानों को खिलाते हुए हमारे संवाददाता से कहा कि पर्यटकों के सत्कार से पहले उन के घर की आमदनी मुख्यतः अंगुर बेचने से प्राप्त हुई , उस समय सालाना आय सिर्फ कई हजार य्वान थी । दसेक साल से पहले उन के यहां पर्यटन कार्य के विकास के चलते उन का घर पर्यटकों का सत्कार करने में लग गया और उन का जीवन स्तर भी दिन ब दिन उन्नत होता गया है । उन्हों ने कहा कि हर वर्ष हम एक हजार से अधिक पर्यटकों का सत्कार करते हैं ।
बुजुर्ग अप्लिज ने संवाददाता से यह भी कहा कि वे मुफ्त में पर्यटकों को मेवा खिलाते हैं , पर पर्यटक मेवा चखने के बाद अपनी इच्छा से उन के ताजा फल व मेवा खरीद लेते हैं । अप्लिज ने कहा कि हर वर्ष उन के परिवार को अंगूर बेचने में 15 हजार य्वान की आय प्राप्त है , यदि मेवा और अन्य फल बेचे जाते हैं , तो साल में अतिरिक्त आय तीस हजार से अधिक हो सकती है ।
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