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(GMT+08:00) 2005-10-19 17:10:39    
चीनी अंतरिक्ष कार्य के विकास और चीनी अंतरिक्षयान

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इन दिनों विश्व विज्ञान क्षेत्र में जो सब से बड़ी ध्यानाकर्षक घटना हो रही है , वह है कि चीन ने सफलतापूर्वक शनचो छै समानव अंतरिक्ष यान छोड़ा , इस अंतरिक्ष यान के साथ दो चीनी अंतरिक्ष यात्री फ्ये च्यनलुंग और न्ये हाईशङ ने अंतरिक्ष में पहुंच कर पांच दिन परिक्रमा किया और वे दोनों चीन के भीतरी मंगोलिया स्वायत्त प्रदेश में सुरक्षित रूप से धरती पर वापस आये , यह चीन की अंतरिक्ष उड़ान परियोजना में प्राप्त एक नयी महान उपलब्धि है । चीनी समानव अंतरिक्ष यान की सफल वापसी से यह जाहिर हुआ है कि चीन ने अंतरिक्ष उड़ान कार्य में एक नया बड़ा कदम आगे बढ़ाया है और अंतरिक्ष कार्य में चीन के स्थान को और अधिक मजबूत कर दिया । आप को मालूल हुआ कि दो साल पहले चीन ने प्रथम बार शनचओ पांच नामक समानव अंतरिक्ष यान का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया और वह चीन के अपने प्रथम अंतरिक्ष यात्री यांग ली वी को अंतरिक्ष में ले गया और इक्कीस घंटों की अंतरिक्ष परिक्रमा के बाद सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लौटा, यांग ली वी की सफल अंतरिक्ष यात्रा ने तत्काल पूरे विश्व के ध्यान को बरबस आकर्षित कर दिया और उच्च मूल्यांकन प्राप्त हुआ । इस प्रथम सफलता के दो सालों बाद, चीन ने अब वर्ष 2005 के अक्तुबर की बारह तारीख को शन चओ छै नामक समानव अंतरिक्ष यान एक बार फिर सफलतापूर्वक छोड़ा और उसे सुरक्षित रूप से वापस भी ले लिया , शनचओ छै समानव अंतरिक्ष उड़ान ने समानव अंतरिक्ष उड़ान की अनेक कठिन तकनीकों को हल किया है और चीन की अंतरिक्ष उड़ान परियोजना के आगे विकास के लिए मजबूत आधार तैयार किया है , इस असाधारण सफलता ने फिर एक बार विश्व के ध्यान को अपनी ओर खींचा , जो इन दिनों विश्व में एक बहुचर्चित खबर बन गयी। चीन द्वारा स्वनिर्मित समानव अंतरिक्ष यानों का प्रक्षेपण विश्व का ध्यान आकर्षित करने वाली एक महान घटना है , इस सफलता से जाहिर होगा कि चीन विश्व में रूस और अमरीका के बाद ऐसा तीसरा देश बन जाएगा , जिस ने समानव अंतरिक्ष यान की तकनीकों पर महारत हासिल की है और इस के परिणामस्वरूप अंतरिक्ष क्षेत्र में अमरीका और रूस के साथ चीन की दूरी काफी हद तक कम हो जाएगी । इसलिए यह विश्व अंतरिक्ष क्षेत्र का एक बड़ा महत्वपूर्ण काम है । चीन के इस महान कार्य के विकास के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहां चीन के अंतरिक्ष यान के विकास का इतिहास यहां संक्षिप्त प्रस्तुत होगा चीन अपने देश के अंतरिक्ष कार्य के विकास पर भारी महत्व देता आया है , बीसवीं शताब्दी के पचास साठ वाले दशक में ही चीन ने अंतरिक्ष कार्य के विकास का श्रीगणेष किया , वर्ष उन्नीस सौ अट्ठावन में चीन ने अपनी शक्ति के बल पर प्रथम वाहक राकेट प्रक्षेण केन्द्र का निर्माण किया । कुछ वर्षों के अथक प्रयासों के बाद चीन वर्ष उन्नीस सौ सत्तर को उत्तर पश्चिम चीन के च्यु छवान उपग्रह प्रक्षेपण केन्द्र में देश का प्रथम उपग्रह यानी तुंग फान हुंग नम्बर एक उपग्रह छोड़ने में सफल हुआ , इस तरह चीन विश्व का ऐसा पांचवां देश बन गया , जिस ने अंतरिक्ष में अपना उपग्रह को सफलतापूर्वक छोड़ा था । छब्बीस नवम्बर उन्नीस सौ पचहत्तर को चीन ने फिर अपना प्रथम पावस सकने वाला उपग्रह छोड़ा , अपनी कक्षा में तीन दिन परिक्रमा करने के बाद यह उपग्रह सुगम रूप से वापस पृथ्वी पर लौटा , इस असाधारण सफलता से चीन विश्व का तीसरा ऐसा देश बना था , जो उपग्रह को वापस लेने में सक्षम हो गया है । इस के उपरांत चीन ने अनेक स्वनिर्मित उपग्रहों को सफलता के साथ विभिन्न कक्षाओं में स्थापित किया और विश्व के अंतरिक्ष क्षेत्र में अपना स्थान बनाया । अंतरिक्ष यान के अनुसंधान व विकास के क्षेत्र में निरंतर भारी उपलब्धियां प्राप्त होने के साथ साथ चीन ने वाहक राकेटों का अनुसंधान व विकास करने में भी उल्लेखनीय सफलता प्राप्त किया है , चीन ने पूरी तरह अपनी शक्ति पर छांग जङ नामक राकेट श्रृंखला का विकास किया , जो विश्व का एक उच्च कोटि का अंतरिक्ष वाहन माना जाता है । यह सत्य है कि पिछले चालीस से अधिक सालों में चीन ने बिलकुल अपनी शक्ति तथा स्वावलंबन के साथ देश के अंतरिक्ष कार्य का जोरदार विकास किया और विश्व ध्यानाकर्षक असाधारण कामयाबियां हासिल की है । उपग्रह को वापस करने व एक राकेट से कई उपग्रहों को छोड़ने की तकनीकों , निम्न ताप इंधन वाली राकेट तकनीक , स्ट्राप -आन- बुस्टर राकेट तकनीक , समस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण तकनीक तथा दूर नियंत्रण तकनीक के क्षेत्रों में चीन विश्व की अग्रिम पंक्ति में प्रवेश कर गया है । इस के अलावा चीन ने दूर -संवेदनशील उपग्रह के अनुसंधान , निर्माण व प्रयोग , दूर संचार उपग्रह के विकास , समानव अँतरिक्ष यान के परीक्षण तथा अंतरिक्ष के माइक्रो गुरूत्व के प्रयोग के क्षेत्रों में भी उल्लेखनीय उपलब्धियां प्राप्त की है । समानव अंतरिक्ष यान का प्रक्षेपण एक बड़ी चुनौति व जोखिम देने वाला काम है , प्रक्षेपण की सफलता तथा अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा के लिए जटिल और उच्च स्तर की तकनीकों की आवश्यकता है , आकाश में अपना प्रथम समानव अंतरिक्ष यान भेजने के लिए पूर्व सोवियत संघ ने सात बार मानव रहित अंतरिक्ष यान छोड़ने का परीक्षण किया था तथा अमरीका ने इक्कीस बार किया । चीन ने अब तक चार बार मानव रहित उड़ान भरने का परीक्षण किया , लेकिन चीन ने अमरीका और रूस के उन्नतिशील अनुभवों का ग्रहन किया और बेहतर सुरक्षा व्यवस्था बनायी और सही सलामत प्रक्षेपण , सामान्य उड़ान तथा सुरक्षित वापसी के लक्ष्य तय किए एवं अनेकों श्रेष्ठ विमान चालकों से सर्वश्रेष्ठ अंतरिक्ष यात्री चुने और चीन का शन चो नामक अंतरिक्ष यान आकार में बड़ा है तथा उस के भीतर के यंत्र उपकरण आधुनिकतम सिद्ध हुए है , इस के अलावा चार बार मानव रहित परीक्षण से भी अच्छे अनुभव नसीब हुआ है । शनचो छै समानव अंतरिक्ष यान वर्तमान में अपनी किस्म का विश्व का सब से बड़ा अंतरिक्ष यान है, जिस में एक साथ तीन अंतरिक्ष यात्री सवार हो सकते हैं , इस बार की उड़ान में दो चीनी अंतरिक्ष यात्रियों ने भाग लिया और पांच दिनों की परिक्रमा में किस्म किस्म के वैज्ञानिक परीक्षण किये और पूरी कामयाबियां हासिल की हैं । हमें मालूम है कि चीन ने बिलकुल अपनी शक्ति पर निर्भर रह कर अंतरिक्ष परियोजना का अनुसंधान व विकास किया है । अंतरिक्ष तकनीकों का स्तर और उस में प्राप्त सफलता किसी एक देश की आर्थिक , वैज्ञानिक व तकनीकी सकल शक्तियों का प्रतीक है , समानव अंतरिक्ष यान का प्रक्षेपण अंतरिक्ष तकनीकों के विकास का एक उच्च चरण है । अमरीका और रूस की तूलना में चीन अंतरिक्ष कार्य के कुछ क्षेत्रों में पिछड़ा है । समानव अंतरिक्ष यान के विकास से चीन को आधुनिक विज्ञान तकनोलोजी यानी दूर संचार , दूर संवेदन , वाहक राकेट , कम्प्युटर , नई किस्मों की सामग्री के अनुसंधान तथा कृषि के विकास में मदद व प्रेरणा मिलेगी और वाणिज्यक उपग्रह प्रक्षेपण बाजार में अपनी स्पर्धा शक्ति बढ़ जाएगी । विशेष कर चीन के अंतरिक्ष कार्य के भावी विकास के लिए आधार तैयार होगा । दरअसल समानव अंतरिक्ष यान छोड़ने की परियोजना सिर्फ चीन के समानव अंतरिक्ष उड़ान परियोजना का शुरूआती चरण है । चीन की अंतरिक्ष विकास परियोजना के अनुसार समानव अंतरिक्ष यान के सफल प्रक्षेपण के आधार पर चीन अंतरिक्ष में स्थाई स्टेशन स्थापित करने की कोशिश भी करेगा , ताकि वहां चीनी अंतरिक्ष यात्री रह कर अंतरिक्ष सर्वेक्षण कर सकें , शन चो छै के बाद चीन आगे शनचो सात , आठ और नौ अंतरिक्षयान छोड़ेगा , जिस में अंतरिक्षयात्री परिक्रमा कक्ष से बाहर आर काम करेंगे , अंतरिक्ष में चीनी अंतरिक्ष यानों को आपस में जोड़ा जाएगा और अंत में स्थाई अंतरिक्ष स्टेशन कायम करेगा । इस के अलावा चीन ने अब चंद्रमा का सर्वेक्षण करने की योजना पर अमल की तैयारी भी शुरू की है । सूत्रों के अनुसार चीन ने जो चंद्रमा सर्वेक्षण परियोजना का शुभारंभ करेगा, इस परियोजना का नाम रखा गया है छांग अ परियोजना , छांग अ प्राचीन चीनी पौराणिक कहानी की एक सुन्दर युवती थी, वह देव माता की दिव्य दवा खाने के बाद उड़ते हुए चंद्रमा पर जा पहुंची और वह अपनी प्यारी खरगोश के साथ बस गई । चंद्रमा जाने का सदियों पुराना प्राचीन चीनियों का यह सपना अब चीनी वैज्ञानिक पूरा करेंगे। चंद्रमा सर्वेक्षण परियोजना उपग्रह प्रक्षेपण तथा समानव अंतरिक्ष यान प्रक्षेपण परियोजनाओं के बाद चीन की तीसरी महान अंतरिक्ष योजना है, जो चीन के अंतरिक्ष कार्य के लिए और एक नया मील का पत्थर होगा ।