छिंग हाई तिब्बत पठार पर स्थित तिब्बत स्वायत्त प्रदेश समुद्र सतह से चार हज़ार मीटर से ऊंचा है । विशेष भौगोलिक स्थिति के कारण तिब्बत के आर्थिक विकास की गति काफी धीमी रही है । तिब्बत की गरीबी और पिछड़पन को दूर करने के लिए वर्ष 1980 में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति ने तिब्बत कार्य संबंधी चार बैठकें बुलायीं, जिन में समूचे देश से तिब्बत को सहायता देने का ढांचा तया किया गया। पार्टी की इस नीति से प्रेरित हो कर देश के भीतरी इलाके से बड़ी संख्या में कर्मचारी तिब्बत आये और उन्होंने तिब्बत के विकास के लिए अपना योगदान किया । इस लेख में आप पाएंगे, तिब्बत की सहायता करने आए भीतरी इलाके के कर्मचारियों की कहानी और आप उन के दिल में तिबबत से असीम प्यार महसूस कर सकते हैं ।
संगीत---
अब आप जो धुन सुन रहे है,वह मशहूर चीनी गायिका ली ना द्वारा गाया गया "तिब्बत में प्रवेश" नामक गीत का एक अंश है ।
वर्ष 1994 से ही चीन सरकार ने भीतरी इलाके के प्रांतों से तिब्बत के एक एक क्षेत्र को सहायता देने हेतु चुनने और नियमित समय पर सहायता कर्मचारियों को बदलने की नीति बनायी और भीतरी इलाके से श्रेष्ठ कर्मचारियों को चुन कर तिब्बत की सहायता के लिए भेजने का प्रबंध किया । अब इस नीति लागू हुए दस साल बीत चुका है । लगभग तीन हज़ार से ज्यादा भीतरी इलाके के श्रेष्ठ कर्मचारियों ने तिब्बत के विकास के लिए अपना योगदान किया।
भीतरी इलाके के कर्मचारियों को तिब्बत में कम से कम तीन सालों तक काम करने का प्रबंध है । वर्ष 2004 के जून माह में चौथे चरण में सरकारी कर्मचारी गौरव के साथ तिब्बत आए । श्री हो होंग जी इन में से एक है । तिब्बत की राजधानी ल्हासा के शिक्षा ब्यूरो के उप प्रभारी ह होंग जी तिब्बत की सहायता के लिए पेइचिंग से आए एक कर्मचारी हैं। पेइचिंग के राजधानी नार्मल विश्वविद्यालय से स्नातक डाक्टरी की डिग्री प्राप्त ह होंग जी ने पेइचिंग में अध्यापन, शिक्षा अनुसंधान, प्रौढ़ शिक्षा, रोज़गारी शिक्षा तथा उच्च शिक्षा आदि क्षेत्रों में काम किया था। वर्ष 2004 के जून माह में तिब्बत की सहायता करने वाले एक कर्मचारी की हैसियत से वे ल्हासा पहुंचे और इस तरह शुरू हुआ उन का तिब्बत की सहायता का कार्य। ल्हास्सा के शिक्षा विकास के लिए चंदा जुटाने के लिए डाक्टर हो होंग जी अकसर ल्हासा और पेइचिंग के बीच आते जाते हैं । आम तौर पर कहा जाए, तो भीतरी इलाके से तिब्बत जाने के बाद वहां के विशेष पठारी मौसम का आदि होना आसान नहीं है, तिब्बत आने पर पहले के कुछ दिनों में कम ओक्सिजन के कारण उसे रात को नींद नहीं आ सकती , जब उसे पठार के जीवन की आदत पड़ी , तो किसी काम के लिए भीतरी इलाके में वापस लौटने के बाद फिर भीतरी इलाके में ज्यादा आक्सिजन के कारण उन का दिमाग काफी भारी लगता है । इस लिए डाक्टर हो होंग जी को ल्हासा और पेइचिंग के बीच आने जाने के दौरान इस प्रकार की परेशानी झलना पड़ता है । पेइचिंग में उन से मुलाकात के समय डाक्टर हो होंग जी के ल्हासा से वापस आने का दूसरा दिन था । तिब्बत में कई महीनों तक रहने के कारण उन के चेहरे पर तिब्बती लोगों की ही तरह विशेष पठारी लाल रंग पड़ा । उन की आंखों में थकान और निन्द्रा दिखती थी । डाक्टर हो होंग जी ने कहा कि तिब्बत में रहने के महीनों में ही उन का वजन पांच किलो कम हो गया,फिर भीतरी इलाके में वापस लौटने के बाद दिल के तेज़ धड़कन से उन्हें बड़ी असुविधा लगी । लेकिन मेरे साथ तिब्बत की चर्चा जब छिड़ा , तो उन का चेहरा चमक दमक हो उठा । उन्होंने कहा कि वे तिब्बती जनता की सहायता के इस सुअवसर को मुल्यवान समझते हैं । एक शिक्षक की हैसियत से वे तिब्बत की शिक्षा के विकास के लिए और योगदान करने को तैयार हैं, डाक्टर हो होंग जी का कहना है
"हम तिब्बत के शिक्षा कार्य के विकास में पुल की भूमिका निभाएँगे । इसमें पहला काम होगा तिब्बत को धन से सहायता देने का। दूसरा होगा उसे बुद्धि से सहायता देने का काम । इस में स्थानीय स्कूलों के प्रभारियों व अध्यापकों को प्रशिक्षण देना शामिल है। तीसरा काम है साज सामान की सहायता । इस में पढ़ाने की सामग्री और कार्यालयों का साज सामान शामिल है । चौथा होगा तिब्बती स्कूलों को पुस्तक प्रदान करने का काम । मौटे तौर पर कहें, तो हम अपनी कोशिशों के जरिए ल्हासा के शिक्षा कार्य के विकास में ठोस मदद देंगे।"
डाक्टर होहोंग जी के थकान से भारी आंखों में आए चमक को देखते ही मेरे मन में तिब्बत की सहायता करने वाले इन भीतरी इलाके के कर्मचारियों के प्रति और बड़ा सम्मान उठ गया ।
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