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(GMT+08:00) 2005-10-12 14:33:28    
चीन के अंतरिक्ष यान के विकास का इतिहास

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आप को मालूल हुआ कि वर्ष दो हज़ार तीन  के अक्तुबर माह में चीन में प्रथम बार छङ चाओ पांच नामक समानव अंतरिक्ष यान का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गया । इस के दो सालों बाद, चीन ने वर्ष 2005 के अक्तुबर की 12 तारीख को शङ चाओ छै नामक समानव अंतरिक्ष यान एक बार फिर सफल छोड़ा ।

चीन द्वारा स्वनिर्मित समानव अंतरिक्ष यान का प्रक्षेपण विश्व का ध्यान आकर्षित करने वाली एक महान घटना है , इस की सफलता से जाहिर होगा कि चीन विश्व में रूस और अमरीका के बाद ऐसा तीसरा देश बन जाएगा , जिस ने समानव अंतरिक्ष यान की तकनीकों पर महारत हासिल की है और इस के परिणामस्वरूप अंतरिक्ष क्षेत्र में अमरीका और रूस के साथ चीन की दूरी काफी हद तक कम हो जाएगी । इसलिए यह विश्व अंतरिक्ष क्षेत्र का एक बड़ा महत्वपूर्ण काम है । चीन के इस महान कार्य के विकास के बारे में अधिक जानकारी के लिए चीन के अंतरिक्ष यान के विकास का इतिहास यहां संक्षिप्त प्रस्तुत होगा

चीन अपने देश के अंतरिक्ष कार्य के विकास पर भारी महत्व देता आया है , 20 वीं शताब्दी के पचास साठ वाले दशक में ही चीन ने अंतरिक्ष कार्य के विकास का श्रीगणेष किया , वर्ष 1958 में चीन ने अपनी शक्ति के बल पर प्रथम वाहक राकेट प्रक्षेण केन्द्र का निर्माण किया । कुछ वर्षों के अथक प्रयासों के बाद चीन 24 अप्रैल 1970 को उत्तर पश्चिम चीन के च्यु छवान उपग्रह प्रक्षेपण केन्द्र में देश का प्रथम उपग्रह यानी तुंग फान हुंग नम्बर एक उपग्रह छोड़ने में सफल हुआ , इस तरह चीन विश्व का ऐसा पांचवां देश बन गया , जिस ने अंतरिक्ष में अपना उपग्रह को सफलतापूर्वक छोड़ा था । 26 नवम्बर 1975 को चीन ने फिर अपना प्रथम पावस सकने वाला उपग्रह छोड़ा , अपनी कक्षा में तीन दिन परिक्रमा करने के बाद यह उपग्रह सुगम रूप से वापस पृथ्वी पर लौटाया गया , इस असाधारण सफलता से चीन विश्व का तीसरा ऐसा देश बना था , जो उपग्रह को वापस लेने में सक्षम हो गया है । इस के उपरांत चीन ने अनेक स्वनिर्मित उपग्रहों को सफलता के साथ विभिन्न कक्षाओं में स्थापित किया और विश्व के अंतरिक्ष क्षेत्र में अपना स्थान बनाया । अंतरिक्ष यान के अनुसंधान व विकास के क्षेत्र में निरंतर भारी उपलब्धियां प्राप्त होने के साथ साथ चीन ने वाहक राकेटों का अनुसंधान व विकास करने में भी उल्लेखनीय सफलता प्राप्त किया है , चीन ने पूरी तरह अपनी शक्ति पर छांग जङ नामक राकेट श्रृंखला का विकास किया , जो विश्व का एक उच्च कोटि का अंतरिक्ष वाहन माना जाता है । वर्ष 1985 में चीन ने औपचारिक रूप से घोषणा की थी कि छांग जङ वाहक राकेट अन्तरराष्ट्रीय वाणिज्यक प्रक्षेपण बाजार में डाला जाएगा ।

16 जुलाई 1990 को चीन के स्वनिर्मित छांग जङ नम्बर दो स्ट्राप-आन-बुस्टर राकेट का सफल परीक्षण किया गया , इस सफलता ने चीन के लिए समानव अंतरिक्ष यान छोड़ने में मजबूत नींव डाली ।

यह सत्य है कि पिछले चालीस से अधिक सालों में चीन ने बिलकुल अपनी शक्ति तथा स्वावलंबन के साथ देश के अंतरिक्ष कार्य का जोरदार विकास किया और विश्व ध्यानाकर्षक असाधारण कामयाबियां हासिल की है । उपग्रह को वापस करने व एक राकेट से कई उपग्रहों को छोड़ने की तकनीकों , निम्न ताप इंधन वाली राकेट तकनीक , स्ट्राप -आन- बुस्टर राकेट तकनीक , समस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण तकनीक तथा दूर नियंत्रण तकनीक के क्षेत्रों में चीन विश्व की अग्रिम पंक्ति में प्रवेश कर गया है । इस के अलावा चीन ने दूर -संवेदनशील उपग्रह के अनुसंधान , निर्माण व प्रयोग , दूर संचार उपग्रह के विकास , समानव अँतरिक्ष यान के परीक्षण तथा अंतरिक्ष के माइक्रो गुरूत्व के प्रयोग के क्षेत्रों में भी उल्लेखनीय उपलब्धियां प्राप्त की

चीन ने वर्ष 1992 में औपचारिक रूप से समानव अंतरिक्ष यान बनाने की योजना बनाई थी , इस परियोजना का नाम शङ चाओ समानव अंतरिक्ष उड़ान परियोजना रखा गया , चीनी भाषा में शङ चाओ का अर्थ दिव्य नौका है । परियोजना के तहत शङ चाओ नामक समानव अंतरिक्ष यान व्यवस्था, छांग जङ नामक वाहक राकेट व्यवस्था , च्यु -छुआन उपग्रह प्रक्षेपण केन्द्र , अंतरिक्ष यान नियंत्रण व निरीक्षण व्यवस्था , दूर संचार व्यवस्था , अंतरिक्ष यात्री व वैज्ञानिक तकनीक अनुसंधान व परीक्षण व्यवस्था होती है । यह 20 वीं शताब्दी के अन्त और 21 वीं शताब्दियों के आरंभ के संगम की अवधि में चीन की सब से विशाल और सब से पैचीदा अंतरिक्ष परियोजना है । इस की सफलता के लिए चीनी वैज्ञानिकों ने बड़ी संख्या में कुंजीभूत तकनीकों पर अधिकार किया और नई नई तकनीकों का विकास किया है ।

लगातार कई सालों के अथक प्रयासों के आधार पर चीन ने वर्ष 1999 , वर्ष 2001 तथा वर्ष 2002 के शुरू व अंत में कुल चार मानव रहित अंतरिक्ष यान सफलतापूर्वक छोड़े और उन्हें सही सलामत वापस भी ले लिया ।

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