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(GMT+08:00) 2005-10-10 18:49:07    
विश्व में चीनी भाषा सीखने का रुझान क्यों बढ़ रहा है

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चीनी भाषा सीखना इसीलिए भी बहुत जरूरी हो गया है , क्योंकि आज चीन के आर्थिक उन्नती की रफतार पूरे विश्व में सब से तेज़ है । आज दुनिया के ज्यादातर देशों को चीन के साथ आर्थिक एवं राजनीतिक संबंध रखना आवश्यक हो गया है । इसलिए चीन के हर पहलुओं को पूरी तरह समझने की कोशिश करने के लिए चीनी भाषा सीखना बहुत जरूरी हो जाता है । पूरे विश्व के अधिकतर देशों में आज चीनी भाषा सीखाई जाती है । चीनी भाषा सीखने का शौक रखने वाले लोग इन संस्थाओं में चीनी भाषा का अध्यन करते हैं । इन संस्थाओं में अधिकतर अध्यापक उसी देश के होते हैं , कई संस्थाओं में चीनी अध्यापक भी चीनी भाषा सिखाने और पढ़ाने के लिए मौजूद होते हैं । कुछ समय पूर्व पेइचिंग में विश्व चीनी भाषा सम्मेलन आयोजित हुआ। सम्मेलन में अनेक विदेशियों की उपस्थिति ने जाहिर किया कि विश्व में चीनी भाषा के अध्ययन का रुझान बढ़ रहा है। चीनी भाषा बोलने वालों की संख्या विश्व में सब से अधिक है। इधर के वर्षों में चीन के रूपांतरण के विस्तार से चीन और दूसरे देशों के बीच आदान-प्रदान का लगातार विकास हुआ है। अनेक विदेशी कंपनियां चीन में पूंजी निवेश कर रही हैं। चीन में पर्यटन या काम करने आने वाले विदेशियों की संख्या भी दिन ब दिन बढ़ रही है। इसलिए चीनी भाषा के प्रयोग पर अनेक विदेशी सरकारों व शिक्षा संस्थाओं का ध्यान भी आकर्षित हुआ है। चीन के पड़ोसी देशों वियतनाम , जापान और कोरिया में चीनी भाषा सीखने वालों की संख्या बहुत बड़ी है। दक्षिण-पूर्वी एशिया के लोगों की भी चीनी भाषा सीखने में बड़ी रुचि है। इन देशों के अनेक स्कूलों व कालेज़ों में चीनी भाषा की उपाधि के लिए पढ़ाई होती है । आंकड़े बताते हैं कि दक्षिण-पूर्वी एशिया में लगभग 16 लाख लोग चीनी सीख रहे हैं। उधर कोरिया गणराज्य के 200 कालेज़ों में चीनी भाषा की उपाधि के लिए शिक्षा दी जा रही है और चीनी भाषा को उच्च शिक्षालयों की प्रवेश परीक्षा में एक विषय रखा गया है। जापान में भी 20 लाख लोग चीनी भाषा सीख रहे हैं। चीनी भाषा की उपाधि की शिक्षा देने वाले जापानी हाई स्कूलों की संख्या भी पिछले दो दशकों में दस गुनी बढ़ी है। उधर यूरोप में भी चीनी भाषा के अध्ययन का विस्तार हो रहा है। फ्रांस में 30 हजार लोग चीनी भाषा सीख रहे हैं और ब्रिटेन ने चीन के सहयोग से मिडिल स्कूलों के लिए चीनी भाषा की पाठ्यपुस्तक संपादित की हैं। अमेरिका के तीस प्रतिशत कालेज़ों में चीनी भाषा की उपाधि के लिए पढ़ाई की जा सकती है और चीन व अमेरिका के सहयोग से चीनी भाषा के अध्ययन के लिए निर्मित सोफ्टवेयर इंटरनेट के जरिये सभी अमेरिकी मिडिल व प्राइमरी स्कूलों में प्रवेश कर गया है। आंकड़ों के अनुसार विश्व के विभिन्न देशों में चीनी भाषा सीखने वालों की संख्या अब तीन करोड़ तक जा पहुंची है। चीनी भाषा सीखने का रुझान बढ़ने के साथ चीनी भाषा पढ़ाने वाले अध्यापकों का अभाव देखने में आया है। इसे पूरा करने के लिए चीन सरकार ने बहुत से कदम उठाये हैं। मिसाल के लिए विदेशों में चीनी भाषा अध्ययन-अध्यापन दल स्थापित किया गया है , जिस पर विदेशों में चीनी भाषा के प्रसार की जिम्मेदारी है। चीन सरकार ने चीनी भाषा की विभिन्न किस्मों की पाठ्यपुस्तकों के संपादन व प्रकाशन में भी भारी पूंजी लगायी है । चीन ने इसके साथ ही विदेशों में बड़ी संख्या में चीनी भाषा के अध्यापक भेजे हैं, जिन में बहुत से स्वयंसेवक भी शामिल हैं। इस से जुड़ी एक परियोजना के तहत चीन ने अब तक विदेशों में 27 कंफ्यूशियस शिक्षालय भी स्थापित किये हैं, जो चीनी भाषा और चीनी संस्कृति के विस्तार का अपना ध्येय निभा रहे हैं। किसी भी विदेशी भाषा को सीखने के लिए उस देश में जाकर सीखना सब से अच्छा विकल्प होता है । क्योंकि जिस देश की भाषा है ,केवल वहीं उस भाषा का पूरा माहौल होता है । पूरी तरह चीनी सीखने लिए आप चीन आए और पूरी तरह हिन्दी सीखने के लिए मैं भी भारत गया । आज ज्यादातर विदेशी जो चीनी भाषा सीखना चाहते हैं, चीन आते हैं । चीन सरकार भी इस पर और पूरा ध्यान देती है । आज चीन के सभी बड़े कालेजों और विश्वविद्यालयों में विदेशियों को चीनी भाषा सिखाने के विशेष प्रबंध हैं । इस में खर्च थोड़ा अधिक जरूर होता है , पर चीनी सीखने और रहने सहने के लिए हर तरह की सहलियत मुहैया कराए जाते हैं । विदेशी लोग चीन के सभी शहरों की तुलना में पेइचिंग में चीनी भाषा का अध्ययन करना पसंद करते हैं । क्योंकि पेइचिंग की चीनी बोली सब से शुद्ध चीनी मानी जाती है । इसके अलावा पेइचिंग में ही चीन के सब से बड़े विश्वविद्यालय भी हैं , जैसे पेइचिंग विश्वविद्यालय , छींगह्वा विश्वविद्यालय , जनता विश्वविद्यालय आदि। इन सारे विश्वविद्यालयों में से विदेशियों को चीनी भाषा सिखाने की सब से विशेष विश्वविद्यालय है , या भाषा एवं संस्कृति विश्वविद्यालय । यहां हर रंग रूप और हर तरह के लोग मिल जाएंगे , क्योंकि लगभग 130 देशों के लोग यहां पर चीनी भाषा सीखते हैं और एक साथ रहते हैं । इसलिए लोग प्यार से इस विश्वविद्यालय को छोटा यू एन यानी छोटा संयुक्त राष्ट्र संघ भी कहते हैं । यह एक पुरानी संस्था है । इसका नाम सबसे पहले पेइचिंग भाषा कालेज़ हुआ करता था । बाद में इस में संस्कृति भी जोड़ी गई , क्योंकि यह चीनी संस्कृति के सीखने के अलावा कई देशों के सांस्कृतिक आदान प्रदान का भी प्रमुख केंद्र है । इसे लघु संयुक्त राष्ट्र संघ का नाम इसीलिए दिलाया गया है कि इस कालेज के परिसर में भिन्न भिन्न रंग वाले लोग एकजुट हैं , पर मैत्री और समझ उन के दिल को साथ साथ जोड़ती हैं , इस में चीनी भाषा की अहम भूमिका भी साबित है । इस परिसर अक्सर कई प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाता था । और अधिकतर गतिविधियां चीनी भाषा में चलायी जाती हैं । चीनी भाषा से संबंधित परिक्षाओं के बारे में कुछ बताना चाहेंगे । रि- जी हां । वैसेतो सारे संस्थाओं में हर उपाधि छ:माही परिक्षाएं और कोर्स के अंत में परिक्षा आदि ली जाती हैं । पर एक विदेशी के चीनी भाषा के स्तर को मापने का सब से बड़ा पैमाना है एच एस के यानी चीनी भाषा स्तर परिक्षा । एक चीनी भाषा जानने वाला व्यक्ति अपने इच्छानुसार इस साल में दो बार आयोजित परिक्षा में कभी भी भाग लेकर अपने चीनी भाषा के स्तर को जान सकता है । चीनी भाषा सिखाने के बारे में और कुछ सामग्री हैं । इधर के वर्षों में चीन सरकार ने अपनी समग्र शक्ति के बढ़ते के चलते विश्व व्यापार संगठन की सदस्यता प्राप्त की , और वर्ष 2008 में होने वाले 28वें ओलंपियाद के आयोजन का अधिकार भी जीत लिया । इन प्रगतियों के कारण चीनी भाषा के अध्ययन व अध्यापन ने विश्व भर में भारी जोर पकड़ा है । चीनी भाषा सीखने का रूझान दुनिया में बढ़ता जा रहा है । एच एस केई यानी चीनी भाषा स्तर परीक्षा अमेरिका के टोफल की तरह विदेशियों के लिये चीनी राष्टीय भाषा परीक्षा है । वर्ष उन्नीस सौ ब्यानवे में जब एच एस केई का प्रथम आयोजन किया जाता था , तब केवल दो सौ व्यक्तियों ने इस में भाग लिया । पर गत वर्ष इस परीक्षा में भाग लेने वाले व्यक्तियों की संख्या एक लाख चालीस हजार तक जा पहुंची , और परीक्षा केंद्र भी तमामू दुनिया में फैले हुए हैं । कोरिया गणराज्य , जापान और वियतनाम जैसे चीन के पड़ोसी देशों में चीनी भाषा सीखने वालों की मात्रा सब से ज्यादा है । इन देशों की संस्कृति चीनी संस्कृति से मिलती जुलती है । और इन देशों की चीन के साथ आवाजाहियों का निरंतर विकास भी होता जा रहा है । वर्ष 1992 में विदेशियों की चीनी भाषा में दक्षता की परीक्षा शुरू हुई , जो अपने चीनी नाम के अंग्रेज़ी संक्षेम में एच एस केई कहलाती है । तब केवल दो सौ विदेशी इस परीक्षा में बैठे थे । पर गत वर्ष एच एस के में कुल 1 लाख चालीस हजार लोगों ने भागीदारी की । और अब एच एस केई के परीक्षा केंद्र दुनिया के अनेक स्थलों पर फैले हैं ।