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(GMT+08:00) 2005-09-27 16:07:58    
टी.वी धारावाहिक "पश्चिम की तीर्थ यात्रा" के गीत

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चीन के चार शास्त्रीय उपन्यास बहुत मशहूर हैं। ये हैं "लाल भवन का स्वप्न", "पश्चिम की तीर्थ यात्रा ","ल्यांग शान पर्वत के वीर" तथा "तीन राज्यों की कहानी"। पिछले दो दशकों में इन उपन्यासों के आधार पर टी.वी. धारावाहिक भी बने, जिन के गीत बड़े लोकप्रिय रहे। आज के इस कार्यक्रम में मैं आप को सुनवाऊंगी टी.वी. धारावाहिक "पश्चिम की तीर्थ यात्रा "के कुछ गीत, आशा है आप को पसंद आएंगे। पहले सुनिए इस टी.वी.धारावाहिक का शीर्ष गीत , नाम है "आगे का रास्ता कहां है"।

गीत का भावार्थ कुछ इस प्रकार है

तुम्हारे पास है भारी बोझ

मेरे पास है एक सफेद घोड़ा

समय है सूर्योदय का

है हमारा अभियान अभी शुरू हुआ

रास्ता है बहुत कठिन

इसकी कठिनाइयों को दूर कर

हम चलेंगे आगे

वसंत के बाद आयेगी गर्मी

शरद के बाद सर्दी

हम आगे चलते रहेंगे

कठिनाइयों को दूर कर

कहां है

हमारा रास्ता

है हमारे पांव के नीचे

अभी आप ने सुना चीन के प्रसिद्ध शास्त्रीय उपन्यास "पश्चिम की तीर्थ यात्रा "के आधार पर बने इसी नाम के टी.वी. धारावाहिक का शीर्ष गीत "आगे का रास्ता कहां है"। यह गीत मशहूर चीनी गायक च्यांग दा वेइ ने गाया है। उन के ऊंचे स्वर और सच्ची भावना ने इस प्राचीन उपन्यास के चार मुख्य पात्रों के पश्चिम की तीर्थ यात्रा की कठिनाइयों को दूर करने का साहस व्यक्त किया है।

चीन का यह उपन्यास चीन भर में मशहूर है । इसे लिखा मिंग राजवंश के ऊ छङ एन ने। उपन्यास में थांग सङ और उन के तीन शिष्यों के पश्चिम की तीर्थ यात्रा करने की कहानी है । थांग राजवंश के ह्वेन त्सांग नामक मशहूर भिक्षु बौद्ध ग्रंथों के अध्ययन के लिए पैदल भारत गये । यह रास्ता बहुत लंबा और कठिन था। ह्वेन त्सांग अपने शिष्यों सुन वू खांग, जू बा च्ये और शा शङ के साथ सभी कठिनाइयों को दूर कर भारत पहुंचे और अंत में उन्होंने वहां से बौद्ध सूत्र व ग्रंथ हासिल किए । "पश्चिम की तीर्थ यात्रा" उपन्यास इसी कहानी के आधार पर रचा गया है। इसमें मुख्य पात्र सुन वू खांग अपनी तीव्र बुद्धि के कारण भारत जाने के रास्ते में बड़ी भूमिका निभाता है। कहानी में थांग शङ यानी भिक्षु ह्वेन त्सांग को बहुत संवेदनशील और दयालुर दिखाया गया है और जू बा च्ये बहुत सीधा-सादा चरित्र है। उपन्यास में चीनी लोककथा के आधार पर बौद्ध और चीन के ताओ धर्म के मेल से चीनी विशेषता अभिव्यक्त की गयी है। आगे सुनिए इस धारावाहिक का एक और गीत , नाम है "भारतीय लड़की"।

थांग सङ को अपने शिष्यों के साथ भारत पहुंचने पर एक भारतीय लड़की मिली। यह लड़की भारतीय राजा की बेटी थी और थांग सङ को देखते ही उनसे प्रेम करने लगी। गीत कहता है

कौन लाया तुम्हें मेरे पास

वह सफ़ेद चांद

या कल-कल करती वह पहाड़ी नदी

तुम हो पानी जैसे

मैं सुन्दर फूल जैसी

बहुत प्यार करती हूँ तुम्हें मैं

अभी आप ने सुना टी.वी. धारावाहिक "पश्चिम की तीर्थ यात्रा"का एक गीत "भारतीय लड़की"। चीनी गायिका जू हाइ की आवाज़ में यह गीत बहुत मधुर बन पड़ा है।

टी.वी.धारावाहिक "पश्चिम की तीर्थ यात्रा" की गत शताबदी के अस्सी वाले दशक में शूटिंग की गयी। इस धारावाहिक के पहले 25 भाग बनाने में लगभग छै साल लगे। वर्ष 1998 में इस धारावाहिक की शूटिंग टीम ने एक बार फिर इकट्ठे होकर इसके अन्य 16 भागों का निर्माण पूरा किया। इस तरह इस टी.वी. धारावाहिक की शूटिंग में वर्ष 1982 से 1998 तक कोई 17 साल लगे। इस धारावाहिक के विविध पात्रों और शानदार डिज़ाइन ने चीन का टी.वी. धारावाहिक बनाने का उच्च स्तर जाहिर किया। थांग सङ और उन के तीनों शिष्यों को चीनी दर्शक बहुत प्यार करते हैं, विशेष कर चीनी बाल दर्शक । अब भी यह धारावाहिक देश के कुछ टी.वी. स्टेशनों से प्रसारित होता देखा जा सकता है। अब सुनिए इस टी.वी. धारावाहिक का एक और गीत। नाम है "लड़की का प्यार"।

लड़की का प्यार 

इस समय आप सुन रहे हैं टी.वी. धारावाहिक "पश्चिम की तीर्थ यात्रा" का गीत "लड़की का प्यार" । थाग शङ और उन के शिष्यों की भारत यात्रा के दौरान एक ऐसा राज्य आता है , जहां नागरिक से लेकर रानी तक सभी लड़कियां हैं। इस राज्य को लड़कियों का राज्य कहा जाता है । देश की रानी बहुत सुन्दर और नरम है और थांग शङ को प्यार करने लगती है। रानी थांग शङ के साथ शादी करना चाहती है, लेकिन थांग शङ अपनी तीर्थ यात्रा जारी रखने के लिए इस से इनकार कर देते हैं। इस समय आप जो गीत सुन रहे हैं, वह इस राज्य की रानी द्वारा थांग सङ के प्रति अपना प्रेम प्रकट करने का गीत है। इस से रानी का सुन्दर प्रेम जाहिर होता है।