• हिन्दी सेवा• चाइना रेडियो इंटरनेशनल
China Radio International
चीन की खबरें
विश्व समाचार
  आर्थिक समाचार
  संस्कृति
  विज्ञान व तकनीक
  खेल
  समाज

कारोबार-व्यापार

खेल और खिलाडी

चीन की अल्पसंख्यक जाति

विज्ञान, शिक्षा व स्वास्थ्य

सांस्कृतिक जीवन
(GMT+08:00) 2005-09-21 15:11:56    
ग्रामीण क्षेत्रों में नयी चिकित्सा सेवा व्यवस्था का निर्माण

cri
इधर के वर्षों में चीन के चच्यांग प्रांत आदि जगहों के ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा गारंटी व्यवस्था लागू करना शुरू हो गया है । किसान इसी व्यवस्था से अपनी चिकित्सा संबंधी समस्या का समाधान कर सकते हैं । चीन की एक अरब तीस करोड़ आबादी में सत्तर प्रतिशत भाग किसान ही है । पर चीन के ग्रामीण क्षेत्रों में लम्बे अरसे तक शहरों जैसी चिकित्सा गारंटी व्यवस्था नहीं उपलब्ध है । किसानों को शहरों के नागरिकों की तरह चिकित्सा बीमा उपलब्ध नहीं है । बहुत से किसान रोग के इलाज के कारण गरीब के पिंजरे में फंसे हुए हैं । इसी स्थिति को बदलने के लिये चीन के चच्यांग आदि प्रांतों में नयी चिकित्सा गारंटी व्यवस्था, सहयोगी चिकित्सा व्यवस्था लागू होने लगी है । चच्यांग प्रांत की अधिकांश जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में रही है । मिसाल है कि इस प्रांत के श्याओशींग कांऊटी के सात लाख आबादी का अस्सी प्रतिशत किसान ही हैं । सहयोगी चिकित्सा व्यवस्था की स्थापना का खर्च केंद्र सरकार , स्थानीय सरकार और व्यक्ति तीन पक्षों से आता है । किसानों को प्रति वर्ष केवल पच्चीस यवान चिकित्सा बीमा फीस देना पड़ता है । जब वे रोग से इलाज लेने के लिये अस्पताल में भरती करन जाते हैं , तब वे सहयोगी चिकित्सा व्यवस्था से खर्च का अधिकांश वापस ले सकते हैं । चीनी आबादी को अस्सी प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों में रहता है । और ग्रामीण क्षेत्रों में शहर जैसी चिकित्सा बीमा व्यवस्था नहीं है , इसलिये कुछ किसान खर्च की चिन्ता में बीमारी लगने पर भी अस्पताल नहीं जाते । इसे देखकर सरकार इस का समाधान तलाशने का प्रयास कर रही है । एक ऐसे ही प्रयास के तहत गरीब किसानों की मदद के लिये फू-यू कांऊटी ने वर्ष दो हजार एक में तीस लाख यवान की पूंजी से ऐसे विशेष अस्पताल स्थापित किया । अस्पताल की उप निर्देशक सुश्री छीओ चींग ने बताया कि हमारे अस्पताल के अधिकांश मरीज किसान हैं । हमें पता है कि बहुत से किसान बीमारी की शुरूआत में अस्पताल नहीं जाते , पर अगर वे समय पर अस्पताल जाएं , तो उन की हालत बेहतर हो सकती है । इसलिये ग्रामीण क्षेत्रों के लिये विशेष चिकित्सा व्यवस्था लागू करना हमें बहुत महत्वपूर्ण लगा है । फू-यू विशेष अस्पताल में औषधि , शल्य-चिकित्सा , बालरोग और स्त्रीरोग समेत सोलह विभाग हैं । अस्पताल के सभी साठ कर्मचारी सब कांऊटी अस्पताल से आते हैं , और उन के पास उन्नत यंत्र-उपकरण , चालीस बिस्तर तथा एक एमब्यूलैंस भी उपलब्ध है । गरीब किसानों की मदद देने के लिये इस अस्पताल की फीस आम अस्पताल से बीस प्रतिशत कम रखी गयी है । कुछ गरीब रोगियों को और चासील पचास प्रतिशत की छूट तक दी जाती है । और जो अत्यंत गरीब है , उन्हें निःशुलक उपचार किया जाता है । नीचे प्रस्तुत की जाती है चीन में विवाह के लिए शारीरिक जांच व्यवस्था की जानकारी । युवाओं के विवाह से पहले सरकार द्वारा निर्दिष्ट अस्पतालों में शारीरिक जांच कराने की व्यवस्था चीन में लंबे समय तक लागू रही। तब ऐसी जांच न कराने वाले वर-वधू को विवाह प्रमाणपत्र नहीं दिया जाता था। इस जांच से जहां संभावित वर-वधू में रोगों का पता लगाया जा सकता था, वहीं इसकी युवाओं के शरीर व निजी जीवन का आदर न करने के लिए आलोचना होती रही। इसलिए चीन सरकार ने दो साल पहले इस व्यवस्था को रद्द कर दिया। आज युवा विवाह से पहले स्वयं निर्णय ले सकते हैं कि वे किसी अस्पताल में शारीरिक जांच करवायेंगे या नहीं और यह जांच विवाह प्रमाणपत्र प्राप्त करने की शर्त भी नहीं रह गया है। पेइचिंग स्थित एक विदेशी कंपनी में कार्यरत सुश्री च्यांग का मानना है कि आज युवा विवाह से पूर्व शारीरिक जांच करवाने, न करवाने के लिए स्वतंत्र हैं, तो भी उन्हें विवाह से पहले किसी अस्पताल में शारीरिक जांच करवानी ही चाहिए। ऐसा करने से वे अपने अज्ञात रोगों का पता लगा सकेंगे और यह नव दंपत्ति के भावी जीवन और समाज तक के लिए लाभदायक होगा। चीन ने वर्ष 1980 में विवाह के लिए जरूरी शारीरिक जांच की व्यवस्था लागू की। इसके लिए देश के विभिन्न क्षेत्रों में विवाह के लिए शारीरिक जांच करने वाले विशेष अस्पताल तय किये गये। पेइचिंग शहर के एक ऐसे अस्पताल अनचेन अस्पताल की स्त्रीरोग विज्ञानी डाक्टर च्यांगच्वन ने कहा कि विवाह के लिए शारीरिक जांच कोई जटिल परीक्षा नहीं होती। युवा विवाह से पहले अस्पताल में शारीरिक जांच कराने के अतिरिक्त यौन संबंधों के बारे में भी मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं। उन के अनुसार बहुत से लोगों को कुछ गंभीर रोग होते हैं। ये रोग एड्स, अन्य यौन रोग, शिश्न रोग या मानसिक रोग हो सकते हैं। ऐसे रोगों वाले लोगों को विवाह करने पर उन के भावी जीवन तथा समाज को नुकसान ही पहुंचेगा। ऐसे लोगों की जांच रिपोर्ट में डाक्टर उन्हें विवाह के लिए उचित नहीं ठहरायेंगे। इधर के कुछ वर्षों में विवाह के लिए शारीरिक जांच कराने वाले युवाओं में से लगभग आठ से दस प्रतिशत इन बीमारियों के शिकार पाये गये। यों कुछ लोगों का मानना है कि वे विवाह करने को स्वतंत्र हैं, चाहे वे बीमार हों या नहीं। इसीलिए सरकार द्वारा विवाह के लिए अनिवार्य शारीरिक जांच व्यवस्था रद्द किये जाने के बाद अधिकतर युवा विवाह से पहले शारीरिक जांच न कराने का निर्णय लेने लगे हैं। पेइचिंग में सिर्फ पांच प्रतिशत वर-वधू विवाह के लिए शारीरिक जांच कराते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में यह अनुपात और कम हो गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि वर-वधू इसलिए भी शारीरिक जांच नहीं करवाना चाहते क्योंकि अस्पतालों की संबंधित सेवा बहुत संतोषजनक नहीं है। युवा खुद को तकलीफ नहीं देना चाहते। इस के अलावा इस जांच पर कुछ न कुछ खर्च आता ही है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले युवाओं के लिए एक बोझ है। लेकिन कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि अगर हर कोई युवा विवाह के लिए शारीरिक जांच न कराये, तो चीनी समाज में आनुवंशिक बीमारियों और विकलांग शिशुओं की संख्या बढ़ सकती है, जिससे भारी पारिवारिक और सामाजिक समस्या पैदा होने की आशंका है। इधर चीन के विभिन्न क्षेत्रों के अस्पतालों ने अपनी संबंधित सेवा में सुधार लाने के लिए पूरी शक्ति से प्रयास किया है, ताकि युवा विवाह पूर्व शारीरिक जांच के लिए स्वयं वहां जा सकें। पेइचिंग और शांघाई जैसे बड़े शहरों में विवाह के लिए होने वाली इस शारीरिक जांच का खर्च सरकार उठा रही है और वर-वधुओं की निजता के समादर को भी अत्यंत महत्व दिया जाने लगा है। इस सबके बावजूद चीन में विवाह से पहले शारीरिक जांच कराने के लिए अस्पताल जाने में कम युवाओं की ही दिल्चस्पी है। चीनी रोग निरोध केंद्र के विशेषज्ञ प्रोफेसर सू ह्वेइछींग का कहना है कि विवाह के लिए शारीरिक जांच के बारे में सभी वैज्ञानिक जानकारियों का प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिये। इस सवाल के समाधान के लिए सिर्फ सरकारी कोशिशों पर निर्भर रहना काफी नहीं होगा। इसके लिए आम लोगों के वैज्ञानिक स्तर को उन्नत किया जाना आवश्यक है। वर्तमान में चीनी राज्य परिषद का महिला व बाल कार्यालय तथा चीनी नागरिक मामला मंत्रालय संयुक्त रूप से एक वैज्ञानिक प्रचार-प्रसार आन्दोलन चला रहा है जो एक साल चलेगा। इसका उद्देश्य विभिन्न पुस्तकों व सामग्रियों के प्रकाशन तथा प्रदर्शनियों के आयोजन के जरिये आम लोगों को विवाह पूर्व शारीरिक जांच का महत्व बताना है।