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(GMT+08:00) 2005-09-21 14:18:19    
पुराने भूदास मीमातुनचू की कहानी

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70 वर्षीय मी मा तुन चू बान जयूलुन बू गांव में एक साधारण वासी है । 13 वर्ष की उम्र में वह फाला जागिर में भूदास बन गई थी । भूदास बनने के समय मी मा तुन चू का जीवन स्तर बहुत नीचा था, हर रोज़ उस की आमदनी सिर्फ़ एक चमची का जानबा नामक तिब्बती खाना और थोड़ा सा तिबब्ती जौ का मदिरा था , और इतनी ही कम चीजों से मी मा तुन चू को अपने बच्चों को पालना पड़ता था । बान ज्यू लुन बू गांव में हम ने इस पुराने जमाने के तिब्बती भूदास से मुलाकात की । मी मा तुन चू ने हमें बताया कि भूदास बनने के समय उसे हर रोज़ कोई 12 घंटों का भीरी काम करना पड़ता था , दोपहर का खाना एक चमची का जानबा था, और रात के भोजन के लिए कुछ नहीं मिलता था और भूखा झलना पड़ता था । तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति से पहले मी मा तुन चू अपने माता पिता और पत्नि के साथ, दो पीढ़ी के चार व्यक्ति लांग शङ आंगन के छै वर्गमीटर वाले एक तंग कमरे में रहता था ।

वर्ष 1959 में तिब्बत का लोकतांत्रिक सुधार होने के बाद मी मा तुन चू ने फाला जागिर के भूदान आंगन को छोड़ दिया, सरकार और पार्टी की सहायता से उस ने अपने लिए नये मकान का निर्माण किया । गत शताब्दी के 80 वाले दशक में मी मा तुन चू ने अपनी दोमंजिला इमारत का निर्माण किया, जिस के कुल 12 कमरे हैं । आज मीमा तुन चू सपरिवार के छै सदस्य 380 वर्गमीटर वाली दोमंजिला इमारत में रहते हैं । वर्तमान के सुखमय जीवन की चर्चा में मीमा तुन चू के चेहरे पर सुखद मुस्कान खिली ।

उन्होंने कहा "मैं आज के जीवन के प्रति बड़ा संतुष्ट हूँ । वर्तमान में मैं अपने परिवार के अन्य पांच सदस्यों के साथ 12 कमरे में रहता हूँ । हमारा आज का जीवन बहुत सुखमय है, अब हमारे सामने खाने, पीने, रहने और पहनने की कोई तकरीफ़ नहीं होती है।"

पुराने जमाने में भूदास के रूप में अपने जीवन से वर्तमान के सुखमय जीवन की तुलना में मी मा तुन चू बहुत प्रभावित हुआ । इस की चर्चा में उस ने कहा

"अतीत में मैं हर दिन सिर्फ़ एक चमची का जानबा पाता था, और अब मैं जो खाना चाहता हूं , तो वह मिल सकता है । पुराने जमाने में मेरे कोई ढंग के वस्त्र नहीं था, और कभी कभी तो नंगे बदन से श्रम करता था , लेकिन अब मैं अपनी मर्जी से बाज़ार में पसंदीदा कपड़ा खरीद सकता हूँ । भूदास होने के समय मेरा कमरा नहीं था , अब मेरी 12 कमरों वाली दो मंजिला इमारत है, पुराने जमाने में मेरे अपने पशु व भूमि नहीं थे , और अब मेरे पास 14 घोड़े व बैल के साथ 2 हैक्टर की भूमि भी है । वर्तमान में हर वर्ष मैं दस हज़ार किलोग्राम के जौ का उत्पादन कर सकता हूँ ।"

मीमा तुनचू की दो मंजिला इमारत के दूसरी मंजील के बाल्किन पर उस के 18 वर्षीय पोता ज्या बू सूर्य की धूप में आराम से बैठ रहा है । ज्या बू अब च्यांग जी कांउटी के प्रथम हाई स्कूल में पढ़ता है , क्लास में एक श्रेष्ठ विद्यार्थी के रूप में ज्या बू को विश्वविद्याल में आगे पढ़ने की आशा है ।

ज्या बू ने हमें बताया कि उस के दादा अकसर उसे पुराने जमाने का अपना शोचनीय जीवन बताते है, और उसे वर्तमान के सुखमय जीवन को मुल्यवान समझाता है । मीमा तुनचू के पोता ज्या बू ने कहा

"अब हमारे परिवार का जीवन बहुत सुखमय है । मेरे दादा जी पुराने जमाने में कठिन जीवन बिताते थे , और हर रोज़ जमीनदारों यानी फाला जागिर के मालिकों के शौषण सहना पड़ता था । अब हमारा जीवन दिन ब दिन अच्छा होता जा रहा है , मैं हाई स्कूल में पढ़ता हूँ, और मेरी आशा है कि भविष्य में विश्वविद्यालय में दाखिल होऊं।"

वर्तमान में बान ज्यू लुन बू गांव के पूर्व भूदास आम तौर पर बुढे हो गए । वे अपने परिजनों के साथ सुखमय जीवन बिताते हैं । फाला जागिर में भूदास होने का इतिहास तो सदा के लिए लद चुका है । लेकिन पुराने व नए समाज में अपने जीवन के इतने बड़े परिवर्तम से वे अपने भूदास के इतिहास को हमेशा यादों में रखेंगे । हमें विश्वास है कि बांन ज्यू लुन बू गांव वासियों का जीवन और सुनहरा होगा ।