विशाल घास मैदान पर घूमन्तु चरवाही जीवन बिताने वाली कजाख जाति के लोगों के लिए घोड़ा और संगीत दो आजीवन साथी है । सिन्चांग के विभिन्न जातियों के लोगों में यह कहना प्रचलित है कि घोड़ा और गीत कजाखों की दो पंख हैं । गर्मियों या शर्द के मौसम में कजाख लोग अकसर घास मैदान में एकत्र हो कर अकिन वादन वाचन का समारोह आयोजित करते हैं । उमंग उल्लाष से भरे जोशीले माहौल में कजाख लोग मुक्त भाव से गाते हैं और तुंबुला का वादन करते हैं ।
कजाख लोगों के इस खुशगवार माहौल का आनंद उठाने से पहले आप इस का प्रश्न याद करें कि अकिन वादन वाचन चीन की किस जाति की परम्परागत कला शैली है .
अकिन कजाख जाति के ऐसे वाचकों की सम्मानीय उपाधि है , जिन्हें साधारण लोक कलाकारों से श्रेष्ठ हो कर मौके पर ही कविता बनाने और खुद परम्परागत वाद्य बजाते हुए उसे गाने की प्रतिभा प्राप्त है , इसलिए वे कवि भी हैं और संगीतकार भी हैं । अकिन बनने के लिए असाधारण याददाश शक्ति तथा हर किसी दृश्य को गायन में पेश करने की क्षमता होने की आवश्यकता है । कजाख लोगों में अकिन अपनी जाति की संस्कृति के उत्तराधिकारी और प्रचारक माने जाते हैं और उन का असीम प्यार व सम्मान किया जाता है ।
अकिन के वादन वाचन के बारे में कजाख में एक मधुर कहानी प्रचलित है । बहुत बहुत पहले की बात थी , सिन्चांग के आल्ताई घास मैदान पर एक खूबसूरत युवती रहती थी , उस की आवाज इतनी सुरीली थी कि जब वह गाने लगी , तो पक्षियां भी मुग्ध हो कर पास आकर्षित आती थी । एक दिन सुन्दर युवती नदी के किनारे कजाख जाति का तुंबुला वाद्य बजाते हुए दूर में रहने अपने प्रेमी की याद में गाना गा रही थी कि पास गुजर रहे एक कबीला मुखिया उस की खूबसूरती और मधुर गायन पर मुग्ध मोहित हो गया । मुखिया ने युवती के घर जा कर जबरन युवती से शादी करने का प्रस्ताव पेश किया । शादी ब्याह का दिन आया , दुखों में डूबी युवती ने तुंबुला बजाते हुए गाना गाया , जिस से घास मैदान में रह रहे चरवाहों का दिल टूट पड़ा । इसी नाजुक घड़ी में दूर दराज स्थान से युवती का प्रेमी एक सफेद घोड़े की आकृति में परिवर्तित हो कर आ धमका और युवती को अपने पीठ पर लादे दूर चला गया । लेकिन युवती को घास मैदान के लोगों से गहरा लगाव था , यादगारी के लिए उस ने अपना प्यारा साज तुंबुला नीचे छोड़ा , देखते ही देखते एक तुंबुला अनेकों तुंबुला बन गये और हरेक कजाख चरवाह में एक तुंबुला आया और वे मुक्त कंठ से गाते हुए युवती की याद करने लगे । तभी से गर्मियों या शर्द के मौसम में कजाख लोग घास मैदान में एकत्र हो कर गाने बजाने लगे और कालांतर में उस ने अकिन वादन वाचन का रूप ले लिया ।
गर्मियों और शर्द के मौसम में घास मैदान में हरियाली और फुलों की दुनिया है , ऐसे ही सुन्दर वक्त अकिन वादन वाचन का भव्य समारोह आयोजित होता है । कजाख लोग सुन्दर पोशाक में घोड़ों पर सवार दूर नजदीक से एकत्र आते हैं , लोगों की भारी भारी भीड़ में अकिन दिन रात कजाख के परम्परागत वाद्य पर कहानियों का वाचन करते हैं । समारोह आम तौर पर दस पन्दरह दिन तक चलता है । वर्तमान में आर्थिक विकास के चलते कजाख लोगों का जीवन स्तर बहुत उन्नत हो गया । परम्परागत अकिन वाचन के साथ आधुनिक मनोरंजन की रंगबिरंगी गतिविधियां भी आयोजित होती हैं , जिन में जातीय वस्त्रों की प्रदर्शनी , सर्कस खेल , घुड़सवारी की दौड़ , कुश्ती और रस्साकसी का खेल और निशानेबाजी आदि शामिल हैं । फिर भी अकिन विशेष परम्परागत गायन शैली से विभिन्न जातियों के लोगों को खास आकर्षित करता है ।
अकिन वाचन सुनने आए हान जाति के एक दर्शक ने कजाख की इस गायन शैली की चर्चा में कहाः
मुझे अकिन वाचन सुनना बहुत पसंद है , संगीत ऐसी कला है , जिस की कोई भाषा की सीमा नहीं होती है , उस का लय आप के दिल को छू लेता है , अकिन जैसे लोक कलाकारों के गायन वाचन में कजाख जाति की बुद्धिमता , आशावाद व उत्साह अभिव्यक्त हुआ है , अकिन सुनना मानसिक सुख भोग का एक अच्छा तरीका है ।
अकिन की अपनी रूढ़ हुई परम्परागत विधि होती है । अकिन के वाचन के दौरान शुरू शुरू में पुरूष और स्त्री जोड़ों में बांट कर गाने का मैच करते हैं , जिस के लिए लोगों की संख्या की पाबंदी नहीं है । पहले परम्परागत कविताओं पर गाते हैं , जितने ज्यादा कविताएं पेश कर सकते है , उतना अच्छे माने जाने है , फिर लोक गीत गाते हैं , अंत में मौके पर कविता बनाते हैं और गायन के रूप में पढ़ कर सुनाते हैं ।
उल्लास से भरा तुंबुला वाद्य जब बजने लगा , तो वाचन में गायन की होड़ का दौर आरंभ होता है । अकिन एक दूसरे के साथ गायन की होड़ लगाते हैं , इस तरह की प्रतियोगिता कभी कभी कई दिन रात तक चलती रही , जिस किसी अकिन ने दूसरे प्रतिस्पर्धियों से ज्यादा और अच्छे गाना और कविता पेश किए हैं , उसे अंतिम विजेता घोषित किया जाता है और उस का नाम भी जल्दी ही घास मैदान में सम्मानित और लोकप्रिय हो जाता है ।
कजाख लोग अकिन वाचन वादन को दिल से पसंद करते हैं ,इस की चर्चा में सिन्चांग के जातीय संगीत के अध्ययन में लगी श्रीमती बहालगुल ने कहाः
मेरी आशा है कि यदि संभव हो , तो हर साल अकिन का आयोजन किया जाएगा , इस से हमारा सांस्कृतिक स्तर उन्नत हो सकेगा और कजाख जाति की विशेष परम्परा देश की विभिन्न जातियों में परिचित होगी ।
अकिन वादन वाचन की कला जीवन से ओतप्रोत है और शैली में सजीव और उत्साहपूर्ण है , इसलिए वह बहुत लोकप्रिय है । कजाख लोग गाने नाचने में निपुण हैं , उन की सुन्दर कविता इस जाति की रंगबिरंगी अनुठा सांस्कृतिक परम्परा का अमोल धरोहर है । अकिन कविता के लेखक भी है और वाचक और प्रचारक भी हैं । कजाख लोगों के शादी ब्याह , अंतिम संस्कार , धार्मिक रस्म तथा अन्य रीति रिवाज में अकिन का वाचन वादन जरूर होता है । उन की कविताएं कजाख जाति के उत्पत्ति , विकास , जातीय संबंध और धर्म के अध्ययन के लिए बड़ा महत्व रखता है । साथ ही वो इतिहास , मानव शास्त्र , समाज शास्त्र , जाति शास्त्र तथा रीति शास्त्र के अध्ययन के लिए अहम सामग्री है ।
सिन्चांग के विशाल व खुला घास मैदान पर अकिन के गायन और वाचन ने कविता के रूप में कजाख लोगों के जीवन को मनोरंजक और समृद्ध कर दिया , वह भी कजाख लोगों के जीवन में हमेशा के लिए जीवित रहेगा ।
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