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(GMT+08:00) 2005-09-15 16:18:21    
न्यांगछु नदी के किनारे किसानों के नये घर

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तिब्बत के पूर्वी भाग के निंगछी क्षेत्र की गुंगबो ग्यामडा काउंटी में एक बहुत ही सुन्दर पठारीय झील है, नाम है छोको झील। इस झील का पानी बहुत स्वच्छ है और इसके दोनों किनारों पर खड़े हरे चीड़ के पेड़ों की झुरमुट व आपपास के पहाड़ों की श्वेत बर्फ की जगमगाती रोशनी यहां एक अद्भुत प्राकृतिक दृश्य बनाती है। इस दृश्य में इतना सौन्दर्य है कि लोग इस जगह को तिब्बत के स्विटजरलैंड के नाम से पुकारते हैं। इधर के दो सालों में गुंगबो ग्यामडा काउंटी में बने एक से एक सुन्दर मकानों ने यहां की खूबसूरती में चार चांद लगाए हैं।

छोको झील की ओर जाती तिब्बत को सीछुआन से जोड़ने वाली सड़क पर हमारी गाड़ी स्थिरता से चल रही थी। एक तरफ न्युंगछू नदी की कल-कल करती धारा और दूसरी तरफ ऊंचे पहाड़ों के हरे-भरे पेड़ों ने हमारा मन मोह लिया। झील के नजदीक पहुंचते-पहुंचते कतारों में खड़ी तिब्बती शैली की छोटी पर नयी व खूबसूरत इमारतें दिखाई दीं। नीले आसमान व इन मकानों की लाल छतों पर चमकती रोशनी ने यहां के वातावरण को कहीं ज्यादा सौन्दर्य बना डाला था।

सबसे पहले हमारी आंखों के आगे गयाला गांव आया। गांव में सड़क के किनारे पंक्तियो में खड़े नए मकानों के अपने-अपने बड़े आंगन हैं। एक तिब्बती बुजुर्ग महिला हाथ में पूजा के काम आने वाला डमरू लिये दूर की ओर ताक रही थी। आंगन में बैठे लोग गप्पें लड़ा रहे थे। हंसी के फुव्वारे से आंगन गूंज रहा था। बच्चे एक-दूसरे को पकड़ने का खेल खेल रहे थे। गांव की सड़क पर सुअर बेफिक्री से टहल रहे थे। वाहनों के आनेजाने की उन्हें परवाह नहीं थी। चालकों को उन्हें रास्ता देना पड़ता था। इस बीच एक छोटा कुत्ता अपनी पूंछ हिलाते दूर से भागता हुआ हमारे पास आया। अजनबियों को देखने पर भी उसे डर का थोड़ा भी अहसास नहीं था।

गयाला गांव के मुखिया तोबग्ये ने हमारा हार्दिक स्वागत किया। उन्होने बताया कि गांव के मकान पहले न्यांगछु नदी के किनारे थे। तब गांव में सड़क नहीं थी और बरसात के मौसम में सारे गांव में कीचड़ भर जाता था। बारिश के मौसम में गांववासियों के दिल में यह डर भी लगा रहता था कि नदीं में पानी बढ़ने से बाढ़ आने से उनके घर कहीं डूब न जाएं। 2003 में गुंगबो ग्यामडा काउंटी ने किसानों व चरवाहों के रिहायशी मकानों में सुधार का काम लागू करना शुरू किया। सरकार की मदद से गांव के सभी लोगों को अब एक ऊंचे स्थान पर बसाया गया है। श्री तोबग्ये ने कहा पहले हमारे गांव में जीवन स्थिति बड़ी बुरी थी। लोग व पशु एक घर में रहते थे। इससे घर बड़े गन्दे रहते थे। लेकिन नए मकानों में पीछे के आंगन में पशुशाला बनायी गयी है। इस तरह घर की सफाई पहले से कहीं अच्छी हो गई है।

गोंगबो ग्यामडा काउंटी के किसानों व चरवाहों के रिहायशी मकानों के सुधार के प्रमुख जिम्मेदार अधिकारी न्यो वीन सन ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा गोंगबो ग्यामडा काउंटी में वर्तमान में 4400 से अधिक किसान व चरवाहा परिवार हैं। अधिकतर लोग कृषि क्षेत्र व चरागाहों में रहते हैं। उनके जीवन का तरीका पहले बहुत ही पिछड़ा था। पशु परिवार के सदस्यों के साथ एक ही मकान में रहते थे।

घर के लोग दूसरी मंजिल पर रहते तो, गाय, बकरी नीचे के आंगन में। इस तरह मकान में बहुत गंदगी रहती थी। रहन-सहन का यह तरीका मानव स्वास्थ्य के लाभदायक नहीं था। 2003 में भीतरी इलाके से हमारी काउंटी को मदद देने आए कार्यकर्ताओं ने यहां पूंजी ही नहीं लगाई, हमारे ख्यालों को नयापन देने में भी मदद दी। उन्होंने किसानों व चरवाहों के मकानों के सुधार के बहुत से अच्छे सुझाव दिए।