प्रिय मित्रो , आप जानते हैं कि उत्तर पूर्वी चीन के हेलुंगच्यांग प्रांत के उत्तरी भाग में बसी हुई ह च जाति चीन की सब से कम जनसंख्या वाली अल्पसंख्यक जातियों में से एक है । इस जाति के बीच प्रचलित उ सू ली नदी नामक गाना चीन में बहुत प्रसिद्ध व लोकप्रिय है । क्योंकि यह गाना अल्पसंख्यक जाति ह च के एक मछुआ गीत पर आधारित है। इस मधुर धुन को सुनते हुए लोगों के सामने उत्तर-पूर्वी चीन के हेलुंगच्यांग प्रांत का जो नजारा उभरता है वह यह कि इस प्रांत से होकर बहती ऊ सू ली नदी में अल्पसंख्यक हच जाति के मछुए गीत गाते मछली पकड़ने में व्यस्त हैं।
जी हां , हम आप को बता ही चुके हैं कि हच जाति चीन की सब से कम जनसंख्या वाली अल्पसंख्यक जातियों में से एक है। उस की आबादी चार हजार से कुछ अधिक है। हच जाति में गर्मियों में ऊसूली नदी में मछली पकड़ने और सर्दियों में जंगलों में शिकार करने की परम्परा बनी रही है। पर इधर के सालों में स्थानीय नदियों व तालाबों में मछलियां कम हुई हैं और राज्य ने जंगली जीव-जंतुओं के संरक्षण की स्पष्ट नियमावली जारी की है। इसलिये हच जाति के लिए उत्पादन के अपने परम्परागत तरीके और रहन-सहन को बदलना जरूरी हो गया है। अब इस जाति के अधिकतर लोग खेती बाड़ी में लगने लगे हैं , पर क्या यह शिकारी जाति किसी नयी जीविका की आदी बन सकती है, इस सवाल के साथ हम ने हच जाति के युवक फू थ्ये च्युन से बातचीत की ।
फू थ्ये च्युन सब से पहले खेतीबाड़ी में जुटे। 1995 से वे हच जाति के नौ परिवारों के साथ मछुआ नावों को पीछे छोड़ भूमि उद्धार के लिए एक छोटे से वीरान द्वीप गये। उस साल उन्हों ने सौ हैक्टर से ज्यादा खेतीयोग्य भूमि में अच्छी फसल पाई। खलिहान पर अनाज का पर्वत जैसा ढेर देखकर इन हच मछुओं का चेहरा खिल उठा। फू थ्ये च्युन और इन नौ परिवारों की सफलता ने हच जाति के अन्य मछुओं को खेती करने का हौसला दिया। अब अनेक मछुए नाव छोड़कर खेतीबाड़ी में लग गये हैं। इधर के दो सालों में थुंगच्यांग शहर में हच लोग करीब 20 हजार हैक्टर भूमि का उद्धार कर चुके हैं और बहुत से कृषि के जरिये खुशहाल भी हुए हैं। लेकिन अब भी हच जाति के कुछ लोग अपना परम्परागत जीवन नहीं छोड़ना चाहते और मछली पकड़ने के बजाय मत्स्यपालन करने लगे हैं। इधर सरकारी सहायता से समृद्ध जल संसाधनों को ध्यान में रखकर यहां मत्स्यपालन केंद्र कायम हो गये हैं। पा चा नामक हच जाति के कस्बे में कुछ मछुओं ने मत्स्यपालन शुरू किया और पिछले कुछ सालों के विकास के बाद उन में से कुछ मत्स्यपालन में सफल हुए और उन की आय भी काफी हद तक बढ़ी। इस कस्बे के एक अधिकारी यो यू शिंग ने कहा कि हमारे यहां रहने वाले ली च्युन ने 10 हैक्टर में फैले मछली के तालाब का ठेका लिया और पिछले कई सालों के परिश्रम के बाद वह मछली पालने में सफल होने के बाद हर साल तीस हजार य्वान से अधिक कमा रहा है। चीन की एक अल्पसंख्यक जाति होने की वजह से विभिन्न स्तरों की सरकारें हच जाति का समर्थन करती हैं। हेलुंगच्यांग प्रांत के जातीय मामला आयोग की उपाध्यक्ष सुश्री ली शुन पाओ ने कहा कि पूर्वी चीन के कुछ विकसित शहरों ने कम जनसंख्या वाली अल्पसंख्यक जातियों को सहायता देने के लिए कई ठोस कदम उठाये हैं।
शांगहाई शहर ने भी हच जाति के निर्माण व सामाजिक कार्य के विकास के लिए एक अभियान चलाया है। इस अभियान ने स्कूल अध्यापकों को प्रशिक्षित करने और साज-सामान बदलने के लिए धनराशि प्रदान की। हालांकि इस जाति के रहन-सहन में बड़ा बदलाव आया है, पर इस की परम्परागत मत्स्य व आखेट संस्कृति लुप्त सी हो रही है। स्थानीय सरकार ने हच जाति की संस्कृति के संरक्षण के लिए विशेष तौर पर हच पारिस्थितिकी सांस्कृतिक संग्रहालय और जातीय रहन-सहन बाग स्थापित किये हैं, जहां हच जाति के परम्परागत मकान, मछली की खाल से तैयार कपड़े और हच जाति के नृत्य-गान तक सुरक्षित हैं ।
आज हच जाति के लोग मछुवा गीत गाते हुए खेती करते हैं और खुशहाल जीवन बिता रहे हैं।
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