
प्रिय दोस्तो , हो सकता है कि आप को पता नहीं है कि उत्तर पूर्वी चीन के हेलुंगच्यांग प्रांत के उत्तरी भाग में बसी हुई ह च जाति चीन की सब से कम जनसंख्या वाली अल्पसंख्यक जातियों में से एक है । इस जाति के बीच प्रचलित उ सू ली नदी नामक गाना चीन में बहुत प्रसिद्ध व लोकप्रिय है । क्योंकि यह गाना अल्पसंख्यक जाति हच के एक मछुआ गीत पर आधारित है। इस मधुर धुन को सुनते हुए लोगों के सामने उत्तर-पूर्वी चीन के हेलुंगच्यांग प्रांत का जो नजारा उभरता है वह यह कि इस प्रांत से होकर बहती ऊ सू ली नदी में अल्पसंख्यक हच जाति के मछुए गीत गाते मछली पकड़ने में व्यस्त हैं। इधर इस अल्पसंख्यक जाति के जीवन में क्या परिवर्तन आया है, यह जानने के लिए आज के चीन का भ्रमण कार्यक्रम में चलिए चलें उत्तर-पूर्वी चीन की सीमा पर स्थित हेलुंगच्यांग प्रांत के हच जाति बहुल क्षेत्र के दौरे पर और नजदीक से देखें चीन की सब से कम जनसंख्या वाली अल्पसंख्यक जातियों में से एक हच जाति के जीवन को।
श्रोताओ, हम आप को बता ही चुके हैं कि हच जाति चीन की सब से कम जनसंख्या वाली अल्पसंख्यक जातियों में से एक है। उस की आबादी चार हजार से कुछ अधिक है। चीन में एक कहावत है कि यदि आप पहाड़ी क्षेत्र में रहते हैं, तो आप का जीवन पहाड़ पर निर्भर होता है और अगर जल क्षेत्र में रहते हैं, तो आपको पानी पर निर्भर रहना पड़ता है। इस का अर्थ है कि मानव स्थानीय संसाधनों का दोहन कर जीवन व्यतीत करता है। चीन की अल्पसंख्यक हच जाति पीढ़ी दर पीढ़ी उत्तर-पूर्वी चीन की सीमा पर स्थित हेलुंगच्यांग प्रांत की ऊ सू ली नदी की घाटी में रहती आयी है। इस क्षेत्र में जलोपजों की भरमार है और आसपास के पहाड़ों पर भी विभिन्न प्रकार की दुर्लभ वस्तुएं पायी जाती हैं। हच जाति में गर्मियों में ऊसूली नदी में मछली पकड़ने और सर्दियों में जंगलों में शिकार करने की परम्परा बनी रही है। पर इधर के सालों में स्थानीय नदियों व तालाबों में मछलियां कम हुई हैं और राज्य ने जंगली जीव-जंतुओं के संरक्षण की स्पष्ट नियमावली जारी की है। इसलिये हच जाति के लिए उत्पादन के अपने परम्परागत तरीके और रहन-सहन को बदलना जरूरी हो गया है। क्या यह शिकारी जाति किसी नयी जीविका की आदी बन सकती है, इस सवाल के साथ हम उत्तर-पूर्वी चीन के हेलुंगच्यांग प्रांत के हच जाति बहुल क्षेत्र इस प्रांत के थुंगच्यांग शहर पहुंचे। पहले यह एक छोटा सा गांव था, पर आज एक बहुत आधुनिक शहर का रूप ले चुका है । शहर के अंदर कदम रखते ही नयी सड़कों के दोनों किनारों पर लाल पत्थरों व भूरे रंग के खपरैलों से बनी इमारतें सुव्यवस्थित रूप से खड़ी नजर आती हैं। हच जाति के लोग इन्हीं इमारतों में रहते हैं। शहर के बाहर फैले विशाल उपजाऊ खेतों में खेती करना अब उन की दिनचर्या बन गया है। दसेक साल पहले चीन सरकार ने कम जनसंख्या वाली अल्पसंख्यक जातियों को सहायता देने की विशेष नीति अपनाई। हच जाति के मछुओं के रहन-सहन के परम्परागत तरीके के सामने मौजूद संकट के मद्देनजर स्थानीय सरकार ने हच जाति को अपने उत्पादन व रहन सहन को बदलने में सहायता देने की उदार नीति पेश की। हेलुंगच्यांग प्रांत के थुंग च्यांग शहर के हच जाति के अधिकारी यो ली च्युन ने इस बारे में बताया कि हच जाति का जो परिवार खेती करना चाहता है, वह भूमि के उद्धार के लिए निश्चित क्षेत्र में जा सकता है और ग्रामीण कमेटी के साथ भूमि उद्धार अनुबंध करने के बाद इस उदार नीति के अनुरूप भूमि प्राप्त कर सकता है। उसे प्रोत्साहन देने के लिए सरकार जरूरी निवेश, बीज, रासायनिद खाद, कृषि औजार और तकनीक सेवा का भी प्रबंध करती है। हच जाति के लोगों को कृषि करना नहीं आता, इसलिये स्थानीय सरकार ने उन्हें कृषि में प्रशिक्षण देने के लिए विशेष कक्षाएं खोलीं और उन्हें समय-समय पर खेती व फसलों की देखभाल करने के तरीके बताने का प्रबंध भी किया।
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