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(GMT+08:00) 2005-09-14 11:06:16    
तिब्बत में स्थलीय यातायात व परिवाहन का विकास

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चीन के तिब्बत-छींगहाई पठार में रेल मार्ग का निर्माण किया जा रहा है । इसी रेल मार्ग के दोनों तटों पर स्थित अनेक प्राकृतिक संरक्षण क्षेत्रों , जंगली पशुओं के रहने वाले क्षेत्रों तथा सतत बर्फीले जमीनों की रक्षा के लिये निर्माणदाताओं ने बहुत से ठोस कदम उठाये हैं । चीनी पर्यावरण विभागों के एक संयुक्त जांच दल ने हाल ही में तिब्बत-छींगहाई रेल मार्ग के निर्माण के दौरान प्राकृतिक वहां के प्राकृतिक संरक्षण की स्थितियों की जांच की और सकारात्मक निष्कर्ष निकाला । सुनिये विस्तार से । तिब्बत-छींगहाई रेल मार्ग का निर्माण चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश तथा छींगहाई प्रांत के आर्थिक व सामाजिक विकास के लिये महत्वपूर्ण है । विश्व की छत नामक तिब्बत-छींगहाई पठार चीन की अनेक प्रमुख नदियों का स्रोत भी है । पर पठार की अति ऊंच्चाई , कम ओक्सिजेन , सर्दी और सूखापन आदि की वजह से , पठार पर की पारिस्थितिकी बहुत कमजोर है । इसलिये रेल मार्ग के निर्माणदाता बर्फीली जमीनों , नदियों के स्रोत के जल तथा जंगली पशुओं के रहने वाले क्षेत्रों की रक्षा को हमेशा महत्व देते हैं । चीनी राष्टीय पर्यावरण ब्यूरो के निरीक्षण विभाग के प्रधान श्री जू शींग श्यांग ने संवाददाता से बातचीत के दौरान अपने जांच कार्य की जानकारी देते हुए इस बात को निश्चित किया कि रेल मार्ग के निर्माणदाताओं का पर्यावरण संरक्षण कार्य सुव्यवहारित है । मिसाल के लिये निर्माणदाताओं ने पठार पर के जंगली पशुओं की रहने की विशेषता के मुताबिक निर्माण के क्षेत्रों में विशेष पारने वाले रास्ते तैयार किये हैं । इस तरह तिब्बती कुरंग समेत स्थानीय जंगली पशुओं के जीवन पर रेल मार्ग के निर्माण से कुप्रभाव नहीं पड़ा है । वे कहते हैं , तिब्बती कुरंग की ऐसी विशेषता है कि वह हर जून में मार्गों को पार कर एक निश्चित क्षेत्र में ब्याने जाता है , और सितंबर में पुराने क्षेत्र वापस जाता है । हम ने अपने सर्वेक्षण के जरिये तिब्बती कुरंग के आने जाने की स्थितियों को साफ किया है , और विशेष रास्ता खोलकर इस पशु के पारने की गारंटी की है । अब तक तिब्बत-छींगहाई रेल मार्ग के निर्माण स्थलों पर जंगली पशुओं के लिये कुल तीसेक रास्ते खोले गये हैं , जो निर्माण के लिये उपयोगी साजसामानों के स्थलों तथा मजदूरों के निवासों से बहुत दूर हैं । साथ ही निर्माणदाताओं ने तिब्बती कुरंग समेत जंगली पशुओं के जीवन स्थिति के अनुसार अपने काम समय को बदलने, जंगली पशु गश्ती दल भेजने , तथा जंगली पशुओं के पारते समय निर्माण स्थल को बन्द करने आदि कदम उठाये हैं । इन कदमों से तिब्बती कुरंग समेत जंगली पशुओं के स्वतंत्रता से निर्माण स्थलों से पारने दिया जाता है । इसी के साथ साथ पठार पर बर्फीली जमीनों के स्थायीत्व की रक्षा करने तथा रेल मार्ग के दोनों तटों के प्राकृतिक दृश्यों को भंग न करने के लिये निर्माण स्थलों के क्षेत्रफल तथा व्यक्तियों व गाड़ियों के जाने वाले क्षेत्र को भी सीमित किया गया है । निर्माण स्थलों पर की वनस्पतियों का भी दूसरे स्थलों पर स्थानांतरण किया गया है , जिन्हें निर्माण की समाप्ति के बाद वापस पहुंचाया जाएगा । पता चला है किकारगरके निर्माण में पर्यावरण के संरक्षण में ही दो अरब यवान की पूंजी लगायी जाएगी । चीनी राष्टीय पर्यावरण ब्यूरो के निरीक्षण विभाग के प्रधान श्री जू शींग श्यांग का मानना है कि निर्माण में किये गये संरक्षण कदमों तथी लगाये गये पूंजी निवेश से तिब्बत-छींगहाई रेल मार्ग के निर्माण में प्राकृतिक पर्यावरण का कारगर संरक्षण हो पाया है । उन्हों ने कहा कि मान , जाल और पूंजी की भारी शक्ति डालने के जरिये तिब्बत-छींगहाई रेल मार्ग प्रदूषण-रहित रेल मार्ग बनेगा । पता चला है कि पर्यावरण संरक्षण विभागों ने भी निर्माण ईकाइयों को पठार पर पारिस्थितिकी के संरक्षण के बारे में बहुत से सुझाव पेश किये हैं , रेल मार्ग के निर्माण में जंगली पशुओं तथा प्राकृतिक पर्यावरण के संरक्षण को और जोरशोर किया जाएगा । नीचे पढ़ पाते हैं तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के मार्ग निर्माण में प्रगति की जानकारी । चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में कठिन प्राकृतिक वातावरण की वजह से यातायात भी अत्यंत असुविधाजनक है । पर चीन सरकार ने तिब्बत में राज मार्ग के निर्माण में लगातार पूंजी लगाने का प्रयास किया है । छींगहाई-तिब्बत पठार विश्व छत के नाम मशहूर है , वह समुद्र सतह से औसतन 4000 मीटर की ऊंचाई पर है । तिब्बत में ऊंच्ची ऊंच्ची पहाड़ियां और चौड़ी चौड़ी नदियां बिखरती हैं । इसलिये तिब्बत में यातायात हमेशा पिछड़ी रही । सन 1951 में जब तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति हुई , तब वहां कोई राज्य मार्ग नहीं था । लोगों की यातायात मुख्य तौर पर सुरागाय पर निर्भर थी । यातायात के पिछड़ापन से तिब्बत में आर्थिक व सामाजित विकास को रोका गया था । चीन की केंद्र सरकार और तिब्बती स्थानीय सरकार ने हमेशा मार्ग के निर्माण को जोर दिया है । इधर के वर्षों में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में मार्गों के निर्माण में गति दी गयी है । छींगहाई-तिब्बत मार्ग का पुनः निर्माण करने समेत अनेक महत्वपूर्ण परियोजनाएं शुरू हो गयी हैं । मार्ग निर्माण में तेज़ी होने के साथ साथ तिब्बत के सभी नगर एक दूसरे से जुड़े हुए हैं । इधर के वर्षों में चीन सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों के मार्ग निर्माण को जोर देने की नीति लागू की है । इस से तिब्बत के ग्रामीण क्षेत्रों व चरागाहों में यातायात की स्थिति में बड़ा सुधार आया है । तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के यातायात ब्यूरो के जनरल डिजाइनर श्री रैन शिपींग ने हमारे संवाददाता से कहा कि गत वर्ष तिब्बत के ग्रामीण मार्ग के निर्माण में नब्बे करोड़ युवान की पूंजी लगायी गयी । अब तिब्बत की ब्यानवे प्रतिशत टाऊशिपों और सत्तर प्रतिशत गांवों में मार्ग का निर्माण हो चुका है । श्री रैन का कहना है कि यातायात के सुधार से तिब्बती जनता के जीवन को बहुत बदला गया है । वर्ष 2003 में तिब्बत में मोटर गाड़ियों की मात्रा एक लाख तक जा पहुंची । मार्ग के निर्माण में स्थानीय किसानों व पशुपालकों की भागीदारी को भी प्रोत्साहित किया गया है । बहुत से क्षेत्रों के किसानों व पशुपालकों को मार्ग निर्माण संबंधी ट्रनिंग किया गया , उन में बहुत से लोगों को मार्ग प्रशस्त करने और मार्ग निर्माण के अधीन परियोजना की तकनीक हालिस हो चुकी है । तिब्बत के चिकाज़े क्षेत्र के किसान श्री डोचिडूनचू ने संवाददाता से बातचीत में कहा कि पिछले एक ही साल में उन के घर के आसपास कई टाउनशिपों ने बहुत सी गाड़ियां और ट्रैक खरीदे हैं । यातायात के सुधार से लोगों के जीवन का स्तर भी उन्नत हो गया है । उन्हों ने कहा कि हमारे यहां मार्ग के निर्माण के बाद पशुपालन का बहुत विकास हो पाया है । मिसाल है कि पहले हमारे यहां सिर्फ पंद्रह घरों में पशुओं का पालन होता था , पर गत वर्ष यह संख्या पहले से बीस गुणी अधिक रही । पता चला है कि तिब्बत में विशेष प्राकृतिक शर्तों की वजह से यातायात विभाग ने मार्ग निर्माण के दौरान पर्यावरण संरक्षण को बहुत ध्यान दिया है । अब तिब्बत में मार्ग , हवाई और पाइप समेत एक संश्रित यातायात जाल , जिस का केंद्र मार्ग होता है , स्थापित हो चुका है ।