
चीन का भ्रमण कार्यक्रम की ओर से सभी मित्रों का स्नेहपूर्ण अभिवादन। दोस्तो , जैसा कि आप जानते हैं कि चीन एक बहुजातीय देश है और कुल 56जातियों में हान जाति के अतिरिक्त अन्य 55 जातियां अल्पसंख्यक जातियां मानी जाती हैं और वे अधिकतर चीन के दूर दराज क्षेत्रों में बसी हुई हैं । दक्षिणी चीन के क्वांगशी च्वान जातीय स्वायत्त प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्र में ऐसी कई महिलाएं रहती हैं, जो अपने लम्बे चमकदार बालों को बेहद कीमती समझती हैं। उन की मान्यता में चिकने लम्बे बाल सुखमय जीवन और आकांक्षा के प्रतीक हैं। आज के चीन का भ्रमण कार्यक्रम में हम आप के साथ लम्बे बालों वाली इन महिलाओं की कहानी जानने के लिए दक्षिणी चीन के क्वांगशी च्वान जातीय स्वायत्त प्रदेश जा रहे हैं।
वह एक सुहावना दिन था। सुबह-सुबह बहुत जल्द उठकर हम कार पर सवार होकर टेढ़े-मेढ़े रास्ते पर चल कर क्वांग शी च्वान जातीय स्वायत्त प्रदेश के लुंगची पहाड़ी क्षेत्र में प्रविष्ट हुए तो हरे-भरे पर्वतों व स्वच्छ पानी के लुभावने दृश्य के बीच लाल पोशाकों में सजी महिलाओं को नदी में अपने लम्बे बाल धोते देखा। बाल धोते हुए वे गा रही थीं, सब से पहले मैं अपने प्रेमी के लिए काले चमकदार लम्बे बालों को करती हूं कंघी, फिर हम दोनों के मधुर प्रेम के लिए और अंत में मां-बाप का एहसान न भूलने के लिए काढ़ती हूं इन्हें। हर लम्बा, चिकना बाल स्थायी व सुखी जीवन का प्रतीक है। लम्बे बालों के गुणगान का यह लोकगीत अल्पसंख्यक लाल याओ जाति की महिलाओं में बहुत प्रचलित है।
लाल याओ दक्षिणी चीन में बसी अल्पसंख्यक याओ जाति की एक शाखा है। याओ जाति अपनी महिलाओं की पोशाकों व आभूषणों की विशेषताओं के अनुसार अपनी शाखा को नाम देती है। इस क्षेत्र में बसी महिलाएं लाल पोशाक पहनना पसंद करती हैं, इसलिये इस शाखा को लाल याओ कहा जाता है। लाल याओ जाति मुख्यतः क्वांगशी च्वांग जातीय स्वायत्त प्रदेश के उत्तरी पहाड़ी क्षेत्र में आबाद है। उस की जनसंख्या 13 हजार से कुछ अधिक है। इस शाखा के लोग हान जातीय संस्कृति से प्रभावित होने के चलते हान भाषा बोलते हैं। लाल याओ जाति की लड़कियां 13 वर्ष की उम्र में बाल काटना बंद कर देती हैं और 16 की उम्र में केवल एक बार बाल काटती हैं। इस का मतलब होता है कि वे युवावस्था में प्रविष्ट हो चुकी हैं। इस के बाद वे जिंदगी भर कभी भी बाल नहीं काटतीं।
लाल याओ जाति की मान्यता है कि बाल आमतौर पर मानव के खून व भावना का निचोड़ हैं, जबकि महिलाओं के लिए वे प्राण का प्रतीक हैं। इसलिये पिछले हजारों वर्षों से लाल याओ जाति की महिलाओं में बालों को मूल्यवान समझने व लम्बे रखने की परम्परा बनी रही है। यहां की महिलाओं को अपने बालों से इतना लगाव है कि यदि कंघी करते समय बाल गिर जायें, तो वे बड़ी सावधानी से उन्हें एक-एक कर उठाकर सुरक्षित रख देती हैं। मजे की बात है कि वे अपनी बाल्यावस्था में काटे गए बालों को अपनी नानी के पास शादी के समय तक सुरक्षित रखती हैं और शादी के मौके पर उन्हें दहेज के एक जरूरी हिस्से के रूप में अपने जूड़े में बांधती हैं।
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