इस वर्ष चीन के जापानी आक्रमण विरोधी युद्ध एवं फासिस्ट विरोधी विश्व युद्ध की विजय की साठवीं वर्षगांठ है।हम आप लोगों को बतायेंगे कि चीनी युवा इस युद्ध को किस नजर से देखते हैं और इस युद्ध के चीन-जापान संबंधों पर प्रभाव को कैसे आंकते हैं। वर्ष 1937 की सात जुलाई को, जापान ने लू गो छ्याओ की घटना के साथ चीन के खिलाफ़ चतुर्मुखी युद्ध छेड़ा। वर्ष 1945 की 15 अगस्त को जापान ने निःशर्त आत्मसमर्पण करने की घोषणा की। इस बीच, चीनी जनता ने आठ वर्षों तक कठोर संघर्ष किया और भारी कीमत चुकाई। आंकड़ों के अनुसार, जापानी आक्रमण विरोधी युद्ध के दौरान, 3 करोड़ 50 लाख से ज्यादा चीनी सैनिक व नागरिक हताहत हुए और वित्तीय नुकसान व युद्ध का खर्च 5 खरब 60 अरब अमरीकी डॉलर रहा। फासिस्ट विरोधी विश्व युद्ध के एक अत्यन्त महत्वपूर्ण भाग के रूप में चीन का जापानी आक्रमण विरोधी युद्ध बहुत लम्बा था। हालांकि इस युद्ध को समाप्त हुए 60 वर्ष हो चुके हैं, फिर भी इस के द्वारा चीनी जनता को हुआ नुकसान अब भी मौजूद है। नानचीन उद्योग विश्विद्यालय के छात्र सुंग च्यांग नेन ने इस युद्ध की चर्चा में कहा कि वह न्याय व अन्याय के बीच युद्ध था। उन के अनुसार, वह युद्ध चीनियों को नहीं भूलना चाहिए। यह खून का सबक था और जाति का अपमान भी। हालांकि मैंने खुद इस युद्ध को नहीं देखा, फिर भी मैं टी वी, फिल्मों तथा पुस्तकों से यह जान पाया हूं कि इतिहास बहुत उदास था। हमें इतिहास को याद रखना चाहिए। ऐतिहासिक समस्या तथा इस युद्ध से चीन व जापान की जनता को हुए गहरे नुकसान का चीनी जनता की जातीय भावना से संबंध है। दुनिया की सब से बड़ी चीनी भाषा की वेबसाइटों में से एक सुहू नेटवर्क के एक सर्वेक्षण में 66 प्रतिशत से ज्यादा लोगों ने माना कि ऐतिहासिक समस्या के साथ व्यवहार चीन-जापान संबंधों के विकास का प्रमुख तत्व है। एक अन्य सर्वेक्षण में 97 प्रतिशत लोगों ने जापानी नेताओं के यासुकुनी मंदिर का दर्शन करने का जबरदस्त विरोध किया। चीनी युवाओं में लोकप्रिय अंग्रेजी अखबार 21वीं शताब्दी अखबार द्वारा किये गये सर्वेक्षण में 77 प्रतिशत लोगों और 65 प्रतिशत छात्रों ने माना कि ऐतिहासिक समस्या से सही तरीके से व्यवहार करना, न करना चीन-जापान संबंधों की सब से महत्वपूर्ण समस्या है, जिस का निपटारा किया जाना चाहिए। मध्य चीन के ह नान प्रांत की एनयांग नार्मल अकादमी के छात्र हेन पींग च्याओ ने इंटरनेट पर जापानी प्रधानमंत्री कोईजुमी चुनीजीरो के यासुकुनी मंदिर का दर्शन करने और जापानी दक्षिणपंथी तत्वों के जापान के आक्रमणकारी इतिहास को तोड़ने-मरोड़ने की कोशिश करने की निंदा की और इस पर विरोध प्रकट किया। हेन पींग च्याओ का कहना था कि हर बार चंद जापानी लोग चीन पर जापान के आक्रमण के इतिहास को ठुकरा देते हैं, इसलिए उन्होंने अपने सहपाठियों के साथ मिल कर इंटरनेट पर अपना बयान जारी किया। उन के अनुसार, नान चीन नरसंहार समेत अनेक एतिहासिक सबूतों को नष्ट नहीं किया जा सकता है। हाल में दक्षिणी चीन के क्वांग तुंग प्रांत में जहरीली मिसाइलों ने चीनी जनता को भारी नुकसान पहुंचाया। इन तथ्यों को कोई नहीं मिटा सकता है। इधर अनेक चीनी युवाओं ने इंटरनेट पर विभिन्न मंचों और जापानी आक्रमण विरोधी युद्ध संबंधी वेबसाइटों पर निजी विचार प्रकट किये। नान चीन नरसंहार संबंधी वेबसाइट चीन की जापानी आक्रमण विरोधी युद्ध की अनेक वेबसाइटों में से एक है। इस वेबसाइट में नानचीन नरसंहार संबंधी अनेक मूल्यवान ऐतिहासिक वस्तुएं एवं चित्र प्रदर्शित हैं। रिपोर्टों के अनुसार, इस वर्ष की जुलाई की शुरुआत में इस वेबसाइट के खुलने के एक महीने से कम समय में, इसे देखने वालों की संख्या हर दिन 5 लाख से ज्यादा रही है। ऐतिहासिक समस्या का सही निपटारा न करने के चलते जापान की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य देश बनने की कोशिशों के प्रति चीनी युवाओं ने असंतोष प्रकट किया है। पेइचिंग नॉर्मल विश्विद्यालय में एम ए की छात्रा वांग ईंग ने कहा, यदि जापान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य देश बनना चाहता है और अंतरराष्ट्रीय मंच पर और बड़ी भूमिका अदा करना चाहता है,तो उसे सर्वप्रथम एशियाई जनता, विशेषकर एशिया के पड़ोसी देशों की समझ व समर्थन पाना चाहिए। इस के बावजूद, आम तौर पर चीन-जापान संबंधों के विकास के प्रति चीन के अधिकांश युवाओं ने धैर्य का रुख अपनाया है। 21वीं शताब्दी अखबार के एक सर्वेक्षण में 51 प्रतिशत से ज्यादा लोगों ने कहा कि वे जापानी युवाओं के साथ आदान-प्रदान करना चाहते हैं और जापानी लोगों को मित्र बनाना चाहते हैं। हेन पींग च्याओ ने कहा कि यह शांति का युग है। उन्होंने विश्वास प्रकट किया कि अधिकांश जापानी नागरिक चीन-जापान मैत्री पर सहमत हैं। उनके अनुसार हमें जापान के आम नागरिकों और इने-गिने दक्षिणपंथी तत्वों को एक-दूसरे से अलग कर के देखना चाहिए और दोनों देशों की जनता की समझ व समर्थन हासिल करना चाहिए। उन्होंने कहा,एक बड़ी हद तक, युवा भविष्य के निर्माता हैं। चीन व जापान के युवाओं की आवाजाही को और मजबूत किया जाना चाहिए। दोनों देशों के युवाओं को इतिहास से सही सबक लेकर भविष्योन्मुख आवाजाही को बढ़ाना चाहिए। चीन-जापान संबंधों में मौजूद समस्याओं की चर्चा में अधिकांश चीनी लोगों ने सही रुख जताया। लुंग ई ग्रुप की शांगहाई शाखा की चीनी कर्मचारी सुश्री वांग हेई ईंग ने कहा कि चीन-जापान संबंधों की समस्याओं को कदम ब कदम हल किया जा सकता है। उन्होंने कहा,चीन व जापान दोनों देशों के बीच आर्थिक आवाजाही दोनों देशों की जनता के लिए यथार्थ कल्याण लायी है। दोनों देशों को इससे आपसी लाभ मिलेगा। सुश्री वांग हेई ईंग ने आशा जताई कि चीन व जापान के आर्थिक व व्यापारिक संबंधों का स्वस्थ व स्थिर विकास होगा। उन्होंने यह विश्वास भी प्रकट किया कि चीन व जापान के आर्थिक, व्यापारिक व गैरसरकारी संबंधों की प्रेरणा से चीन-जापान संबंध अवश्य ही ऐतिहासिक समस्या की छाया से बाहर निकल सकेंगे।
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