581 में उत्तरी चओ राजवंश के एक शक्तिशाली सामन्त याङ च्येन (541-604) ने शासनारूढ़ सम्राट चिङती को अपने हक में गद्दी छोड़ने के लिए विवश कर दिया और स्वेइ (581-618) के नाम से एक नया राजवंश कायम किया।
उसने सम्राट वनती का नाम ग्रहण कर छाङआन को अपनी राजधानी बनाया। 589 में याङ च्येन ने दक्षिण के अपने प्रतिद्वंद्वी छन राज्य को विजित कर चीन के उस राजनीतिक विभाजन को समाप्त कर दिया जो पूर्वी चिन काल में शुरू हुआ था और गत दो सौ वर्षों से भी अधिक काल से चला आ रहा था। अन्ततः, चीन का एकीकरण हो गया।
सम्राट वनती ने केन्द्रीय सरकार के गठन के लिय "तीन प्रशासनिक विभागों और छै मंत्रालयों" की व्यवस्था अपनाई। तीन प्रशासनिक विभाग थे :राजकीय सचिवालय, राज्यपरिषद और मंत्रिपरिषद।
इन तीनों विभागों के अध्यक्ष प्रधानमंत्री कहलाते थे। ये तीनों विभाग देश के सर्वोच्च प्रशसनिक अंग के रूप में काम करते थे। मंत्रिपरिषद के अधीन छै मंत्रालय थे - प्रशासन, वित्त, विधि, प्रतिरक्षा, नयाय, और सार्वजनिक निर्माण। स्वेइ राजवंश की तीन प्रशासनिक विभागों और छै मंत्रालयों की व्यवस्था मूलतः छिन-हान काल की "तीन ड्यूकों और नौ राज्यसचिवों" की व्यवस्था से ही विकसित हुई थी।
स्थानीय प्रशासन के तीन स्तर थे--प्रान्त, प्रिफेक्चर और काउन्टी; किन्तु बाद में केवल दो-प्रान्त (श्रथवा प्रिफेक्चर) और काउन्टी ही रह गए। स्थानीय स्तर के अफसरों को नियक्त अथवा पदमुक्त करने का अधिकार प्रशासन मंत्रालय के हाथ में वापस आ गया, जिससे केन्द्रीय सरकार और मजबूत हो गई।
स्वेइ राजवंश की शासन-व्यवस्था के अन्तर्गत प्रत्येक प्रान्त की सरकार द्वारा हर साल अपने प्रान्त से तीन विशिष्ट विद्वान केन्द्रीय सरकार में नियुक्ति के लिय भेजे जाते थे।
इस के अलावा "श्यू छाए"(पुष्पण प्रतिभा) उपाधिधारियों के चयन के लिय लिखित परीक्षाएं भी आयोजित की जाती थीं। बाद में, "मिङ चिङ"(प्राचीन शास्त्र विशेषतज्ञ) और "चिन शि"(उच्चस्तरीय विद्वत्ता) जैसी उपाधियों के लिय भी परीक्षा लेने की प्रथा शुरू की गई। इस प्रथा के साथ ही चीन में सरकारी अफसरी की शाही परीक्षा का प्रारम्भ हुआ।
आर्थिक क्षेत्र में , स्वेइ राजवंश ने उत्तरी वेइ राजवंश का अनुकरण करते हुए भूमि के समान वितरण की व्यवस्था अपनाई। करों में कटौती और बेगार में आंशिक छूट से किसानों का बोझ कुछ हलका हुआ तथा समाज में स्थिरता आई।
सामाजिक उत्पादन में अत्यधिक वृद्दि हुई। करों के रूप में सरकार द्वारा जो अनाज, कपड़ा और रेशम इकट्ठा किया जाता था उसकी मात्रा बहुत बढ़ गई। देश में अनाज के भंडार अपनी पूर्ण क्षमता तक भरे रहने लगे।
अधिक से अधिक कर व नजराना वसूल करने के लिय - विशेष रूप से छाङच्याङ नदी के दक्षिण के इलाकों से - सम्राट याङती (शासनकाल 605-618) ने 605 ई. में उत्तर चीन को दक्षिण चीन से जोड़ने वाला अनाज व रेशम आसानी से उत्तर में भेजा जा सके। उत्तर से दक्षिण की ओर प्रवाहित होने वाली चार अलग-अलग नहरों -युङची, युङची, हानकओ और च्याङनान- से मिलकर बनी इस बड़ी नहर की कुल लम्बाई 2000 किलोमीटर से अधिक थी।
इसका विस्तार अपने मध्यस्थल ल्वोयाङ से उत्तरपूर्व में च्वोच्युन (वर्तमान पेइचिङ के दक्षिणपश्चिम में स्थित) तक और दक्षिणपर्व में य्वीहाङ (वर्तमान हाङचओ) तक था। इस के निर्माण से छाङच्याङ नदीघाटी और ह्वाङहो नदीघाटी के बीच का सम्पर्क सुदृढ़ हुआ और आर्थिक व सांस्कृतिक आदान-प्रदान सरल हो गया। बड़ी नदी नहर राष्ट्र की एक महत्वपूर्ण परिवहन धमनी का काम करने लगी।
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