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(GMT+08:00) 2005-09-02 15:34:11    
अवश्यक चैतावनी से बेखबर

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अवश्यक चैतावनी से बेखबर शीर्षक नीति कथा प्राचीन काल में काफी मशहूर थी , इस का कथानक इस प्रकार हैः

किसी घर में एक चिमनी बनायी गई , लेकिन वह चिमनी इतनी सीधी बनायी गई थी कि जब कभी भट्टी में आग जल रहा था , तो उस की चिन्गनियां चिमनी से बाहर निकलती थी ।

 और तो उस चिमनी के पास घास लकड़ी का एक बड़ा ढेर भी था । घर में आए एक मेहमान ने घर के मालिक को चैतावनी देते हुए कहा कि यह बहुत खतरानाक है , इस प्रकार की चिमनी से आग लग सकेगी ।

आप को चिमनी का रूपांतर करना चाहिए , उस में एक मोड़ बनाना चाहिए , साथ ही चिमनी के पास के घास -लकड़ी के ढेर को भी वहां से हटाया जाना चाहिए। घास लकड़ी को दूर रखे जाने पर आगजनी से बच सकेगा । लेकिन मालिक ने महज हां हुं करके बात को टाला , मेहमान का एक शब्द भी उस के कान में नहीं प्रवेश कर गया ।

कुछ दिन के बाद इस घर में आग लगी , कारण यह था कि सीधी चिमनी से आग की चिनगारी निकली और वह पास लगे घास पर गिरी और आग जल्दी ही फैल गई ।

राहत की बात यह थी कि उस के पड़ोसी समय पर आ पहुंचे और सभी लोगों ने मिल कर आग को बुझाने का घोर प्रयत्न किया , आग बुझ गई और घर को भी ज्यादा गंभीर नुकसान नहीं पहुंचा ।

दूसरे दिन , घर के मालिक ने आग बुझाने में मदद देने आए पड़ोसी लोगों को शुक्रिया अदा करने के लिए एक शानदार दावत दी । उस ने पड़ोसी के उन लोगों को सम्मान देने के ख्याल से उन्हें आदर्श मेहमान की सीटों पर बिठाया , जिस ने आग बुझाने में ज्यादा काम किया था , उसे सब से सम्मानिक जगह पर बिठाया , अन्य लोगों को भी उन के य़ोगदान के मुताबिक क्रमशः बिठाए गए ।

लेकिन जिस मेहमान ने सब से पहले उसे चिमनी की समस्या की चैतावनी दी थी , घर के मालिक ने उसे दावत में आमंत्रित करने की सोच भी नहीं की ।

दोस्तो , इस नीति कथा सुनने से आप को क्या विचार आया , हां , वह जरूर यह है कि असल में जिस मेहमान ने घर के मालिक को आग लगने से बचने की चैतावनी दी थी , उस का योगदान सब से बड़ा था , अगर घर के मालिक ने उस का सुझाव माना , तो आग लगने का सवाल ही नहीं उठता । लेकिन खेद की बात है कि घर का मालिक इस सच्चाई को नहीं समझता था । हां , जिन लोगों ने आग बुझाने में मदद दी थी , उन्हें भी धन्यावाद देने की आवश्यकता थी । सब से दुख की बात यह थी कि घर का मालिक आगजनी से पहले मेहमान की चैतावनी नहीं मानी , तो न मानी , किन्तु घटना के बाद भी उसे यह समझ नहीं आयी कि मेहमान की चैतावनी का कितना मूल्य होता है ।