दोस्तो ,पिछले अल्पसंख्यक जाति कार्यक्रम के अन्तर्गत हम आप को सिन्चांग का दौरा करने ले गए और सिन्चांग वेवूर स्वायत्त प्रदेश में स्थित तारिम बेसिन के पश्चिमी भाग में आबाद मशहूर प्राचीन नगर काश्गर , खुक और रोपनोर घूमे थे , आज के सिन्चांग का दौरा विशेष कार्यक्रम के अन्तर्गत हम तारिम बेसिन में आगे दौरा करेंगे।
रोपनोर से विदा हो कर तारिम बेसिन के कुरल से दक्षिण की दिशा में वहां के विश्व की सब से लम्बी रेगिस्तानी सड़क पर हम हथ्येन शहर की ओर जा रहे हैं , रास्ते में मृत सागर के नाम से मशहूर विश्व के दूसरे बड़े रेगिस्तान यानी ताकलिमाकन रेगिस्तान के विरल प्राकृतिक दृश्य सभी पर्यटकों की नजर को क्षण क्षण में खींच लेते हैं । रेगिस्तान में बहती हुए चीन की सब से लम्बी अन्तर्स्थलीय नदी तारिम नदी का पानी इतला नीला और स्वच्छ है , जो आप को पानी में तैरने के लिए बरबस आकृष्ट करता है । इन के अतिरिक्त इस विशाल रेगिस्तान में विश्व का सब से बड़ा आदिम नुकीले पत्तों वाले पॉपर उद्यान देखने को मिलता है ।
तारिम बेसिन में 5 सौ 22 किलोमीटर लम्बी रेगिस्तानी सड़क का रास्ता नापने के बाद तारिम बेसिन के दक्षिणी भाग में स्थित हथ्येन शहर आ पहुंचा है । हथ्येन चीन का नामी जेड उत्पादन प्रदेश है । जेड का पत्थर चीन में अत्यन्त कीमती और निराला माना जाता है , जो शुद्धता , समृद्धि , ठाट और शुभ का द्योतक है । चीन के सभी सामंती सम्राटों के मुहर हथ्येन के जेड से बनाए गए थे । बाहर से हथ्येन आए सभी चीनी और विदेशी लोग भी हथ्येन के जेड काम वर्कशाप का दौरा करना चाहते हैं और खुद आंखों से जेड तराशी का उत्पादन देखना चाहते हैं एवं कुछ न कुछ जेड की शिल्पी वस्तु खरीद कर वापस ले जाते हैं । हथ्येन जेड शिल्प कारखान के मेनेजर श्री त्यो वनक्वी ने इस पर कहाः
हथ्येन जेड खुनलुन पर्वत के हिम गर्भ में करोड़ों वर्षों तक दबा हुए थे , फिर पहाड़ों से बह निकलने वाली जल राशि में हजारों वर्षों तक डुबो रहे , जिस से जेड का पत्थर रंग में अतूल्य कोमल और मुलायम बन गया । हथ्येन का जेड अपारदर्शी होता है , उसे हाथ में थामने पर ऐसा लगता है , मानो किस नवकुमारी का हाथ मसल रहा हो ।
हथ्येन शहर में सब से प्रसिद्ध ऐतिहासिक सांस्कृतिक दर्शनीय स्थान पूर्व के पाम्पाई नगर के नाम से मशहूर निया खंडहर है । निया खंडहर आज से दो हजार साल पहले प्राचीन रेशम मार्ग के दक्षिणी पथ पर स्थित एक रोनक नगर का था , अज्ञात कारण से यह प्राचीन रोनक शहर एक ही रात में ही नष्ट हो कर लुप्त हो गया । निया खंडहर में अब तक बहुत से मकान उसी हालत में सुरक्षित रहे हैं , जिस हालत में उन के मालिक तत्काल त्याग कर चले गए थे , किसी मकान की खिड़की अभी आधा खुली हालत में है , तो किसी का दरवाज खुला हुआ दिखता है , लगता है कि उन के मालिक हर क्षण में वापस आ सकते हो ।
कहा जाता है कि निया संस्कृत शब्द है , अंग्रेजी में उसे नोया उचारित कर अनुवादित हुआ और चीनी भाषा में भी उसे नोया कलता है ।इसी आधार पर किस का अनुमान था कि निया खंडहर पौराणिक कथा में उल्लिखित एदन हुआ होगा ।
हथ्येन से प्रस्थान होकर तारिम बेसिन के दक्षिणी किनारे पर पश्चिम की दिशा में आगे बढ़ते हुए खुनलुन पर्वत और थ्येन शान पर्वत के संगम पर फैला पमीर पठार आया है । तारिम बेसिन के भीतर स्थित किजिलसु किर्जिज स्वायत्त प्रिफेक्चर यही पर है ।
किजिलसु किर्जिज स्वात्त प्रिफेक्चर की राजधानी अर्तुक्स शहर प्राचीन रेशम मार्ग पर की वाणिज्य राजधानी के नाम से मशहूर है । सदियों से अर्तुक्स के लोग व्यापार करने में निपुण रहे हैं , जो सिन्चांग के यहुदी व्यापारी के नाम से भी संबोधित किए जाते है। लेकिन किजिलसु किर्जिज स्वायत्त प्रिफेक्चर के लोगों को इस बात पर सब से बड़ा गर्व मसहूस हुआ है कि किर्जिज जाति द्वारा विश्व सांस्कृतिक खजाने को प्रदत्त विश्व के अव्वल स्तर की कला कृति महान वीरगाथा मनास यहां के पूरवजों का योगदान है ।
किरगिज जाति का महा काव्य मनास लोकप्रिय वाचन कथाएं हैं , जिस में किरगिज जाति के प्राचीन महान वीर यौद्धा मनास की कहानी गायी जाती है। सिन्चांग के यूरोपीय प्राचीन महा कवि होमार की उपाधि से सुप्रसिद्ध किर्जिज जाति के वाचन कथाकार 86 वर्षीय जुसफु मामेई की आवाज में अभी जो मनास का एक अंश सुनाया गया है , वह निस्संदेह मनमोहक है । किर्जिज जाति का वीरगाथा मनास तिब्बत जाति का वीरगाथा राजा कसार और मंगोल जाति की वीरगाथा चांगकर तीनों चीन की त्रि वीरगाथाएं मानी जाती हैं । ईस्वी 13 वीं शताब्दी से स्थानीय लोककलाकारों ने मौखिक वाचन कथा के रूप में मनास की कहानी सुनाना आरंभ किया , जो आज तक मध्य एशिया के क्षेत्र में प्रचलित रही है । कहते हैं किर्गिजस्तान में जो लोक कथाकार मनाल के तीन भाग गाने के लिए सक्षम हो , उसे मनास वाचन कथा का मास्टर माना जाता है । सिन्चांग के लोक कथाकार 86 वर्षीय जुसफु मामेई मनास के तमाम आठ खंडों के दो लाख तीस हजार पंक्तियों के कविता गाने में पारंगे हैं , जो विश्व में सर्वमान्य मनास के संपूर्ण वाचन कथाओं के कलाकार हैं और यूरोप के प्राचीन महान कवि होमार के नाम से जाना जाता है ।
इस मधुर गीत का नाम तारिम नदी है , जिस में तारिम नदी और उस के घाटी क्षेत्र के प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन हुआ है । वास्तव में ही तारिम बेसिन दक्षिण सिन्चांग का एक सुन्दर और रहस्यों से भरी भूमि है । वहां के बेजोड़ प्राकृतिक सौंदर्य , मनमोहक दृश्य , रोमांचक व रहस्यों से भरी इतिहास और संस्कृति , रंगबिरंगे जातीय रीति रिवाज तथा अमोल कुदरती खजाना विश्व के विभिन्न स्थानों से पर्यटकों को बरबस आकर्षित कर लेते हैं । अगर आप को इस सुन्दर भूमि की आत्मा मसहूस करने की इच्छा हो , तो आइए , खुद अनुभव करें , आप को निराशा नहीं होगी ।
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