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(GMT+08:00) 2005-08-24 08:54:59    
संगीतकार गाओ ची फङ की कहानी

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चीन के एक संगीतकार गीत लिखने, उनकी धुन बनाने, गाने और अनेक वाद्य बजाने में निपुण हैं।उन का नाम है गाओ ची फङ , लेकिन शायद आप न जानते हों कि वे नेत्रहीन हैं?वे लम्बे समय से संगीत के प्रेम में डूबे रहे हैं और जीवन की चुनौतियों के सामने उन्होंने कभी भी सिर नहीं झुकाया है । कला के रास्ते पर वे बड़ी मुश्किल से आगे बढ़े हैं। हम आप को सुनाएंगे, इस संगीतकार की कहानी।

गीत----"आकाश के सारे तारे हैं तुम्हारे पास"

इस समय आप सुन रहे हैं, गाओ ची फङ द्वारा गाया गया गीत "आकाश के सारे तारे हैं तुम्हारे पास "। गीत का भावार्थ कुछ इस प्रकार है 

बीते समय की याद

चली गयी हवा के साथ

जीवन है लम्बी नदी की तरह

बह रहा कल-कल करता

जीवन की नौका

कैसे पकड़ें हम

नीले आकाश में जैसे स्वर्ण

जीवन है इतना सुन्दर

अपने हाथ में थाम लो भाग्य को

झिझको मत 

कभी खुशी, कभी गम

जीवन में हैं मुश्किलें

बहुत ज्यादा

बनो शक्तिशाली

जीतो अपने आप को

आकाश के सारे तारे तुम्हारे पास रहेंगे

गाओ ची फङ का जन्म वर्ष 1974 में उत्तरी चीन के शान शी प्रांत के एक गांव में हुआ। छै साल की उम्र में नन्हे गाओ ची फङ ने दृष्टि खो दी। गांव में नेत्रहीनों का स्कूल न होने के कारण गाओ ची फङ पढ़ नहीं सकते थे। इसलिए नौ वर्ष की उम्र में अपने पिता से चीनी परम्परागत वाद्य अर्हू सीखने लगे। शाम को पिता खेती करने के बाद घर वापस लौटते, तो गाओ ची फङ पिता के पास बैठ जाते। पिता गीत की एक पंक्ति गाते, तो बेटा अर्हू पर उसकी धुन बजाता। इस तरह गाओ ची फङ ने लोक संगीत सीखा और इससे प्रेरणा पा कर और मेहनत से अर्हू बजाना सीखने लगे। शीघ्र ही गाओ ची फङ अपने पिता से आगे निकल गये।

13 वर्ष की उम्र पर पहुंचने पर गाओ ची फङ को स्थानीय लोक ढोल संगीत दल पहुंचाया गया। यहां एक ही साल में गाओ ची फङ को सुरना, शङ, और बांसुरी आदि चीनी परम्परागत वाद्य बजाने आ गये। 16 वर्ष की उम्र में गाओ ची फङ ने खुद एक ढोल संगीत दल की स्थापना की और घर-घर जाकर कार्यक्रम देने लगे। इस ढोल संगीत दल का स्थानीय लोगों ने बड़ा स्वागत किया और गाओ ची फङ ने इस से खासे पैसे कमाये। इन पैसों के प्रयोग से उन के घर की नयी इमारत का निर्माण हुआ, दो बड़े भाइयों की शादी हुई और छोटी बहन ने मिडिल स्कूल पास किया।

वर्ष 1992 में अठारह वर्षीय गाओ ची फङ अपने अर्हू वाद्य के साथ माता पिता बताये बगैर शान शी प्रांत की राजधानी थाई य्वान आए और वहां के नेत्रहीन बाल स्कूल के बड़ी उम्र वाले छात्र बन गये। वहां हर रविवार को गाओ ची फङ अपने अर्हू के साथ थाई य्वान की सब से समृद्ध सड़क व रेल स्टेशन पर गाते थे। अर्हू बजाने की उनकी तकनीक और मधुर आवाज़ ने अनेक दर्शकों को आकृष्ट किया और वे गाने की कमाई से स्कूल का खर्चा जुटाते रहे। थाई य्वान के इस स्कूल में गाओ ची फङ की प्रधानाचार्या मां कहलाने वाली सुन चिन यान से मुलाकात हुई। सुश्री सुन ने गाओ ची फङ की प्रतिभा देख कर उन्हें संगीत रचने को प्रेरित किया। वर्ष 1994 में गाओ ची फङ ने अपनी आपबीती पर गीत रचे। "आकाश के सारे तारे हैं तुम्हारे पास" और "दिल की बात"आदि उनके गीतों ने चीन की अनेक संगीत प्रतियोगिताओं में पुरस्कार हासिल किये।